”सतरूहन या सतरोहन नाव त इसकूल म गुरुजी ह सुधार के शत्रुघन या शत्रुहन लिख देथे। अउ एक ठन छत्तीसगढ़ी नाव के राम नाम सत्त कर देथे। आज तक कोनो अइसना नाव लिखइया मनखे छत्तीसगढ़ म नई हे। भावना के छोड़ कोनो दूसर बात नो हे।” छत्तीसगढिहा ल भाखा के रूप म प्रतिष्ठित करे बर बहुत कुछ करना बाकी हे। सबसे पहिली तो हमला ये करना पड़ही के जइसे हमन बोलथन वइसने लिखन घलोक। सब्द मन म हिन्दी के परभाव ले सुधार करत जाबो त छत्तीगसढ़ी भाखा…
Read MoreYear: 2009
उठ जा बाबु आंखी खोल
उठ जा बाबु आंखी खोल होगे बिहनिया हल्ला बोल सूत उठ के बासी खा थारी धर के इस्कूल जा इस्कूल जा के पट्टी फॉर अऊ पेन्सिल ला कस के घोर मास्टर ला तैं गारी देबेचाक चोराके खीसा भरबेसरकारी पुस्तक ला तैं चीरबांटी खेलबे बनबे बीरपढ़े के बेर पेट पिराहीदांतों पिराही,मुडो पिराहीभात खा के दुक्की भागमनटोरा के चोराले सागसमारू घर के आमा टोरदेखिस टेकर आंखी फॉरबरातू ब्यारा के राचर छोरढील दे गरुआ होगे भोरदाई-ददा के मूड ला फॉरडोकरा बबा के धोती छोरडोकरी दी के चश्मा हेरखई ले बर ओला घेरइही बूता…
Read Moreजय ३६ गढ़ महतारी
जय जय ३६ गढ़ महतारीरिता होगे धान कटोराजुच्छा पर गे थारीफिरतु हाँ फिलिप होगेहवय बड़ लाचारीओकर घर चुरत हे बरा,सोहारीमोर घर माँ जुच्छा थारीजय जय ३६ गढ़ महतारी खेत खार बेचे के फैले हे महामारीलुट-लुट के नगरा कर दिसनेता अऊ बेपारीगंवईहा मेट हे दारू माबेचावत हे लोटा थारीजय जय ३६ गढ़ महतारीरिता होगे धान कटोराजुच्छा पर गे थारीमोर मन के पीरा लाकैसे मै सुनावँवचारों मुडा लुट मचे हे महतारीतोलो कैसे मै बचावँवमोर जियरा जरत हे भरीजय जय ३६ गढ़ महतारीरिता होगे धान कटोराजुच्छा पर गे थारी आपके संगवारीललित शर्माराष्ट्रीय महासचिवअर्टिसन…
Read Moreकुरसी नी पुरत हे
का जमाना आगे हे भगवान, तुही मन बताव काय करना चाही। जमाना कतका आघु बढ़त हे। तेनहा काकरो ले लुकाय नई हे। कुछु समझ नी आय काय करना चाही। आज के बेरा मा खुरसी के मरमे ला देखलव। पहिली जमाना मा सुघ्घर घर लीप के पहुना ला भुंईंया मा बईठारयं। घर के मनखे संग बईठके सुघ्घर गोटियावंय। पहिली के मन ला अईसने सगा माने मा बिक्कट मजा आय। बेरा के बदलाव संग धीर-धीर येहु मा बदलाव अईस। सबो मा बदलाव आवत हे ता येहु मा बदलाव तो आनाच हे अउ…
Read Moreमनखे अउ सांप
हमर गांव के गली मएक झन सांप देखइया ह आइस.सांप देखौ सांपकहिके जोरदार हांका ल लगाइस.सांप वाले के आरो लघर के मन पाइन.सांप देखे के सौंख मसबे झन बाहिर निकल आइन. संवरा ह सांप के मुंह मअपन अंगठा ल लगाइस.फेर बिख उतारे मंतर लमने मन म बुदबुदाइस.मोटरी ल खोल केजड़ी बुटी ल लगाइस.फेर उही जड़ी बुटी केकीमत ल बताइस.सबे सियनहा मनसांप के पांव परे लागीन. पढ़े लिखे मनसांप के जात ल पूछे लागीन.तभे…रेमटा असन भोला हसांप ल देख के किकयाइस.फेर ओकर मुंह लेअटपटहा असन गोठ ह निकल आइस.पूछीस…ह ग… सांप…
Read Moreसाल गिरहा मना लेतेन जोड़ी
