हमर ये समय ल, जेमा हम जीयत हन जमों ला भुला जाय (स्मृति भंग) के समय कहे जा रहे हे। ए समय के मझ म बइठ के मैं सोचत हॅव के भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अपन आज ल हमर काल बर सौंपे के बात कहत रहिन तउन ह छत्तीसगढ़ के तात्कालीन साहित्यकार मन बर फालतू गोठ असन रहिस । काबर के उन अपन आत्म-मुग्ध व्यक्तित्व के संरचना खातिर अपन दूध के भासा म रचना नइ करके हिन्दी बर अपन कृतित्व ल समरपित कर दिहिन । उही समय म…
Read MoreYear: 2009
छत्तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा
एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच नी रहिस । हाथ म पइसा, कउड़ी रहतिस त बजार करथें, एकघ टारे कंस करथों माने नहि, त जायेच बर परिस। बस्ती के दूकान ले साबुन बनाये के कास्टिक सोडा बिसायेन । ओमन लीम तेल…
Read Moreछत्तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा
एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच नी रहिस । हाथ म पइसा, कउड़ी रहतिस त बजार करथें, एकघ टारे कंस करथों माने नहि, त जायेच बर परिस। बस्ती के दूकान ले साबुन बनाये के कास्टिक सोडा बिसायेन । ओमन लीम तेल…
Read Moreछत्तीसगढ़ी भाषा मं लिनक्स अउ विंडोज प्रोग्राम
अडबड खुसी के बात हे कि हमर भाखा के सोर चारो मूडा बगरत हे। कम्प्यूटर म हमर भाखा के झंडा फहराए बर हमर मयारू रवि भईया हर अपन मेहनत ले छत्तीसगढ़ी भाखा मं लिनक्स अउ विंडोज प्रोग्राम रिलीज करईया हे। सरकार चाहही त ये प्रोग्राम ले हमर गांवों गांव के पंचईत भवन अउ च्वाईस सेंटर मन म हमर भाखा म चलईया कम्प्यूटर लग जाही। येखर ले कम्प्यूटर के प्रोगराम मन ला समझना अउ चलाना सरल हो पाही। जादा ले जादा मनखे संचार के ये तरीका ला अपन भाखा म असानी…
Read Moreबात सुनव छत्तीसगढ़ के, बन औषधि के जड़ के
बात सुनव छत्तीसगढ़ के बन औषधी के जड़ के ‘बसदेवा धुन’ कबि – हेमंत वैष्णव, संपादक बालगुडी छत्तीसगढ़ बात सुनव छत्तीसगढ़ के बन औषधि के जड़ के बात सुनव 1. जड़ कांदा फल फूल अउ डार बीज छाल अउ पाना म उपचार बात सुनव औषधि ले जुरे हे जिनगी के तार राज बर आय के अधार बात सुनव बेरा रहत पहिचान करव झन नंदावय धियान धरव जिंकर बिना जिनगी जही…
Read Moreतन मन होगय चंगा
छल प्रपंच के होरी जरगे छलकय निरमल गंगा आते साठ बसंत राज के तन-मन होगय चंगा जूही चमेली चंपा मोंगरा फुलगे ओरमा झोरमा केकती केवरा अउ गुलाब संग धरती गावय करमा लाल-लाल दहकत हे परसा सेम्हर घलो इतरागे कहर-महर सिरसा के फुलुवा थकहा जीव जुड़ागे झमकय घाठ धठौंधा पैरी बाजय ढोल मृदंगा आते साठ बसंत राज के तन मन होगय चंगा मउहा टपकत हे घनबहेरा अउ सरसो पिंउरागे खेत खार कोला बारी बनझारी तक हरियागे जुन्ना पान पतेरा झरगे फुलडोंहड़ी छतरागय लगथे सिरतो हमरो जिनगी नवा अंजोरी आगय सुख सुमता…
Read Moreमँहगाई
मार डारिस हमला मँहगाई, गुनेला होगे का करबो जी । कइसे के जिनगी ला चलाई, गुनेला होगे का करबो जी। माहंगी के दार चाहुंर मांहगी के तेल। माहंगी मा जिनगी हमर बनगे हे खेल।। साग भाजी नुन मिरचा झाड़ु साबुन बट्टा। सपना होगे पहिरे बर नवां कपड़ा लत्ता।। जुन्ना ला कतेक ला उजराई गुनेला होगे का करबो जी। जोंतेन फांदेन निदेन कोड़ेन परगे अंकाल। लुयेन जुच्छा पयरा संगी होगेन कंगाल।। कोठी जुच्छा परे हे भाई, गुने लाहोगे का करबो जी। . कृष्ण कुमार भारतीय . – ग्राम -चिचोली पो.-टेमरी, जिला-दुर्ग…
Read Moreऐसो के देवारी म
चारो मुड़ा गियान के उजियार हो जाए अगियान के अंधियारी घलो मिट जाए, दिया जले मया-पिरीत के सबो अंगना अऊ दुवारी म, कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म। समारू के बेटा घलो नवा कपड़ा पहिर सके, मंगलू के नोनी सुरसुरी जलाके फटाका फोर सके, दिखे बबा अऊ डोकरी दाई के चेहरा म खुसी के चिन्हारी न, कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म। घमघम ले बाली के मारे धान के पउधा ह लहस जाए, डोली म फसल ह सोना-चांदी बरोबर चमक जाए, गुलाब अऊ गोंदा के महक…
Read Moreचित्रगुप्त हा पेसी के पईसा खावत हे, यम के भंइसा अब ब्लाग बनावत हे.
जमराज हा चित्रा गुप्त ला रात के चेता के सुतिस के मोर भैंसा ला बने खवा पिया के सुग्घर मांज धो के राखहु, काली मोला मूनधरहाच ले कोरट जाना हवय भुलाहु झन, चित्रगुप्त हा जम्मो नौकर मन ला चेता के ऊहु हा सुते ला चल दिस, ऍती बिहनिया हुईस ता जमराज हा कोरट जाये बर तेयार रिहिस, चित्र गुप्त ला पुछिस सब तेयार हे ,चित्र गुप्त किहिस हा महाराज, जा एक बार अऊ देख के आबे कहिके पठोईस,चित्रगुप्त कोठा मा गिस ते जम्मो नौकर मन मुह ला ओदारे रहय,पुछिस-का होगे…
Read Moreचित्रगुप्त हा पेसी के पईसा खावत हे, यम के भंइसा अब ब्लाग बनावत हे.
जमराज हा चित्रा गुप्त ला रात के चेता के सुतिस के मोर भैंसा ला बने खवा पिया के सुग्घर मांज धो के राखहु, काली मोला मूनधरहाच ले कोरट जाना हवय भुलाहु झन, चित्रगुप्त हा जम्मो नौकर मन ला चेता के ऊहु हा सुते ला चल दिस, ऍती बिहनिया हुईस ता जमराज हा कोरट जाये बर तेयार रिहिस, चित्र गुप्त ला पुछिस सब तेयार हे ,चित्र गुप्त किहिस हा महाराज, जा एक बार अऊ देख के आबे कहिके पठोईस,चित्रगुप्त कोठा मा गिस ते जम्मो नौकर मन मुह ला ओदारे रहय,पुछिस-का होगे…
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