चंदू गजबेच खुस रहिस जब ओकर धंवरी गाय ह जांवर-जियर बछरु बियाईस।लाली अऊ सादा, दुनों बछवा पिला ल देख चंदू के मन हरियागे ।दुनों ल काबा भर पोटार के ऊंखर कान म नाव धरिस- हीरा अऊ मोती।ओकर गोसाईन समारीन ह पेऊंस बनाके अरोस-परोस म बाटीस ।चंदू के अब रोज के बुता राहय बिहनिया उठके गोबर कचरा फेंकय ,धंवरी ल कोटना मेर बांधके ओकर खायपिये के बेवस्था करय,फेर कलेवा करके खेती बारी में कमायबर जाय । लहुटके संझौती म हीरा-मोती संग खेलय।ओखर चार बछर के लईका संतोष घलो संगेसंग खेलय। समारीन येला देखके गजब खुस होवय ।येकर एक कारन अऊ हे ये धंवरी ह ओखर मईके ले आय रहिसहे।तीन बछर खेलत कूदत बीतगे अब हीरा-मोती दांते ला धर लीस। बढ़नउक बछरू अब धाकड़ अऊ धींगरा होगे।दईहान म जाय त गाय-बछिया ल दंउड़ाय ले धर लेवय।गहिरा के बात ल चंदू कान नई धरय। एक दिन परोसी परदेसी ह कहिस हीरा-मोती ल धनहा डोली कती घुमायबर लेगे कर भईया।
उंखर जोडी बनाके देख । चंदू ल बात जंचगे वहू ल लगीस अइसने छहेल्ला घुमही त जोजवा हो जाही,इंकर जांगर ल खइत्ता नई करंव।बारी म लेके जोतेबर सिखाहूं।एक बछर म हीरा-मोती चंदू के कमईया बनगे ।अब गांवभर चंदू नंगरिहा के सोरपूछ होय लागीस। बाढ़े बनी पाय लागीस। बाउंत, बोवई, मतई, बियासी, भारा डोहरई,ईंटा पखरा, मांटी-गोटी जम्मो बुता में हीरा-मोती जोड़ी गाड़ी के पहिली पुछई राहय ।अपन खेतीबारी अऊ बनी कमाके चंदू अब पनके लागीस। बेरा बीत ले माटी के कुरिया ले ईंटा के खोली बनगे। एती संतोष ल पढ़े बर भेजीस।तीनों परानी बड सुघ्घर जिनगी बितावन लागिस। अईसने सात बछर बीतगे। गांव के दाऊ मोहन ह परिहार नवा टेक्टर बिसा के लाय रहीस। गांवभरके देखेबर गईन चंदू घलो गे रहिस। ये बछर दाऊ के खेत म टेक्टर ले जोतई बोवई होइस। काम कखगन सिरागे। टेक्टर ल ठेलहा देखके बरातू घलाव अपन खेत ल जोते ल कहिस । चंदू ल बहुतेच बनी लेगईया रहिस त ए बछर ओला फरक नई पड़ीस ।पऊर गांव में दू ठन अऊ टेक्टर आ गे। अब
चंदू ल येकर सेती फरक परे लागिस।बढ़का अऊ मंझला किसान मन टेक्टर में जोतई-बोवई , मतई अऊ मिंजई घलो करा डारिन। सेठ हा छोटा हाथी घलो लान डरिस।येकर सेती अब चंदू ल बुता अऊ बनी नई मिलीस।खरतरिहा हीरा-मोती अब ठेलहा रहे लागिस।येसो चंदू अपन खेत ल आगू बो डारीस फेर नांगरबनी लेगईया कोनो नई आय। गांव के चारो कोती टेक्टर के अवाज सुनाय लागिस। जम्मो किसान येसो टेक्टर में बोवावत हे।येला देखके चंदू के हाथ पांव थोथवा परे लागिस अउ थरथरा के बर रूख के छैइहां म बईठगे। ओकर हीरा-मोती दूनों ठेलहा होगे। अब जम्मो काम ल टेक्टर नंगालीस।ईसवर ल बिनती करे लागीस अब जिनगी कइसे चलही मोर हीरा-मोती दूनों ठेलहा होगे।
हीरालाल गुरूजी”समय”
छुरा:-घर गरियाबंद
मोबा:-9575604169