हमर भाखा – छत्तीसगढ़ी : श्रीमती हेमलता शर्मा

हमर भाखा छत्तीसगढ़ी के विकास बर अऊ ओला राजभाखा बनाए बर हम सब छत्तीसगढ़िया मन ला अऊ कतका रद्दा देखे बर परही, तेन हर एक ठन सोचे के बिसय आय।

छत्तीसगढ़ ला अलग राज बनाए बर भी हमन ला अब्बड़ मेहनत करे बर परे रहीस तइसने अब छत्तीसगढ़ी ला राजभाषा बनाए बर सबो झन ला एकजुट होए बर परही तभे कुछू रसता निकलही तइसे लागथे।

छत्तीसगढ़ के सब ले बड़े दुरभाग ऐ खुद छत्तीसगढि़या मन ऐला बोले मा लजाथे, अउ पढ़े मा घलो अलकरहा लागथे अइसे मन बना ले हें, फेर लिखना तो अभी अउ दुरिहा के बात ऐ। अउ ऐ सब मुसकिल ला दुरिहा करे बर हमन ला अपन भाखा मे सिकछा के नियम ला बनाए बर परही।

हमर गॉंधी बबा हर घलो इही बात ला कहे रहिस की लइका मन के प्राथमिक सिकछा हर अपन भाखा मा होना चाहि तभे लइका के पूरा बिकास होही, काबर एक लइका ला ओखर मातृ भाखा मा पढ़े ले रोकना भी पापेच आए। फेर वाह रे दुरभाग, गांधी बबा के नाम के माला ला नेता मन रोज जपथे, फेर ओखर बताए सही रद्दा अउ नियम ला नई मानय।

हमर सरकार हर सिकछा मा एक बिसय छत्तीसगढ़ी ला राखय फेर पाठ्यकरम मा सामील करे ले कुछु नई होवय। काबर गुरूजी मन खुदे ओ बिसय ला वइसन चेत लगा के ना तो पढ़ंय अऊ ना पढ़ावंय। ऐ दिसा मा थोरकन अउ मेहनत करे के जरूरत हावय। सरकार के नियम ह कागजे भर म मत रहय ओ हर जन-जन मेर पहुंचय नई तो सासन हर कड़ाई से पालन करे के आदेस दय तभे रद्दा बनही।

अउ मीडिया ला घलो एकर बर अपन सहयोग देना चाही, ओखर जिम्मेदारी हर तो सब ले जादा हे, अपन भाषा म समाचार पत्तर अउ सबे जगह के टीबी मा अपन भाषा मा समाचार चलय तभेच मनखे मन जागही। अउ हमर भासा छत्तीसगढ़ी हर अपन ओ मान-सम्मान ला पाही जेकर ओ हर हकदार हे।

‘‘अइसन गुतुर भासा, अइसन गुतुर गोठ।
बोलइया अऊ सुनइया के मनला सनतोस’’

श्रीमती हेमलता शर्मा
शिक्षिका, सरस्वती शिशु मंदिर, कुसमुण्डा (कोरबा)

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