कबिता: न ते हारे न में जीतेंव

सनीमा वाला बरसात मा ‘आग ही आग’ लगाथे जड़कला मा ‘हिमालय के गोद मा बिठाथे गर्मी मा’ ‘बिन बादल बरसात’ ल कराथे टोकबे त कहिथे ऐमा तोर ददा के का जाथे! स्टेशन मास्टर स्टेशन मा लिखाये रहिथे फलाना गाड़ी कब आही अऊ कब जाही ये रहिथे पहिली से सेट कभू गाड़ी ह हो जाथे लेट त पूछबे त कहिथे टाइम टेबल नहीं रही त तेंह कइसे जानबे गाड़ी ह राईट हे या लेट हरखराम पेंदरिया ‘देहाती’ श्रीराम मंदिर रोड महासमुन्द

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डॉ. सम्पूर्णानन्द के आस्था : नान्हे कहिनी

स्वाधीनता सेनानी डॉ. सम्पूर्णानंद के अपन देस के संस्कृति म खूब सरधा रहिस। वोकर इच्छा रहिस के हमर देस ह राजनीति भर म नहीं भलुक संस्कृति जेन हमर देस के हे वोहू म तरक्की करय अउ स्वतंत्र भारत म भारतीय सिक्षा नियम लागू होवय। देस जइसने आजाद होइस। डॉ. सम्पूर्णानंद उत्तर परदेस के सिक्षा मंत्री बनिस। वोकर कार्यकाल म कोनो बिस्वविद्यालय के कुलपति वोकर सोज मिले बर आइस। डॉ. साहेब उंकर संग शिक्षा भारत म कइसे दे जाय ये बिसे मे बातचीत सुरू करिन। उन कहिन- अंग्रेज मन जेन पध्दति…

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पुस्तक समीक्छा : धनबहार के छांव म

धनबहार के छाँव म- सुधा वर्मा प्रकाशन मुद्रण एवं वितरण- पहचान प्रकाशन मूल्य- 200 रुपए ये धरती म मनखे के विकास के संगे-संग कहिनी के जनम अऊ विकास के कहिनी सुरू होइस होही। काबर के मनसे जौन देखथे, सुनथे, गुनथे, अनुभव करथे तेला दूसर संग बोलथे, बतियाथे एकरे नांव कहिनी आय। भासा के जनम अउ लिपि के विकास के संग कहिनी अपन वाचिक परम्परा ल छोड़ के लिखित रूप म दिखिस। हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दूनों भाषा के सुरूवाती कहिनी मन म संस्कृत के पंचतंत्र, हितोपदेश, कथा सरित्सागर के प्रभाव दिखथे। मोर…

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छत्तीसगढ़ी में मुहावरा के परयोग

लोक जीवन में बोलचाल में मुहावरा के बड़ महत्व हे। ये भाखा अउ बोली के सिंगार होथे। ये ह गोठ बात के बेरा म ओला परभावशाली अउ वजनदार बनाथे। ये गोठ बात ल पूरा करे के साथे -साथ सही समे अउ इस्थान में परयोग करे ले बोलइया-लिखइया के भाखा में परगट करथे। हमर छत्तीसगढ़ी घलो ह एक बड़हर भाखा आय। मय अपन बीच उठया-बैठइया साहित्यकार संगवारी मन ल पूछेंव कि मुहावरा ल छत्तीसगढ़ी म का कहिथे, तो कोनो सुलिनहा जवाब नइ दिन। कोनो ‘हाना’ बताइन तो कोनो ‘पटन्तर’ कहिन। जबके…

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पूस के जाड़

पुरवाही चलय सुरूर-सुरूर। रूख के पाना डोलय फुरूर-फुरूर॥ हाथ गोड़ चंगुरगे, कांपत हे जमो परानी। ठिठुरगे बदन, चाम हाड़। वाह रे! पूस के जाड़॥ गोरसी के आंच ह जी के हे सहारा। अब त अंगेठा कहां पाबे, नइए गुजारा॥ नइए ओढ़ना बिछना बने अकन। रतिहा भर दांत कटकटाथे, कांप जाथे तन। नींद के होगे रे कबाड़। वाह रे! पूस के जाड़॥ बिहनिया जुवर रौनिया बड़ लागय नीक। घर भीतरी नई सुहावय एको घरिक॥ चहा गरम-गरम पिए म आनंद हे। सुरूज के निकले बिना, काम बूता बंद हे॥ सेटर अऊ साल…

