डोकरी-डोकरा के एक-एक सांस नाती नतरा ल देख के भीतर बाहिर होथे। जानों मानो ऊंकर परान नाती-नतरा म अटके रहिथे।’ ‘ये दुनिया मया पिरित म बंधाय हे तभे ये जुग ह तइहा-तइहा ले चले आत हे। एक सादा सुंतरी म गूंथे रंग-बिरंग के फूल कस सरमेट्टा गुंथाय हे। मया बर जात लगे न कुजात। घर-परिवार, पारा-परोस, गांव मुहल्ला सब नत्ता-गोत्ता मानत एक दूसर के सुख-दुख म काम आवत, अपन करज निभावत, हंसी-खुसी से जियत रेहे के सिक्छा देवत रहिथे ये मया-परेम। जिंकर हिरदे म जतेक परेम हे तेला कभू आंसू…
Read MoreMonth: February 2011
आगे-आगे बसंत के महीना
आगे-आगे बसंत के महीना झूमो नाचो रे संगी जहुंरिया। बइसाख-जेठ म धरे झांझ-झोला पानी बिना तरसे सबके चोला। डाहर चलईया हा खोजत हे छैहा। धुर्रा के उड़े बड़ोरा। आगे… अगहन-पूस ठिठुरन महीना खेती किसानी म भदराये हे धनहा। कोलिहा बपुरा हा देवत हे पाहरा भुर्री तापत बइठे सियनहा। आगे…। मांग-फागुन बसंत के महीना सरसो ह फूले अऊ फूले हे परसा। आमा बगीचा हा महक मारे। कोइली मार हावे कुहकिया। बलौराम कोसा
Read Moreफिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
एक-एक ईंटा, एक-एक पथरा, रेती-सीमेंट अउ बड़ अकन मकान बनाए के जीनीस ले मिस्री ह एक सुग्घर मकान, भवन, महल के निर्माण करथे। ठीक वइसने एक फिलीम के निरमान म नान-नान जीनीस अउ कई झन व्यक्ति के सहयोग ले होथे। फिलीम म बाल कलाकर मन के भूमिका ल घलो छोड़े नई जा सकय। चाहे वो फिलीम मुंबइया हो, बंगाली हो, दक्षिण भारतीय हो उड़िया हो या फेर हमर छत्तीसगढ़िया हो। छत्तीसगढ़िया फिलीम के बाल कलाकार ले मोर भेंट होईस त मोला लागिस कि छत्तीसगढिया फिलीम घलो बाल कलाकार के बिना अधूरा…
Read Moreनान्हे कहिनी: लइकाहा बबा
नउकरी ले रिटायर होये के बाद गांव ले ये सोच के अपन बेटा कना शहर आ गे कि बांचे जिनगी बेटा कने नाती मन संग खेलत खावत कट जाही। संझा सात बछर के नाती संग सहर के एक मात्र बगीचा मा घूमे बर आ गिन। वो हा देखिन बगीचा मा जम्मो मइनखे घूमत-फिरत हावय, कोनो-कोनो बइंच मा या भुंइया के घांस मा बइठ के गोठियावत हावय। नान-नान लइकामन घांस मा घोंडत हावय। सूरज देवता पछिम मा डूबत हावय। चिरई-चिरगुन मन अपन-अपन खोदरा तनि लहुटत हावय। वो ह अपन नाती संग…
Read Moreहीरानंद सच्चिदानंद वात्सायन अज्ञेय के तीन कविता
सांपसांप! तोला सऊर अभी ले नई आईससहर म बसे के तौर नई आईसपूछत हंव एक ठन बात-जवाब देबे?त कइसे सीखे डसे बर-जहर कहां पाये? पुलजोन मन पुल बनाहींवो मन सिरतौन पाछू रहिं जाहींनहक डारही सेनारावन ह मरही जीत जाही राम हजोन मन बनईया रहिनवो मन बेन्दरा कहाहीं। बिहनिया जागेंव त…बिहनिया जागेंव त घाम बगर गे रिहिसअऊ एक ठन चिरई ह अभीच्चे गीत गावत रिहिस।मेंहा घाम ले कहेंव, मोला थोरिक गरमी देबे का उधार?चिरई ले केहेंव तोर गुरतुर बानी थोरिक उधार देबे का?कांदी के हरियर पाती ले पूछेंव- थोरिक हरियर सुघरई…
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