जइसे राजिम के जुन्ना छत्तीसगढ़ी-मेला के जम्मों रंग-ढंग बदलगे, नवा रूप-रंग के सालाना कुम्भ-मेला इस्थापित होगे। छत्तीसगढ़ी-रंग नंदात जात हे। एमन सब कइठन अस्थाई चिन्हा एँ, इस्थाई नोहँय। अब मालूम होवत हे के कोनो जमाना मँ हमर जुन्ना-राजधानी ‘श्रीपुर’ अतका बइभवसाली के संगे-संग गवरवसाली घलाव रहिसे के जेकर अड़बड़ डिमडिम आज पीटे जाऽथे अइसन नवा-राजधानी रइपुर ओकर पासंग भी कहू नइ बइठय। लिखे गय हे के-‘सातवीं सताब्दी ईस्वी का श्रीपुर (सिरपुर) भारत के तत्कालीन राजधानी नगरों पाटलीपुत्र,कन्नौज, थानेस्वर, बादामी, मथुरा, अयोध्या, ऐरन (सागर जिला),श्रहूत (सतना जिला), बेसनगर, विदिसा दशपुर ,(मंदसौर) एश्रृंगवेरपुर (इलाहाबाद),मदुरा आदि एक हवय। और ,जो विस्व के तत्कालीन नगरों से कहीं अधिक समृद्धसाली था तथा कुस्तुनतुनिया (परवर्ती रोमन साम्राज्य की राजधानी) एथेन्स (यूनान की राजधानी), कारडोबा (स्पेन की राजधानी) क्योटा नारा (जापान की राजधानी), पामीर (सिरिया की राजधानी), दमिस्क बगदाद (इस्लामी खलीफाओं की राजधानी), अंगकोट (कम्बोडिया की राजधानी), श्रीविजय, सुमात्रा की राजधानी सिंहपुर (सिंगापुर-जावा की राजधानी) के समकच्छ था उस काल में यूरोप के लंदन, पेरिस, बर्लिन, मास्को आदि आज प्रसिद्ध राजधानी-नगरों का अस्तित्व ही नहीं था।” (डाॅटीआर रामटेके ‘छत्तीसगढ़ की प्राचीन किलों की स्थापत्य कला)। अइसन ‘श्री सम्पन्न श्रीपुर’ तो खंडहर ‘सिरपुर’ बनके को जनी कहां नंदा गय रहिसे। अड़बड़ खोजे लटपट ओकर चिन्हारी मिले पाइसे। तव उपर लिखाय रकम-रकम के कपड़ा-गहना कस बने चिन्हारीमन कब तक बने-बने रइहीं, कोन कहे सकहीं? अइसन ‘अस्थाई’ चिन्हा मन ‘इस्थाई’ चिन्हारी नइ हो सकय। सिरतोन चिन्हारी होथे ‘चेहरा’ जउॅन जीयतभर नइ बदलय। अवरदा हिसाब ले दुब्बर -पातर, मोट्ठ-डांट भले हो जाही फेर ओकर नाक-नक्सा नइ बदलय। ओहीच्च रइथें। कोनो भी अवस्था ओला चिन्हें जा सकथे। छत्तीसगढ़ के अइसने ईस्थाई चेहरा आय ‘छत्तीसगढ़ी-भासा’ जउंन दू करोड़ मनखे मन के ‘महतारी-भासा’ ए। जेकरसेती उनलऽ छत्तीसगढ़िया’ नाव ले चिन्हे जाथे। ओकर नारा तक परसिद्ध कर देहे हें-‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’। इंकरेसेती ढ़ाई करोड़ ‘छत्तीसगढ़वासी’ मनखेमन के छत्तीसगढ़ी ‘जनभासा’ घलाव आय। इही जमीनी-हकीकत जब समझ आइस तव जम्मों-जनप्रतिनिधि बिधायकमन बिधानसभा 28 नवम्बर 2007 के छत्तीगढ़ी एक मत ले ‘राजभासा’ बना के ओला कानूनी अउ बइधानिक दरजा देवाइन।
(दैनिक भास्कर ‘संगवारी’ ले साभार)