छत्तीसगढ़ी फिलिम पीटावत काबर हे? ये सवाल खड़े हावय- काय निर्माता निर्देशक मन स्तर के फिलिम नई बनावत हे? हमर निर्माता निर्देशक मन बहुत बढ़िया गीत, संगीत, कथा, पटकथा, हास्य, रचनावत हे। उच्च तकनिक के उपयोग होवत हे। कोरी-कोरी कलाकार अभिनय म सर्व सम्पन्न हे। सोचे के विषय आय। छत्तीसगढ़ी भासा ल राजभासा के दरजा पाय के बाद घलो आज साहर के लोगन मन हा छत्तीसगढ़ी म नइ बोलत हे एखर कई कारण हो सकत हे जइसे ओमन ला छत्तीसगढ़ी बोले म सरम आवत होही या हो सकथे ओमन हा…
Read MoreMonth: August 2010
मया के तिहार
टीप-टीप तरिया डबरी नरवा नदिया कछार। आगे हरेली, राखी तीजा-पोरा मया के तिहार॥ माते हे रोपा-बियासी खेती-किसानी, जिनगी हमार। हरियर दाई के कोरा धरती माई करत हे सिंगार॥ टीप-टीप… कमरा-खुमरी ओढ़े नगरिहा धरे तुतारी बईला नागर। जबर छाती हावय रे भईया तोर कमईया जांगर॥ टीप-टीप… रच-रच, मच-मच गेड़ी बाजे जाता-पोरा नांदिया बईला साजे भोजली, जेवारा, दौनापान रे मयारू तोर मया चिन्हार॥ टीप-टीप… भोले बबा ल मनाबो रे- चढ़ाबो बेलपाती अउ नरियर। अवङड़ दानी ओ तो अविनासी हे अजर अमर॥ टीप-टीप… रामकुमार साहू ‘मयारू’ गिर्रा पलारी
Read Moreलिंग परिक्छन के परिनाम
”आज जम्मो समाज म लड़की मन पढ़ लिख गिन अऊ लड़का मन ले दूचार करे बर तियान हे। आज हम दूतीन बछर थे देखत आत हम। जेखर घर लड़की हे ओ बाप ह छाती फुलाय अऊ मेछा अटियाय घुमत हे। अऊ लड़का वाला ह कुकुर को कोलिहा बरोबर घिरलत हे। लड़का ल बने पढा लिखा दरे हर अऊ लड़की ल पढ़ाय बर भेद करेस त तोर लड़का बर बहु कहां ले मिलही।” आज के जुग ह बिज्ञान के जुग आय। आज बिज्ञान के सहारा ले मनखे के कहां ले कहां…
Read Moreछत्तीसगढ़िया भाव जगाए मं, काबर लजाथन?
भारत ल मदर इंडिया कइथन, भारत माता मं काबर लजाथन? छत्तीसगढ़ मं हमन रइथन, छत्तीसगढ़-महतारी कहे मं काबर लजाथन? छत्तीसगढ़ के अनाज सबे खाथन, जय छत्तीसगढ़ कहे मं काबर लजाथन? दूसर ल सनमान सबे करथन, दाई-ददा के पांव छुए म काबर लजाथन? दाई ल मम्मी कइथन, दाई कहे म काबर लजाथन? ददा ल डैडी कइथन, ददा कहे म काबर लजाथन? कका ल अंकल कइथन, कका कहे म काबर लजाथन? काकी ल आंटी कइथन, काकी कहे म काबर लजाथन? अंगरेजी म सान से गोठियाथन, छत्तीसगढ़ी बोले म काबर लजाथन? हाय-हलो सनमान…
Read Moreअबिरथा जनम झन गंवा
अबिरथा जनम झन गंवा रे, मानुस तन ल पाके। भगवान ल दोस झन दे रे, कुछु नई दे हे कहिके॥ भगवान दे हे सुग्घर दु हाथ, दु गोड़। मिहनत ले तंय रे, मुहु झन मोड़। सोन ह कुन्दन बनथे, आगी म तपके। अबिरथा जनम झन गंवा रे, मानुस तन ल पाके॥ तोला अऊ देहे बढ़िया, दु ठन आंखी, दु ठन कान। अइसन पाके अनमोल रतन काबर बने हस अनजान? फोकटे झन घूमत र, दूसर के बात म आके। अबिरथा जनम झन गंवा रे, मानुस तन ल पाके॥ भूल के तंय…
Read Moreबरसा के बादर आ रे
