अब नवा जमाना के लइका सब नवा नवा भर गोठियाथेंहंसिया कुदरी घर खेत कतीजाये खातिर बर ओतियाथें*!बाबू साहेब अउ हवलदारपढ़ लिख के कइ झन होवत हें!कइयों झन के करतूत देखदाई ददा मन रोवत हें!काम कमाई बिन कौड़ी भरसूट बूट झड़कावत हें! अब के लइका मन के होथेऊंच पूर कद काठी।पन नइ जानय अखरा का येअउ भांजे बर लाठी!रतिहा भर म राजनीति के होथें जबर जुवारी!पंचपति, सरपंच पति बनलक्ष्मीपति पुजारी!होटल म खावब अउ मोटर मबस चलब सुहावत हें। राजनीति के ओट म अइसननगरा नाचे लागिन!तइहा के सोये राक्वछस मनलागत हे फेर…
Read MoreMonth: April 2011
संगी मन संग अपन गोठ-बात
संगी मन ला जोहार, जब हम अपन नेट संगी मन मेर सुनता-सलाह करके 2 अक्टूबर 2008 ले गुरतुर गोठ के बाना उंचाए रहेन त हमर सोंच रहिस हावय के येला पतरिका के रूप देबोन, चाहे त सरलग नहीं त एक-दू दिन के आड़ म, अलग-अलग विधा के माला गूंथत। …. फेर बेरा के कमी अउ रचना मन ल टाईप करे बर सहयोगी नई मिले के सेती हम येला छिर्रा संचालित करे लागेन। पाछू कई साल ले नेट म बिलमे रहे ले हमला ये बात के अभास हावय के संगी मन…
Read Moreगुरतुर गोठ परकासन के बारे म सूचना
संगी मन ला जोहार, जब हम अपन नेट संगी मन मेर सुनता-सलाह करके 2 अक्टूबर 2008 ले गुरतुर गोठ के बाना उंचाए रहेन त हमर सोंच रहिस हावय के येला पतरिका के रूप देबोन, चाहे त सरलग नहीं त एक-दू दिन के आड़ म, अलग-अलग विधा के माला गूंथत। …. फेर बेरा के कमी अउ रचना मन ल टाईप करे बर सहयोगी नई मिले के सेती हम येला छिर्रा संचालित करे लगेन। पाछू कई साल ले नेट म बिलमे रहे ले हमला ये बात के अभास हावय के संगी मन…
Read Moreगॉंव कहॉं सोरियावत हे : घंघरा -घुघरू, घुम्मिर-घांटी
पहली संस्करन : 2010मूल्य : एक सौ रुपएकृति स्वामी : बुधराम यादवप्रकाशक : छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, जिला शाखा, बिलासपुर (छ.ग.)आखर संयोजन : योगेन्द्र कुमार यादवछापाखाना : योगी प्रिन्टर्स, डी-1, सुपरमार्केट, अग्रसेन चौक, बिलासपुर (छ.ग.) मोबाइल : 094252 22806 सम्पर्क : बुधराम यादव `मनोरथ’, एमआईजी-ए/8, चंदेला नगर रिंग रोड नं.2, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)मोबाइल : 097551 41676 सुरता आथे सुखरा डोकरासन के गुढुवा* आँटत ढेरा*!मचिया बइठे चोंगी पीयतमाखुर थैली धर पठेरा*!दू आखर गावय बांस गीतअउ चार आखर लोरिक चंदा!अरखावत सुार बीच बीचहे मया मोह जवर फंदा!अइसन गावत नाती नतुरा लकउन आज भुरियावत* हे!आँखी…
Read Moreगॉंव कहॉं सोरियावत हे : गठरी सब छरियावत हें
पहली संस्करन : 2010मूल्य : एक सौ रुपएकृति स्वामी : बुधराम यादवप्रकाशक : छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, जिला शाखा, बिलासपुर (छ.ग.)आखर संयोजन : योगेन्द्र कुमार यादवछापाखाना : योगी प्रिन्टर्स, डी-1, सुपरमार्केट, अग्रसेन चौक, बिलासपुर (छ.ग.) मोबाइल : 094252 22806 सम्पर्क : बुधराम यादव `मनोरथ’, एमआईजी-ए/8, चंदेला नगर रिंग रोड नं.2, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)मोबाइल : 097551 41676 देखते देखत अब गांव गियाँसब शहर कती ओरियावत हें!कलपत कोयली बिलपत मैनामोर गाँव कहाँ सोरियावत हें!ओ सुवा ददरिया करमा अउफागुन के फाग नंदावत हेओ चंदैनी ढोला-मारूभरथरी भजन बिसरांवत हे! डोकरी दाई के जनउला*कहनी किस्सा आनी बानी!ओ…
