हम जम्मो हरामजादा आन… (डॉ.मुकेश कुमार के हिन्दी कविता के अनुवाद)

पुरखा मन के किरिया खा के कहत हंव
के हम जम्मो झन हरामजादा आन
आर्य, शक, हूण, मंगोल, मुगल, फिरंगी
द्रविड़, आदिवासी, गिरिजन, सुर-असुर
कोन जनि काखर काखर रकत
बोहावत हावय हमर नस मन म
उही संघरा रकत ले संचारित होवत हावय हमर काया
हॉं हमन जम्मो बेर्रा आन
पंच तत्व मन ल गवाही मान के कहत हंव-
के हम जम्मो हरामजादा आन!

गंगा, जमुना, ब्रम्हपुत्र, कबेरी ले लेके
वोल्गा, नील, दलजा, फरात अउ थेम्स तक
अनगिनत नदियन के पानी हलोर मारथे हमर नारी मन म
ओखरे मन ले बने हावन हमन, करम करईया सरलग जुझारू
सत इमान के किरिया खात कहत हंव-
के हम जम्मो झन हरामजादा आन!

जाने कतका संस्कृति मन ल हमन अपन म समोयेन
कतका सभ्यता मन हमर हिरदे ल पलोईस
हजारों बरिस के लम्बा सफर म
जाने कतका झन छींचे हे बीजा हमर देंह म
हमला बनाये राखे हांवय सरलग उपजउ
ये देस के थाती मूड़-माथ म रखत कहत हंव
के हम जम्मो झन हरामजादा आन!

बुद्ध, महावीर, चार्वाक, आर्यभट्ट, कालिदास
कबीर, गालिब, मार्क्स, गांधी, अंबेडकर
के हम फुलददा आन
तुंहर मन ले सबले जादा स्वस्थ्य अउ आरूग हम
ये देस के आतमा के किरिया खा के कहत हंव-
के हम जम्मो झन हरामजादा आन!

हम एके बाप के लईका नोहन
हमर देंह म नइ मिलय साफ रकत
हमर मुंह-नाक, उंच-पूर, बोली-बात
रहई-सुतई, खवई-पियई, गियान-अगियान
सबे मन गवाही देही
हमर डीएनए जांच करवा के देख लेवव
गुण-सूत्र मन म मिलही खच्चित परमान
रख देबे तैं कुतरक के धनुस बान
मैं ये हिसाब ले हांका पारत हंव-
के हम जम्मो झन हरामजादा आन!

हम जनमें हन कइ पईत कतको कोंख ले
हमला पता नइ हे हम काखर संतान आन
अतका जानथन फेर
जेखर होए के कोनो परमान नहीं
हम उही राम के वंसज नोहन!
माफी देहू राम के भगत हो
हम रामजादा नोहन!

हे सुद्ध रकतवादी हो,
हे आरूग संस्कृतिवादी हो
हे गियानी-अगियानी हो
सुनव, सुनव, सुनव!
जम्मो छोटे-बड़े सुनव!
नर, मुनि, देबी, देंवता
सब सुनव!
हम कइयोन दाई के कोंख ले जनमत आयेन
त हम कइसे जानन के हम रामेच के संतान आन
येखरे खातिर डंका के चोट ले कहिथंव
के हम जम्मो झन हरामजादा आन
हॉं हम जम्मो झन हरामजादा आन!

(काली कबीर, टैगोर अउ मुक्तिबोध तीनों एके संघरा परगट होए रहिसे। भारत के अभी के हालत ल देख के उमन अड़बड़ चिंता म अकबकाये रहिन हें। उमन ये कविता मोला बोल के लिखईन अउ उही मन के आदेस ले मैं इंहा आप मन बर प्रस्तुत करत हंव)

कवि- डॉ.मुकेश कुमार
(पत्रकार, टीवी एंकर, लेखक)
अनुवाद- संजीव तिवारी

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