मयारू आंखी काजर कस छा रे। बरसा के बादर आ रे॥ सुक्खा होगे तरिया, नरवा। बिन पानी के कुंआ, डबरा॥ बियाकुल होगे जीव-परानी। सबो कहंय-कब बरसही पानी॥ मोर मीत के केस छरिया रे। बरसा के बादर आ रे॥ पंखा डोलावय हवा सरर-सरर। बरसे पानी झझर-झरर॥ मेघ ह गरजय, घुमरय, बरसय। चिरई-चिरगुन, परानी मन हरसय॥ मेघ-मल्हार तैं गा रे। बरसा के बादर आ रे॥ सबके तन-मन ल जुड़ा दे। खेत-खार हरिया दे॥ नदिया म धार बोहा दे। भुंइया ल हरियर रंग सजादे॥ परब-तिहार ल ला रे। बरसा के बादर आ रे॥…
Read Moreलीम चउरा के पथरा
लीम चउरा के पथरा बिकट चिक्कन खड़भूसरा रहिस होगे कइसे बड़ चिक्कन ओ तो जानत हवय सबके अन्तर मन। पंच-पटइल बइठ नियाव करिस सुन्ता सुम्मत के नवा रद्दा गढ़िस। उधो-माधो के भाग ह खुलिस सरकारी योजना म साहेब दूनों के नाव लिखिस। मंगलू बुधियारिन के भांवर परिस इही मेर दूनो झन के पिरित सिरजिस। बिहने ले सांझ होथे गजब तमासा भौंरा-बांटी, बिल्लस तास-तीरी पासा। पुनु रतिहा दिसना दिसाथे धरके कलरकइहा ल दूर फुरसूद सोथे। अनगइहां मन आके इही मेर थिराथे सगा सोदर के पता ठिकाना ल पाथे। गांव भरके मनखे…
Read Moreजिनगी कइसे चलही राम
सिरावत हे गांव ले जम्मो बुता काम जिनगी कइसे चल ही राम… नागर नंदागे अउ टेकटर ह आगे हसियां हिरागे अउ हरवेस्टर ह छागे चुटकी म नाहकत हे दाउ के काम… मंडल गउटियां सब सहर धरलिस भइया बनिहार ल बनी नहीं, नइए पउनी के पोसइया उजरत हे छइयां जनावत हे घाम… चारों खूंट अंधियार हे नइ मिलय उहर ऊप्पर ले पंचैती लंगरा, घोरत हे जहर सरग सही गांव ह, होवत हे नरक समान आज देखबे गांव त अंधियारी म बुड़त हे इही गांव के सेती सहर जगर-मगर बरत हे भलाई…
Read Moreढेलवानी – कहिनी
‘बहू ह बने खाय बर दिस हे मितान चैतु कथे। दिन बीतत गिस एक बखत सुकारो ह अपन घर वाला ल काहत राहय। ते ह तो भारी भलमंता बने हस तोर मितान ल बनी के पइसा अउ भात बासी घलो देवत हस। काकर घर अइसने पइसा खाय बर देत होही। आज ले ओला खाना देय बर बंद करहूं। अब्बड़ दिन होगे तोर मितान ल खावत-खावत।’ एक ठक गांव म बिसाहू अउ चैतु रिहिस। दूनो झन के चेहरा ह मिलती-जुलती रहिस, तेकरे सेती गांव के सियान समारू ह बिसाहू अउ चैतु…
Read Moreचौकीदार घुघवा ( बाल कहिनी)
एक समे के बात ए। सब पंछी मन सकला के तय करीस के आज ले हमर चौकीदार घुघवा रइही। जगवारी अऊ रखवारी के बूता ल घुघवा के सिवा अऊ कोनो दूसर पंछी मन नई कर सकयं। रात के घुघवा ह सबला देख सकत हे। मुखिया पंछी के निरनय ल सब मान लेथें। घुघवा के चौकीदार बने ले चिरई-चिरगुन मन खुसी मनाइन। रात के बेफिकरी होके राहयं। सोच-गुन म परगे ओमन जऊन इंखर सिकार करय। इंखर अंडा-पिलवा ल खाय। घुघवा के चौकस रखवारी ले ऊंखर सिट्टी-पिट्टी गुम होगे। बड़ मुसकिल होगे…
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