मही म रांधे हे, नोनी भुंज बघार के।ले-ले सुवाद, ‘दमांद बाबू’ भाजी बोहार के।डारे हे नोनी मिरचा के फोरन।कब चुरही हम्मन अगोरन।बघारे हे नोनी गोंदली डार के।ले ले… चेतावय दाई, बिगरे झन नोनी।माहंगी के भाजी, नई देइस पुरउनी।रांधबे नोनी सुग्घर झाड़-निमार के।ले-ले… मही-मही कही के, दाई पारे गोहार गा।गजब मिठाय हे भाजी बोहार गा।मत पूछव खरखरइ परसी दुआर के।ले-ले… दमांद ल पसंद हे बोहार भाजी।‘बिदुर’ घर खाइस ‘भगवान’ भाजी।‘मया के भाजी’ खाले चटकार केले-ले… हांसत खलखलावत बिते तुंहर जिनगानी।मिलत राहय सबर दिन, एक लोटा पानी।बइठ जा ‘दमांद बाबू’ पलटी मार…
Read MoreMonth: August 2010
कहिनी – जुड़वा बेटी
जसोदा ल होस आगे। संघरा दू दू नोनी के महतारी बने के खुसी म जम्मो दु:ख, पीरा ल भुलाके हांस-हांस के गोठियाए ल धर लीस। वो बेचारी ल का पता द्वापर जुग के यसोदा माता जइसे येमा के एक झन लईका के महतारी ओहा नोहय। सच्चाई ह तो नोहर अउ परमपिता परमेश्वर के छाती म दबके रहिगे। तीन चार दिन के चहल-पहल अउ उछाह के पाछू नोहरसिंग के घर आज के रतिहा हा सांय-सांय करत हे। बर्तन-भाड़ा अउ समान मन येती-वोती जतर-कतर परे हे। ईंकर बटोरा करईया घर मालकिन जशोदा…
Read More