Month: April 2011
गॉंव कहॉं सोरियावत हे : अंखमुंदा भागत हें
कहे भुलाइन कनिहा कोहनीघुठुवा मुरूवा* माड़ी !पिसनही जतवा* ढेंकी* अऊमूसर धूसर कॉंड़ी*!पर्रा* बिजना* टुकना टुकनीपैली* काठा खाँड़ी !सेर पसेरी नादी* ठेकवा*दीया चुकलिया* चाँड़ी !लीटर मीटर किलो म अबजिनिस ह जमो नपावत हे! बटलोही* बटुवा थरकुलिया*कोपरा कोपरी हंडा!किरगी-किरगा* पाला* पौली*अउ दरबा* सत खडा!बटकी मलिया* गहिरही* ओहाथी पाँव कटोरा!फूल कांस थारी म परसयजेवन बहू अंजोरा!अब फकत फाइबर चीनी के घर घर सेट सजावत हें! नींद भर रतिहा ले जागंयअउ का म बुता ओसरावंय!चटनी बासी टठिया भरबेरा ऊवत पोगरावंय*!हंसिया कुदरी धरे हाथमुंड़ म डेकची भर पानी!पाछू पाछू चलय मंडलिनआगू चलय जहानी!अब तो आठ…
Read Moreमोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : महंगा जमो बेचावत हें
रूपिया भर म कतेक बतावनका का जिनिस बिसावन!कॉंवर भर भर साग पानटुकना भर अन्न झोकावन!राहर दार लुचई के चाऊंरचार चार सेर लावन!अइसन सस्ता घी अउ दूध के पानी असन नहावन!अब सरहा पतरी के दाम हरूपिया ले अतकावत* हे! ‘‘पानी के बस मोल’’ के मतलबसस्ता निचट कहाथे!अब तो लीटर भर जल ह पनबीस रूपिया म आथे!थैला भर पैसा म खीसा भरअब जिनिस बिसाथन!महंगाई के जबर मार लरहि रहि के हम खाथन!मनखे के मरजाद छोड़ अबमहंगा जमो बेचावत हे! सपना हो गय तेल तिली के अउ तेली के घानी!अरसी अंड़ी भुरभुंग लीम…
Read Moreमोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : तइहा के सब बइहा ले गय
तइहा तिरिथ बरथ खातिरघर ले कउनों जब जावंय!जमो कुटुम जुरियाये गांव के मेड़ो तक पहुंचावंय!गुनय बहुर के आ पाही के ओही कती खप जाही!तुलसा दही खवादंय मरके कहुं सरग मिल पाही!रेंगत आवंय जावंय सुन के अब अतंस करलावत हे! माड़ी भर धुर्राये धरसागदफद* चिखला मातय!चार महीना चौमासा लसजा बरोबर काटंय!पट पट ले अब सुखा चिमटीभर धुर्रा नइ माढय़!गिट्टी डामर सिरमिट के अउकाम दिनो दिन बाढय़!राजीव इंदिरा अटल सड़क लेगांव गांव जुरियावत हें। मुरूम भांठा डोंगरी पहरीनदिया खंड़ के रेती!बड़े असामी* मन बर हो गंयजनव अनाथिन बेटी!धन बल अउ सरकार के…
Read Moreमोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : मातर जागंय
बड़ा अटेलिहा* अहिरा छोकरादूध बिना नइ खावंय !घाट पाट बीहर जंगल मगाय अउ भैंस चरावंय !भड़वा मन म दूध चुरोवंयमरकन* दही जमावंय !भिनसरहा ले चलय मथानीठेकवन* लेवना पावंय !घी के बदला दूध ल अब तोखोवा बर खौलावत हें ! चरवाही संग गाय भैंस के रच्छा सुघर करे बर !किसान कन्हानई कुल के देवतापूजंय दुख हरे बर !नवा खवावंय मातर जागंयपुरखन ल फरियादंय !गांव ठांव म सबके मंगलठाकुर देव ले मागंय !बिन दइहान अब दुल्हादेव* के खोड़हर* नइ पूजावत हें ! एकादशी देवारी धर के कातिक तइहा आवय !अंगना डेहरी तुलसी…
Read Moreमोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : नाचा-गमत
