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स्वच्छ भारत के मुनादी

स्वच्छ भारत के मुनादी २ अक्टूबर के होईस अउ ‘स्वच्छ भारत’ के सपना ल पूरा करे बर सब सफाई करे म जुटगें। ‘जुटगें’ शब्द ह सही हावय काबर के ये दिन अइसना रहिस हे के प्रधानमंत्री ले लेके एक सामान्य मनखे तक सफाई के काम करिन। ‘भारत रत्न’ सचिन तेंदुलकर, अनिल अम्बानी अउ सोनी सब चैनल के ‘तारक मेहता’ धारावाहिक मन ये अभियान म जुरगें। देश के जम्मो मनखे मन एक दिन सफाई करिन। फेर ‘प्रधानमंत्री’ के ‘स्वच्छ भारत’ के मुनादी होते रहिस अउ ये काम अभी तक चलत हावय। ऊंखर कहिना हावय के भारत अब साफ- सुथरा होना चाही। इंहा कोनो जगह कचरा दिखना नई चाही। सबके मन म ये बात आना चाही के कचर ल सही जगह डाले जाय अउ ओला सही जगह पहुंचाये जाए।
आज हर गांव म ये सफाई के सफलता दिखत हावय। अंबागढ़ चौकी ले दस किलोमीटर दूरिहा थुहाडबरी गांव म हैंडपंप, कुंआ के तीर म नहाना अउ कपड़ा धोना मना कर देय गे हावय। नहाय ले या कपड़ा, बरतन धोए ले पांच सौ रुपिया के जुर्माना रखे गे हावय। ये काम स्वच्छ पानी बर करे गे हावय। स्वच्छ जल स्रोत आज के बहुत बड़े जरूरत हावय। सत्ता परिवर्तन या फेर घर के मुखिया के बदले ले सोच अउ काम करे के तरीका बदलथे। आज उही इस्थिति भारत के हावय। सालों साल के रद्दी फाइल, आफिस मन म जमा हावय। सबले पहिली ओखर सफाई करे गीस। सरकारी दफ्तर म जमा पुराना कबाड़ हटाए जात हावय। सफाई अब हर तरफ होना चाही। साठ बछर ले सब जगह कचरा जमा होवत हावय।
गांधीजी के सपना रहिस हे ‘स्वच्छ भारत’ येखर बर अतेक बछर ले कोनो नई सोचिन। आज ये सपना ल पूरा करे के बेरा आगे हावय। काबर के आज चारों डाहर सिरिफ कचरा दिखथे। आज के सिक्छित समाज चारों डाहर कचरा फेंकत हावयं। घर के बाहिर कचरा, बस स्टैंड, रेल्वे स्टेशन म कचरा के संग-संग पान, तम्बाखू के पीक ले रंगे जमीन देवार दिखत रहिथे। तरिया, नदिया सब जगह गंदगी पटाय हावय। पालीथिन ले पटाय धरती जल स्रोत ल बंद करत हावय। ये पालीथिन जानवर के पेट में जाके ओखर जान लेवत हावय। ये सब गंदगी ल आज साफ करे के जरूरत हावय। येखर सीख इस्कूल ले ही मिलना चाही। आज इस्कूल म कोनो भी लइका ले काम नई कराय जा सकय।
आज ले ४५-४० बछर पहिली तक लइका मन स्वयं अपन कक्छा अउ इस्कूल ल साफ करयं। हमन स्वयं दानी इस्कूल म पढ़त राहन तब अपन कक्छा ल धोके सजावन। ये सफाई अउ सजावट बर प्रोत्साहित करे जाय। खेलकूद के समय म मैदान के गंदगी साफ करन। कई इस्कूल मन म बागवानी बर एक कालखंड देय जाय। कई जगह आज भी अपन इस्कूल के क्यारी म लगे सब्जी के उपयोग मध्यान्ह भोजन म करे जाथे। इस्कूल में ही ये सब काम के अनुभव हो जाय त बहुत अच्छा हे। सामूहिक रूप ले काम करे ले समाज म संतुलन बना के सिक्छा मिलथे। जब तक ये सफाई के ट्रेनिंग डंडा ले के नई दे जाही तब तक सिखना कठिन हावय। ये सफाई के काम १४ नवम्बर ले १९ नवम्बर तक फेर चलही। येला सफल बनाना जरूरी हावय। आज हर मनखे ल सिखना जरूरी हावय के बिस्कुट, आइसक्रीम के खाली डब्बा ल डस्टबिन में ही डालना हे। आज रद्दा ले मल-मूत्र हटना जरूरी हावय। चैनल जेखर नांव रखे रहिस हे ‘शू शू कुमार’ ये हर जगह मिल जाथे। कई झन ल पकड़ के पूछे गीस तब पता चलिस के पेसाब करे के जगह नइए, हावय तिंहा गंदगी हावय। असल म सब ल लइका सही सिखोय के जरूरत हावय।
हमन बारह बछर पहिली सिक्किम घूमे बर गे राहन। मोर बेटा छोटे रहिस हे। ओला ‘शू शू’ लगिस तब मैं ह रद्दा किनारे आर्कीड जंगल रहिस हे उंहा लेगेंव। पीछू ले अवाज आइस , ‘ये ये’, लहुट के देखेंव त ओ मनखे मोला गुरेर के वापस आए के इसारा करिस। आए के बाद बतइस के थोरिक दूरिहा म ‘पेसाब घर’ हावय। ‘बाहर पेसाब नहीं करना।’ बाद म पता चलिस के सिक्किम म ये काम बर जुर्माना होथे। तभे तो सिक्किम साफ-सुथरा हावय। आज सफाई बर अइसने जागृति जरूरी हावय। एक-दूसर ऊपर नजर रखे जाय। मोदी, अंबानी अउ सचिन के बहारे ले कुछु नई होवय, एक दिन सब डब्बा म चल दिही। येला अपन जिम्मेदारी समझ के करे जाय। तभे घर, दफ्तर, पारा-मोहल्ला, गांव, सहर अउ देस साफ होही। ‘स्वच्छ भारत’ के सपना पूरा होही। यही ह गांधीजी बर सबले बड़े श्रद्धांजलि आय। जुरव, स्वच्छ भारत बर जुरव।

सुधा वर्मा
देशबंधु के मड़ई ले साभार

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