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कहिनी : कोंदी केंवटिन

‘केंवटिन ह राम मंदिर बनवाए के सोचिस। महानदी के तीर एक राम मंदिर बनवाए के इच्छा ल अपन घर म बताइस त तियार तो सबे होगे। बात आइस पइसा-कौड़ी के। रात के अपन लोहा के पेटी ल सबके आगू कोंदी ह खोलिस त पेटी भर रुपिया पइसा देखके पूरा परिवार अकचकागे।’ ‘अना, उर्रा, आडू ले ला’ समान बेचवइया के अवाज ल सुनके सबे ल अटकरे बर परय कि येहा कोन ए, अउ का जिनिस बेचत हे। अतका जरूर पता चल जाए कि ऐहा कोई माई लोगन आय। घर ले बाहिर…

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छत्‍तीसगढ़ के ब्‍लॉगर अशोक बजाज भाई ला कोरी कोरी बधई

 हिन्‍दी नेट जगत के हमर मयारू ब्‍लॉगर संगी अशोक बजाज भाई केछत्‍तीसगढ़ प्रदेस मसहकारिता, पर्यावरण, नसा मुक्ति अउ किसान हित बरसरलग सेवा ला देख केडॉ.रमन सरकार द्वारा उनलावेयर हाउसिंग कारपोरेशन के अधक्‍छबनाए गे हे अउ राज्‍य सासन म मंत्री के दरजा दिए गे हे http://www.ashokbajaj.com हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत अपन बीच म अशोक भाई ला पाके अड़बड़ अनंदित हेअशोक बजाज भाई ला कोरी कोरी बधई …

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भाव के भूखे भगवान – नान्हे कहिनी

एक समे के बात आय, एक झन नानकुन लइका पेड़ तरी बइठे रहय अउ का जानी काय-काय बड़बड़ावत रहय। उही करा एक झन महराज रद्दा रेंगत पहुंचगे। वो ह देखिस वो लइका ह कुछु-कुछु अपने अपन बड़बड़ावत हे। वो ह पूछिस- कस बाबू तैं अकेल्ला बइठे काय बड़बड़ावत हस? वो लइका कथे महाराज! मोर दाई ह मोला कहे जे जब ते ह अकेल्ला रहस त भगवान सोज बात करे कर। वो काहना ल मान के ये ह भगवान कर गुठियावत रहेंव। लइका के बात ल सुनके महाराज ह कथे- सुन…

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छत्‍तीसगढ़ी भासा परिवार के भाषा : विकास अउ साझेदारी

महोदय, छत्‍तीसगढ़ी लोकाक्षर के स्‍वर्नांक (50 वां अंक) के लोकारपन अउ ‘छत्‍तीसगढ़ी भासा परिवार के भाषा : विकास अउ साझेदारी’ विसय म संगोष्‍ठी दिनांक 12.12.2010 दिन इतवार, 10.00 बजे बिहनिया, डी.पी.विप्र महाविद्यालय के सभागार म आयोजित हे। कार्यक्रम के उद्घाटन छत्‍तीसगढ़ी भाषा के सियान लेखक अउ पूर्व सांसद माननीय केयूर भूषण, पं.श्‍यामलाल चतुर्वेदी अध्‍यक्‍छ, राजभासा आयोग के अध्‍यक्‍छता म करहीं। कार्यक्रम म आपके उपस्थिति प्रार्थित हे। विनीत नन्‍दकिशोर तिवारी संपादक सहयोगी भगत सिंह सोनी डॉ.सुधीर शर्मा डॉ.तरू तिवारी प्रकासक छत्‍तीसगढ़ी लोकाक्षर अउ छत्‍तीसगढ़ी लोकाक्षर परिवार, बिलासपुर (छ.ग.) कार्यक्रम विवरन बिहनिया…

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लोकप्रिय-अतिलोकप्रिय-महालोकप्रिय व वरिष्‍ठ-कनिष्‍ट-गरिष्‍ठ ब्‍लॉगर आरंभ मा पढव : – सृजनगाथा के चौथे आयोजन में ब्‍लॉगर संजीत त्रिपाठी सम्मानित पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’

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