नाचा गमत रहस लीला तक धीरे धीरे नदाथें!सधे मजे कइ कलाकार ललोगन घलव भुलाथें!चैन चिकरहा तुला तबलहारघ्घु जइसन रागी!परी प्रेम जोधन कस जोकरमसलहा* बैरागी!गिरिवर के नाचब ल अभोगली-गली गोठियावत हें! पुतरी अउ ओ रहस लीला के दिन जानव दुरिहागंय!टी व्ही विडियो फिल्मी एलबमठौर म इंकर समागंय!ब्रहा,बिसनू,पारबती,शिव,संग राधा गिरधारी!बिसर के चारो धाम करावतहें सिरियल म चारी*!भेख बदलगे देश बदलगेबपुरा करम ठठावत* हें! हाथी आतंकी कस लागंयभीम ह नसल वादी!धरे तंबूरा नारद लागयडोकरी संग फरियादी!गाय बछरूवा अउ जनता के गइया गति होवत हे!अहिरा कस सरकार कलेचुप*मुड़ धर के रोवत हें!चतुरा चमरू चिकरहा…
Read Moreभिनसारे ले हर-बोलवा मनरूख ले अलख जगावंय!झुनकी घुंघरू संग मजीराधरे खंजरी गावंय!भाग देख दरवजा आइनहर गंगा दुहरावंय!सबके मंगल अपन संग ममालिक ले गोहरावंय!अब अपन हित खातिर पर के गर म छुरी चलावत हें! बेंदरा भलुवा धरे मदारीजब गलियन म घूमय !डमरू के डम डम ल सुनके लइका पिचका झूमय!डांग* चढ़ंय डंग-चगहा* कइ ठनहुनर अपन देखावंय!गुप्ती के पैसा अउ कोठीके अन्न हर ले जावंय!बस्तरिहा ओ जरी बूटी नबैद सही अब आवत हें! गोरखनाथी गोदरिया के सारंगी जब बाजंय!काम बुता ल छोड़ के लोगनखोर गली बर भागंय!भजन भरथरी अउ गोरख के गा…
Read Moreमोर गॉंव कहॉं सोरियाव हे : बिन पानी
रतनपुर जइसन कइ गढ़ के छै छै कोरी तरिया।बिना मरमत खंती माटीपरे निचट हें परियाबरहों महीना बिलमय पानीसोच उदिम करवइया!जोगी डबरा टारबांधस्टापडेम बनवइया!मिनरल वाटर अउ कोल्डड्रिंक फेंटा पीके गोरियावत हें! पुरखौती कुवाँ बवली के पानी धलव अटाथे!नदिया खँड गहिरा झिरिया मरेती सिरिफ तकाथे* !भाजी भांटा कोंचइ कॉंदाबिन पानी का जगरंय !हरियर चारा दुबी झुरागंयगाय गरू का बगरंय!रसाताल* के पानी सोत हदिनो दिन गहिरावत हें! पचरी घाट नहावंय तइहाअउ अड़बड़ सुख पावंय!अब तरिया भर पचरी पनबिन पानी कहाँ नहावंय!गली खोर अउ चौबट्टा महेंडपंप जब हालंय!बिन पानी के दू असाढ़ कसबैरी जइसन…
Read Moreमोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : दुबराज चांउर के महमहाब
बेरा कुबेरा नगरिहा अउगड़हा गाड़ी जोतंय!मसमोटी* म हांक त बैलागजब ददरिया सोंटय!पारय टेही संगवारी हअउ जुवाब म गावय!हिरदे के जमो जियान लचतुरा जनव घटावय!खेतखार का डगर डगर अबट्रक ट्रेक्टवर टर्रावत हें! मिसे कूटे धान पान अउओन्हा री संझके रहा!दौंरी बेलन दूरिहागंयआ गय ट्रेक्टंर टेर टेरहा!मुठिया* डाँड़ी धुरखिल्ली*सुमेला* सूपा कलारी* !बावन बख्खेर कुड़ी* कोपर*दतरी* नागर जुवाँरी!नहना* जोता* बरही* का परचाली* नाव भुलावत हे! घी राहर दार के संग सुघ्घारदुबराज चाउँर के महमहाब!धनिया मेथी संग नइ रहि गयगोभी के तइहा कस रूआब!भुइंयाँ भर म जहर मिलावतहे रसायन खातूसाग पान ल घलव चढ़ाथेसूजी…
Read Moreमोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : चाल चरित म कढ़े रहंय
होये बर होथे गाँव गाँवकी रतन अउ नवाधा रमायन!सतसंग भागवत कथा घलवपन बाहिर कुकुर कटायेन*!बात बात म ओरझत फिरथेंबिरथा रार बढ़ाथें!छिन भर म जुग भर के जोरेनता ल होम चढ़ाथें !नेम धेम मनवइया ओकर लेदिन दिन दुरिहावत हें! भले रहंय अड़हा तइहा पनकइ ठन गुन ल पढ़े रहंय!कदर करंय जइसन के तइसनचाल चरित म कढ़े रहंय!पर के खातिर सरबस देवंयबोलंय मधुरस कस बानी!आज सरावत हें घुरूवा मलाज सरम सब बिन पानी!काल परो दिन अउ का होहीअंतस सोच सतावत हे! पढ़ंता गुनवंता मन के आज हे घलव जमाना!उद्दिम करके बुध बल…
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