हमर नान्हें छत्तीसगढ़ राज ला उपजे बाढ़हे अभी खूब मा खूब सोला बच्छर होवत हे फेर छत्तीसगढ़ राज के नाँव के अलख जगावत कतको साल होवत हे। हमर छत्तीसगढ़ राज के जुन्ना इतिहास हा बड़ प्रसिद्ध अउ सुग्घर हावय। ए राज के बीचो-बीच मा शिवनाथ नदिया बोहावत हावय। इही शिवनाथ नदिया के दुनो पार मा अठारा-अठारा ठन गढ़ प्राचीन समे मा ठाढ़े रहीन। एखरे सेती ए राज के नाँव छत्तीसगढ़ पड़ीच हे अइसन कहे जाथे। इही छत्तीसगढ़ मा के एकठन गढ़ हमर गवँई-गाँव सिंगारपुर (माँवली) हा घलाव आय। इही गाँव मा चार सौ बच्छर जुन्ना हमर माँवली दाई के प्रचीन मनमोहनी मयारु मूरत इस्थापित हावय।
माँवली दाई के मूरती अउ मंदिर के निरमान कब होय रहीस हे एखर बारे मा कोनो लिखे-धरे प्रमाण नइ मिलय। प्राचीन समे मा ए क्षेत्र हा मंडलागढ़ा कोटा के गोंड़ राजा मन के अधिकार मा रहीस। मराठा मन के शासनकाल मा ए क्षेत्र हा रघुजी तीसर के हक मा आइस। रघुजी तीसर हा सन् 1827 मा रायपुर के जगदेव साव ला इही क्षेत्र के गियारा ठन गवँई गाँव ला ईमान मा दीस जेमा हमर गाँव सिंगारपुर हा घलाव शामिल रहीस। ए हा तब के बात हरय जब भाटापारा क्षेत्र के कोनो गवँई गाँव के नाँव पता नइ रहीस अउ सिंगारपुर मा माँवली दाई हा बिराजे रहीस। ए बात के प्रमाण पहिली अंग्रेजी गजेटियर मा सन् 1901 मा सिंगारपुर के माँवली दाई अउ एती ओती बिराजे अउ जम्मो देवी दाई मन के बारे मा लिखे गे रहीस। एखर हिसाब ले हमर देवी दाई ला सिंगारपुर मा बिराजे चार सौ साल ले जादा समे होगे हावय। माँवली माता के मंदिर अउ मूरती के के बारे मा इस्थानीय जनश्रुति के हिसाब ले राजस्थान ले आय बंजारा जात के लोगन मन गाँव-गाँव गेरु बेचे बर सिंगारपुर आवँय अउ घुम फिर के कई महीना ले गेरु बेंचँय। गाँव के बाहिर सुनसान जघा मा अपन डेरा ला लगावँय। अपन डेरा तीर पखरा के माँवली दाई के मूरती ला बनवा के अपन सुरक्छा खातिर पूजा अर्चना करँय। मंदिर के तीरेच मा दाई के नाँव ले माँवली तरिया के घलाव निर्माण अपन निस्तारी खातिर कराइन। ए तरिया हा पखरा अउ सादा छुही के खदान ले बने हावय। ए अंचल हा आज घलाव सादा छुही अउ पखरा बर बड़ प्रसिद्ध हावय।
मंदिर के तीर मा दाई के नाँव मा शीतल जल ले भरपूर माँवली तरिया हावय। दाई के दरश के पहिली ए तरिया मा असनांदे के परमपरा हावय फेर आजकाल ए परमपरा हा नंदावत जावत हे। पानी छींच के काम चलावत हावँय। तरिया हा बड़ गहिरा हावय। तरिया के बीचोबीच मा सिमेंट ले बने नाँग नाथत श्रीकृष्ण के बड़का मूरती इस्थापित हे। ए तरिया ले पुरईन पान, कमल,पोखरा, खोखमा, सिंघाडा, ढेसकांदा, कुकरीकांदा अड़बड़ मिलथे। मंदिर के सरी जोत जवाँरा हा इही तरिया मा ठंडा होथे। तरिया के शीतल निरमल जल हा चमड़ी के रोग-राई मा फायदा करथे। खेती-खार के बेमार फसल बर माँवली तरिया के जल हा बड़ काट करथे अइसन ए अंचल मा जनश्रुति हे। सरद्धालु अउ पर्यटक मन बर तरिया मा पइड़ल वाले डोंगा के बेवसथा हे फेर देखरेख के कमी मा ए हा अदलहा परे हे।
प्राचीन समे ले माँवली मंदिर मा गोंड़ बईगा मन हा पुजेरी हावँय। आज घलाव इँखर आठवाँ-दसवाँ पीढ़ी हा माँवली दाई के सेवा करत आवत हावँय। आदिकाल ले मंदिर ला सँवारे बर पुजेरी मन हा बड़ मेहनत अउ तियाग करें हें। अभी दस-बारा बच्छर ले मंदिर ला ट्रस्ट के नाँव मा चेतलग मन हा मनमाने ढ़ंग ले चलात हे अउ पुजेरी के इस्थान ला शून्य कर दें हें। माँवली मंदिर के मुख्य मंदिर के संगे-संग 18-20 अलग-अलग देवी-देवता मन के मंदिर देवाला बने हावय। आने-आने जात समाज के धर्मशाला सरद्धालु मन बर बने हावय। ए धर्मशाला मन मा अपन-अपन जात के साल मा एक बेर बैठक होथे अउ समाजिक समस्या के निपटारा होथे। साल मा दू बेर नवरात मा मेला भराथे। खेल, तमाशा, दुकान, ढ़ेलवा, झूलना, नाचा-पेखन के रिंगी-चिंगी आयोजन नवरात परब मा होथे। सिंगारपुर तक पहुँचे के मुख्य दू ठन मार्ग हे। भाटापारा ले मोटर, जीप,कार,टेक्सी ले 12किलोमीटर उत्ती मा अउ निपनिया ले 6 किलोमीटर बूड़ती मा आये जाये के सुविधा हावय। माँलवी मंदिर के संगे संग माँवली तरिया के घलाव बड़ महिमा हावय जउन हा माँवली दाई के तीर मा बसे हे या फेर अइसन घलाव कहे जा सकथे के माँवली तरिया के तीर मा माँवली दाई हा बिराजे हावय। माँवली तरिया हा बड़ गहिला हावय जौन हा सादा छूही माटी के खदान ले बने हावय। माँवली दाई के अँचल मा सादा छूही के भरमार हे। ए सादा छूही ला पबरित मान के घर-दुआर, कोठी-डोली, पूजा-पाठ, जग-हवन मा प्रयोग करे जाथे। सिंगारपुर के पास-परोस के गाँव जरहागाँव, लेवई, कोटमी अउ कोदवा मा छूही माटी के खदान हे। माँवली दाई के प्रताप ले ए क्षेत्र हा सादा छूही माटी बर बड़ परसिद्ध हावय।
. . ।।जय माँवली दाई।।…
जय जय हे मोर माँवली दाई, लइका हरन तोरेच नदान।
होवय हमर हिरदय निरमल, बाढ़य बुद्धि अउ गियान।
बाधा बिघन कोनो आवय झन, बिगड़य झन काँहीं बूता कोनो।
सिंगारपुर के माँवली दाई ला, करय कन्हैया हा परनाम।
कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक-भाटापारा (छ.ग)
संपर्क~9753322055
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