देसी के मजा

आजकाल जेला देखबे तेला खाये-पीये के, उठे-बईठे के, कपड़ा-लपता फेसन सबो मा विदेसी जिनिस के जाला मा अरझत जात हें। हमर देसी हा कोनो ला सुहावत नईहे, अउ बहिरी के मनहा हमर गुनगान करथें। आघू अउ कइसन बेरा कोनजनी समझ नी आय। एक घाव मोर मितान घर के छट्ठी नेवता अईस। मितान कल्लई असन करिस ता मेहा बिहनिया ले नेवता मा चल देंव, कतको बछर होगे रिहिस गे घलो नी रेहेंव। दू चार झन संघरा हमन बईठे रेहेन, जुन्ना गोठ-बात, सुख-दुख के होवत रिहिस। अवईय्या-जवईय्या मनखे मा परछी सईमो-सईमो करत…

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बियंग कबिता : काशीपुरी कुन्‍दन के आखर बान

बेटी के ददा निरीह लाचार दहेज के बजार म दमांद के खरीदार. इंसाफ वो ह पूछिस, इंसाफ कहां मिलही मैं थाना के रद्दा देखा देंव. आबादी आबादी दिन दुगना रात चौगुना बढे जइसन साहूकार के सूद चढे. समाचार अउ बिचार समाचार – एक झन मनखे भूख म गरगे बिचार – जरूर आम आदमी होही जउन मंहगाई ले डरगे. दवा चमचा – ‘महंगाई ले मनखे मन के नींद हवा हे’ मंत्री – ‘इही, तो मनखे ल जागरूक रखे के सरकारी दवा हे.’ काशीपुरी कुन्‍दन अध्‍यक्ष व्‍यग्‍यंम अकादमी राजिम, छ.ग.

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बियंग कबिता : काशीपुरी कुन्‍दन के आखर बान

बेटी के ददा निरीह लाचार दहेज के बजार म दमांद के खरीदार. इंसाफ वो ह पूछिस, इंसाफ कहां मिलही मैं थाना के रद्दा देखा देंव. आबादी आबादी दिन दुगना रात चौगुना बढे जइसन साहूकार के सूद चढे. समाचार अउ बिचार समाचार – एक झन मनखे भूख म गरगे बिचार – जरूर आम आदमी होही जउन मंहगाई ले डरगे. दवा चमचा – ‘महंगाई ले मनखे मन के नींद हवा हे’ मंत्री – ‘इही, तो मनखे ल जागरूक रखे के सरकारी दवा हे.’ काशीपुरी कुन्‍दन अध्‍यक्ष व्‍यग्‍यंम अकादमी राजिम, छ.ग.

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अंगरेजी परेमी छत्तीसगढिया मन के घलव जय हो !

छत्तीसगढी़ राजभाखा बने के पाछू हमर जम्मे झिन सियान मन अपन-अपन डहर ले भरपूर उदिम करत हें, कि हमर भाखा ह सहर गांव चारो खूंट बगरय, सरकारी आफिस मन म हमर भाखा हा संवाद के भाखा होवय । हमर भाखा के मान दिन दूना-रात चौगूना बढय । तभोले, हमर अंगरेजी परेम हर नई छूटत हावय । हमर अंगरेजी परेम हर सहर भर म नई ये, गांवो-गांव अंगरेजी हा अपन जर ला खोभा लेहे असन जर जमावत हावय । अभिन तो अइसे लागथे कि अडबड अकन अंगरेजी आखर हा हमर भाखा…

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प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन मा लान दे. फकत पिक्‍चर के गोठ ला, स्‍कूल मा गोठियाथे, लहु पसीना के कमई ला, होटल मा उकारथे. सियान के कहना माने, येला थोरिक धियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन…

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प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन मा लान दे. फकत पिक्‍चर के गोठ ला, स्‍कूल मा गोठियाथे, लहु पसीना के कमई ला, होटल मा उकारथे. सियान के कहना माने, येला थोरिक धियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन…

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दर्रा हनागे

संझौती बेरा कोतवार हाका पारत रिहिस- नरवा मा नावा बने पुलिया हा तियार होगे हे, आज ले पांचवा दिन इतवार के हमर कोती के मंतरी फकालूराम हा फीता काटके उदघाटन करही। कोतवार केहाका ला सुनके गांव के लईका-सियान, दाई-बहिनी तिहार बरोबर उछल-मंगल मनात हें, अऊ टुटपुंजिहां गांव के नेता मन अइसे करत हें, जईसे ऊही मन मंतरी ले बाड़गे हे. गौरा-चौरा मेर तो दू पारटी के नेता मन धरी-धरा होगे रिहिन,अभीन के सरपंच किथे-मोर परयास ले पुलिया हा बने हे, पहिली वाले सरपंच किथे- मंत्री ला मेंहा केहे रेहेंव तेकर…

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हमर छत्तीसगढ के होगे बिकास … ??

हमर भारत देस के अडबड बिकास होवत हे, संगें-संग हमर छत्तीसगढ राज बने ले ओखरो अडबड बिकास होवत हावय। कई पहरो ले हमर छत्तीससगढ ला गवांर, अनपढ अउ ना जाने का का कहि के हीने जात रहे हे। अगरेज मन के भागे के पाछू घलोक अडबड माय-मौसी के दुख सहे हे फेर अब दिन बहुर गे हे, सियान मन कहंय ‘बाबू घुरवा के दिन बहुरथे रे, एक दिन हमरो दिन बहुरही’। अब वो दिन आ गे हे, हमर छत्तीसगढ के दिन अब बहुरत हे । गांव म ये ‘बिकास’ ला…

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वन्देमातरम् : महूं पांवे परंव तोर भुँइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मँइया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इँदिरावती हा पखारय तोर पइयां महूं पांवे परंव तोर भुँइया । जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया ।। सोहय बिंदिया सहीं घाटे डोंगरी पहार चंदा सुरूज बनय तोर नैना सोनहा धाने के अंग लुगरा हरियर हे रंग तोर बोली हावय सुग्घर बैना अंचरा तोर डोला वय पुरवइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया रयगढ़ हावय सुग्घर तोरे मउरे मुकुट सरगुजा अउ बिलासपुर हे बंइया रयपुर कनिहा सही घाते सुग्गर फबय नांदगांव दुरूग करधनिया अँचरा तोर डोलावय पुरवइया…

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छत्तीसगढिय़ा हांव मैं

छत्तीसगढिय़ा हांव मैंसब ले बढिय़ा हांव मैंइहां के पानी इहां के माटीरहईयां इहां के इहां के भूईय्याकहे सोन चिरईय्या हंव मैंछत्तीसगढ़ के मोर भुईय्या ला धान कटोरा कईथेसब्बों धरम के संगी साथी जुरमिल के बने रहिथेलड़ई अऊ झगड़ा ले दूर रहिथेंहम सब झने मन एक हे कहिथेंअऊ कहिथे-छत्तीसगढिय़ां हंव मैं सबले बढिय़ा हंव मैंबस्तर के डोंगरी मन मा बड़ लोहाय लोहा भरेदेवभोग के डोंगरी तीर तीर मा हिरा लबालब गडेसिसम अऊ सागौन के रूख के हरियरचिरई मन ऐती ओती उडथे भर भरअऊ कहिथएछत्तीसगढय़ा हांव मैंसब ले बडिय़ा हांव मैंइहां के…

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