छत्तीसगढ पैदा करय, अडबड चांउर दारहवय लोग मन इंहा के, सिधवा अउ उदारसिशवा अउ उदार, हवैं दिन रात कमाथेंदे दूसर ला भात, अपन मन बासी खाथेंठगथैं ये बपुरा मन ला, बंचकमन अडबडपिछडे हावय हमर, इही कारन छत्तीसगढ । ढोंगी मन माला जपैं, लम्मा तिलक लगायहरिजन ला छूवै नहीं, चिंगरी मछरी खायचिंगरी मछरी खाय, दलित मन ला दुतकारैकुकुर बिलई ला चूमय, पावै पुचकारैंछोंड छांड के गांधी के, सुघर रस्ता लाभेदभाव पनपाय, जपै ढोंगी मन माला । कोदूराम दलित
Read MoreMonth: October 2008
कहिनी : डोकरा डोकरी : शिवशंकर शुक्ल
शिवमंगल शुक्ल। हमर छत्तीसगढी भाखा के विद्वान साहित्यकार हें, इमन छत्तीसगढी के पहिली उपन्यासकार यें । इखर उपन्यास ‘दियना के अंजोर’ अउ ‘मोंगरा’ हा मेकराजाला म उपलब्ध हावय । इखर एक ठन लइका मन बर लिखे गये कहिनी किताब ‘दंमाद बाबू दुलरू’ के एक ठन कहिनी ला हम इहां प्रस्तुत करत हन । कथानक लइका मन के रहस्य परेम के कारन थोरकन चित्र बिचित्र हे कहिनी म कहिनीकार का कहना चाहत हे ये हा रहस्यबाद-छायाबाद के बिसय ये लगथे । आपो मन पढव अउ अपन बिचार हमला देवव । संजीव…
Read Moreकहिनी : डोकरा डोकरी : शिवशंकर शुक्ल
शिवमंगल शुक्ल। हमर छत्तीसगढी भाखा के विद्वान साहित्यकार हें, इमन छत्तीसगढी के पहिली उपन्यासकार यें । इखर उपन्यास ‘दियना के अंजोर’ अउ ‘मोंगरा’ हा मेकराजाला म उपलब्ध हावय । इखर एक ठन लइका मन बर लिखे गये कहिनी किताब ‘दंमाद बाबू दुलरू’ के एक ठन कहिनी ला हम इहां प्रस्तुत करत हन । कथानक लइका मन के रहस्य परेम के कारन थोरकन चित्र बिचित्र हे कहिनी म कहिनीकार का कहना चाहत हे ये हा रहस्यबाद-छायाबाद के बिसय ये लगथे । आपो मन पढव अउ अपन बिचार हमला देवव । संजीव…
Read Moreछत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव
बासी खाना छूटगे, आदत परगे, चाय पेट भरे ना पुरखातरे, ये कईसन बकवाय ये कईसन बकवाय, सबो दुख-सुख मा लागू देंवता अतरे फूल, चाय तो पंहुचे आगू कह रंगू कविराय, सुनगा भाई घांसी सबला होना चाय, बिटामिन छोडे बासी । रंगू प्रसाद नामदेव
Read Moreछत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव
बासी खाना छूटगे, आदत परगे, चाय पेट भरे ना पुरखातरे, ये कईसन बकवाय ये कईसन बकवाय, सबो दुख-सुख मा लागू देंवता अतरे फूल, चाय तो पंहुचे आगू कह रंगू कविराय, सुनगा भाई घांसी सबला होना चाय, बिटामिन छोडे बासी । रंगू प्रसाद नामदेव
Read Moreजसगीत अउ छ्त्तीसगढ – दीपक शर्मा
जब भादो के कचारत पानी बिदा लेथे अउ कुंवार के हिरणा ला करिया देने वाला घाम मुड मा टिकोरे ले धर लेथे। धान कंसाये ला धर लेथे ,तरीया के पानी फ़रीया जथे खोर के चिखला बोहा जथे अउ चारो खूंट सब छनछन ले दिखे लागथे । हरियर लहरावत फसल अउ अपन मेहनत ला सुफल होवत देख के गांव गांव म सबे मनखे सत्ती दाई के पूजा म मगन हो जथे, जुगुर-जुगुर जोत चमके लागथे, माता देवाला मा जसगीत अउ मांदर के थाप झमके लागथें। मांदर के जसगीत से उही नता…
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जब भादो के कचारत पानी बिदा लेथे अउ कुंवार के हिरणा ला करिया देने वाला घाम मुड मा टिकोरे ले धर लेथे। धान कंसाये ला धर लेथे ,तरीया के पानी फ़रीया जथे खोर के चिखला बोहा जथे अउ चारो खूंट सब छनछन ले दिखे लागथे । हरियर लहरावत फसल अउ अपन मेहनत ला सुफल होवत देख के गांव गांव म सबे मनखे सत्ती दाई के पूजा म मगन हो जथे, जुगुर-जुगुर जोत चमके लागथे, माता देवाला मा जसगीत अउ मांदर के थाप झमके लागथें। मांदर के जसगीत से उही नता…
Read Moreसोसन अउ कानून (कबिता ) : सुशील भोले
बछरू हा एक दिन गाय जघा पूछिसदाई सोसन काला कहिथे ! तब गाय कहिस – बेटा तैंहा जुच्छा पैरा ला,पगुरावत रहिथसअउ हमर मालिक हा मोर थन के दूध लादूह के अपन बेटा ला पियावत रहिथेइही ला तो सोसन कहिथे ! तब बछरू हा गुसियावत कहिसदाई ! का ये देस मा अइसन कानून नइयेजेमा हम सोसन करइया के खिलाफ लड सकनअपन महतारी के दूध पी सकन तब गाय कहिस – बेटा !तैं इंहा के कानून ला नइ जानस रे !इंहा तो जेखर हाथ मा लाठी अउ पइसा होथेइंहा के कानून हा…
Read Moreसुरता : पद्मश्री डॉ. मुकुटधर पाण्डेय
30 सितम्बर 1895 के दिन, 113 बरिस पहिली हमर छत्तीसगढ के गंगा, महानदी के तीर बालापुर गांव म एक अइसे बालक के जनम होइस जउन हा बारा बरिस ले अपन गियान के पताका फहरावत पूरा भारत देस के हिन्दी परेमी पाठक मन के हिरदे मा छा गे । ये बालक के नाम रहिस मुकुटधर । बालक मुकुटधर अपन गांवें म संस्कृत, हिन्दी, बंगाली, उडिया संग अंग्रेजी भाखा के पढई करिस अउ आगे पढे बर प्रयाग महाविद्यालय चल दिस । फेर वोला सहराती जिनगी नइ भाइस अउ अपन गांव बालापुर म…
Read Moreगुरतुर गोठ (गीत) सुकवि बुधराम यादव
तोला राज मकुट पहिराबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा तोला महरानी कहवाबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा तोर आखर में अलख जगाथे भिलई आनी बानी देस बिदेस में तोला पियाथे घाट-घाट के पानी तोर सेवा बर कई झन ऐसन धरे हवंय बनबासाओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा…. रयपुर दुरुग ले दिल्ली तक झंडा तोर लहराथे साँझ बिहनिया बिलसपुरिहा डंका तोर बजाथे आज नहीं तो कल भले फेर मन के मिटे निरासाओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा…. रायगढ़ सारंगढ़ सरगुजा जसपुर के जमींदारी कोरबा कोरिया चांपा जांजगीर तोर जबर चिनहारी कबीरधाम के सत…
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