कुकरा बासे नी रिहिस हे। बड़ बिहनिया ले गोसईन हा सुत उठके घर दुवार ला लीप बहार के तियार होगे। मेंहा देखेंव अउ कलेचुप सुतगेंव। गुनत रेहेंव येहा आज पहिली ले कईसे सुतके उठगे हावे कहिके। मोला काय करना हे कहिके धियान घलो नी देंव। गोसईन हा मुंदेरहा ले चहा लान के मुरसरिया मेर आके बईठ गे। तहाने मोला किथे उठना जोड़ी चहा पीले। पहिली बेर तो मेंहा अनसुनी कर देंव, दुसरैय्या मा धीरलगहा काय होगे कहिके कनवात उठेंव। त गोसईन हासत मोर हात मा चहा ल धरात किथे येदे…
Read Moreफेरीवाला
हमर देस हा जबले अजाद होय हावय तेन बखत ले सबला अजादी मिलगे हावय। तेकरे सेती कोनो हा डर नाव के कोनो जिनिस होथे तेनला भुलागे हें। अजादी मा डर के कोनो बाते नईहे। ईही अजादी के फेरा मा जेनहा काय होही देखे जही कहिके कुछु करथे तेकर काहीं घलो नी होवय। अउ डरराय असन ईमान ले जेनहा कुछु करथे तेकरे टोटा मा फांसी वोरमात रिथे। मोला तो अजादी के पर भासा समझे नी आय। नानपन मा दाई-ददा के बंधना, उहा ले निकले तहाने गोसईन लोग-लईका के बंधना अउ बुढ़ापा…
Read Moreछत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ देशबन्धु
अभी-अभी जुलाई के देशबन्धु अपन स्वर्ण जयंती मनइस हावय। रायपुर के निरंजन धरमशाला म बहुत बडे आयोजन होईस। हमर मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह अवइया पचास साल के बाद काय होही एखर ऊपर व्याख्यान दीस। व्याख्यान बहुत बढ़िया रहिस हे। छग के नहीं विश्व के बात होईस जब पूरा विश्व एक हो जही। बहुत अच्छा बात आय। छत्तीसगढ़ी भाषा के कोनो बात नई होईस। पचास साल में चालीस साल होगे देशबन्धु म छत्तीसढ़ी कॉलम आवत। सबले पहिली टिकेन्द्र नाथ टिकरिहा एक कॉलम छत्तीसगढ़ी म लिखत रहिन हे। ओखर बाद भूपेन्द्रनाथ…
Read Moreकईसन कब झटका लग जही…..
काय करबो संगी जिनगी मा जीये बर हे ता खाये-पीये ला परही। करू-मीठ दूनों के सुवाद ला घलो ले बर परही। येदे जिनिस करू हरे नई खावन, येदे गिनहा हे नई खान केहे मा नी होवय। खाबे तभे होही ना, सुवाद ला लेबे तभे तो। अइसने जिनगी मा बने-गिनहा सबो जिनिस ला जाने-अनजाने मा करेच ला परथे तभे जिनगानी ला जीये के रद्दा हा बनत जथे। अईसने हमन सबो के जिनगानी मा कोनो न कोनो रूप मा झटका घलो लगत रिथे। इही झटका ले सीख घलो मिलथे। बिगर झटका खाय…
Read Moreकहिनी : सिरा गे पईसा
बाबू बिहिनिया ले गांव के मडई म किंजर-किंजर के अपन ददा के अगोरा करत-करत असकटा गे हे. ओखर संगी जवरिहा मन मडई म भजिया-जलेबी धडकत अपन-अपन दाई-ददा संग गिंजरत हें. जे पसरा म बाबू ला जिनिस मन ला बोटोर-बोटोर देखत जंवरिहा मन भेंटत हे तउने मेर ओला पूछत हें – का लेस संगी ?, जलेबी खायेस का मितान ?, … वो पिपर तरी के दुकान ले मुर्रा लाडू खच्चित खा के देखबे भाई, अडबड मिठावत हे. रंग-रंग के खात बिसावत संगी मन मेछरावत हें फेर बाबू कलेचुप. ददा बलउदा गे…
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