चित्रगुप्त के इस्तीफा

यमराज – मिरतू के देवता चित्रगुप्त – यमराज के मुकरदम, जीव मन के पाप-पुण्य के हिसाब रखईया यमदूत – यमराज के दूत एक आत्मा – टेस्ट-ट्यूब बेबी के आत्मा दूसरा आत्मा – कोख किराया लेके पैदा होये मनखे के आत्मा तीसर आत्मा – क्लोन के आत्मा ब्रम्हा, विष्नु, महेष –  त्रिदेव ( यमलोक म यमराज के राज-दरबार म यमराज अउ चित्रगुप्त गोठियात हें ) यमराज – इस्तीफा ? चित्रगुप्त – हाँ महराज मोर इस्तीफा। यमराज – इस्तीफा ! ये इस्तीफा काये चित्रगुप्त ? चित्रगुप्त – इस्तीफा, इस्तीफा होथे महराज। यमराज…

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मनकुरिया

मनकुरिया म काय नींगे हे रेकाय नींगे हावे मन कुरिया मं जेखर मूहू लाल लाल, जेखर गाल हे पताल जेखर नीयत हे चण्‍डाल, कईसे करत हें कमाल …. झांकथावे काय ओदे धुरिया ले, ये काय नींगे हावय मोर चोला बढ भोला, काबर लूटत हावो मोला मैं राना प्रताप के बाना आंव मोर चिरहा हे झोला जेला जाने पारा टोला सीलंव कथरी परोसी के देवाना आंव का काहंव ये हाल, जमा बिगडे हे चाल बुढावै आल पाल, देख आंखी ला सम्‍हाल जमा मोहनी भरे हे, लुरलुरिया मा, ये काय नींगे हावय महानदिया…

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तैं ह आ जाबे मैना

तैं ह आ जाबे मैना उड़त उड़त तैंह आ जाबे । मैंह कइसे आवौं ना, मैंह कइसे आवौना, बिन पाँरवी मोर सुवना कइसे आवौं ना मन के मया संगी तोला का बताववं ना तैंह आ जाबे मैना, उड़त उड़त तैह आ जाबे …. पुन्नी के रात मैना चंदा के अँजोर जुगुर–जागर चमकत हे गाँव के गली खोर सुरता आवत हे तोर अँचरा के छोर तैंह आ जाबे मैना, उड़त उड़त तैह आ जाबे …. पुन्नी के अँजोर सुवा बैरी होगे ना दूसर बैरी मोर पाँव के पैरी होगे ना छन्नर–छन्नर…

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मेला मडई

हाट बजार अउ मेला मडई मा, नोनी थोरको नइ पदोय खई-खजानी अउ फुग्‍गा ले बर, फकत कहिथय ददा गा नानूक ठेकली लेबो पइसा सकेले बर ! !! !!! राजा राम रसिक रसिक वाटिका, फेस 3, वी.आई.पी.नगर, रिसाली, भिलाई. मो. 09329364014

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धर ले कुदारी गा किसान : सोनहा बिहान के गीत

धर ले रे कुदारी गा किसान आज डिपरा ला रखन के डबरा पाट देबो रे । ऊंच–नीच के भेद ला मिटाएच्च बर परही चलौ चली बड़े बड़े ओदराबोन खरही झुरमिल गरीबहा मन, संगे मां हो के मगन करपा के भारा–भारा बाँट लेबो रे । चल गा पंड़ित, चल गा साहू, चल गा दिल्लीवार चल गा दाऊ, चलौ ठाकुर, चल न गा कुम्हार हरिजन मन घलो चलौ दाई – दीदी मन निकलौ भेदभाव गड़िया के पाट देबो रे । जाँगर पेरइया हम हवन गा किसान भोम्हरा अऊ भादों के हवन गा…

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छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन 2009

पाछू 23 फरवरी 2009 महाशिवरात्रि के दिन कवर्धा (कबीरधाम) में प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर अउ जिला छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति कवर्धा डहर ले तेरहवां छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन के आयोजन कन्या उमा शाला में करे गिस। ये सम्मेलन के माई पहुना छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष श्यामलाल चतुर्वेदी रहिन। सम्मेलन के सभापति के रूप मा नगर पालिका कवर्धा के अध्यक्ष संतोष गुप्ता जी पधारे रहिन। ”छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन 2009” के उद्धाटन माई पहुना श्यामलाल चतुर्वेदी जी हा माता सरस्वती के चित्र मा पूजा, अरचना करके करिस। सम्मेलन के मुख्य विषय रहिस…

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पईसा म पहिचान हे

 रामदास ह समय के संगे संग रेंगे के सलाह सब झन ल देवत रथे। ”जइसे के रंग, तइसे के संगत” अभी के समय मं पईसा के बोलबाला हावय। एक समय रिहिस जब लाखों के काम एक भाखा मं हो जावय। एक जमाना येहू रिहिस कि गांव के नेता हर गली खोर मं परे डरे कागज, सिगरेट के खोखा मं लिख के देवय कि अमुख के मास्टरी बर आर्डर कर दो, अमुख ल पटवारी के नौकरी मं भरती कर दो तहां तुरूते आर्डर मिल जावय। काबर कि ओ बखत के नेता…

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