Read Moreसुकवि बुधराम यादव के सरस कविता संग्रह ”गॉंव कहॉं सोरियावत हें” गुरतुर गोठ म लउहे
नवा जमाना अउ समे के परभाव लेगॉंव-गँवई के असल सरूप सिरावत हे,चाल-चरित्तर नंदावत हे अउ गुन ह जनव गंवावत हे।गॉंव दिनों दिन सहर कति सरकत जाथे,ये सबके पीरा ले सरोकार खग-पंछी लमनखे ले जनव जादा हावय।तभे तो ये सगरी कविता कोईली के कलपबअउ मैना के बिलपब ले सराबोर हे। हमर गुरतुर गोठ के प्रबंध संपादक आदरनीय सुकवि बुधराम यादव के पाछू दिनन सरस कविता संग्रह ‘गांव कहॉं सोरियावत हे’ के प्रकासन होए हे। जेखर विमोचन छत्तीसगढ़ साहित्य समिति के प्रदेस स्तरीय सम्मेलन में होइस। ये कविता संग्रह म संग्रहित कविता मन ला…
Read Moreसरग असन मोर गांव
”लोक कला ल बिगाड़ने वाला कलाकार मन छत्तीसगढ़ जइसे सुंदर राज भारी कलंक आए। फेर कहीथें न कि ”टिटही के पेले ले पहार ह नई पेलाय।” अइसने हे हमर लोककला ल बिगाड़-बिगाड़ के देखाने वाला कलाकार मन अपन जिनगी म जादा सफल नई हो सकय। जल्दी नाम दाम कमाए के चककर म जउन कलाकार परही तेहर ओतक जल्दी नंदा घलो जाही।” गांव में सबले जादा अगर कोनो गारी खाय ओहा करमु सेठ रहीसे। अउ जेकर बिना गांव के कोनो काम नई होवय उहुच हा करमु सेठ रहीस। मरनी-हरनी, छट्ठी-बरही, बर-बिहाव,…
Read Moreपरतितहा मन पासत हे
मानुख ल अपन मन के आस्था ल प्रकट करे बर कोनो से पुछे के जरूरत नइये। जइसन मन म आवथे तइसन रकम ले अपन सरधा ल भगवान म अरपन करव। काबर की भक्ति ह साधन करे ले मिलथे। सिरिफ इही बात के धियान राखव कि कोनो ह साधन के आड़ म अनहोनी झन करै। एक झन अनहोनी करही त साव उपर घलोक कांव कांव होही इकरे सेती साधन ल सेत होके करिहव त जादा बने रही। आस्था अउ भक्ति ल इज्ञान बिज्ञान कुछु काहय फेर पुजा पाठ धरम करम ह…
Read Moreचैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 6 : अरुण कुमार निगम
मात-पिता के मान हो, गुरु के हो सम्मान।मनखे बन मनखे जीये, सद्बुद्धि दे दान।। ओ मईया …… लोभ मोह हिंसा हटे, काम क्रोध मिट जाय।सतजुग आये लहुट के, अइसन कर तयं उपाय।। ओ मईया …… अनपूरना के वास हो, खेत खार खलिहान।कोन्हों लाँघन झन रहै, समृद्ध होय किसान।। ओ मईया …… तोर बसेरा कहाँ नहीं, कन-कन तहीं समाय।जउन निहारे भक्ति से, तोर दरसन फल पाय।। ओ मईया …… अँचरा मा ममता धरे, नैनंन धरे सनेह।बिन मांगे आसीस मिलय, शक्ति समाये देह।। ओ मईया …… कटय तोर सेवा करत, जिनगी के…
Read Moreचैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 5 : अरुण कुमार निगम
कहूँ नाच-गम्मत कहूँ, कवी-सम्मलेन होय। कहूँ संत-दरबार सजै, कहूँ मेर कीरतन होय।। ओ मईया …… सिद्धि पीठ, मंदिर-मंदिर, जले जंवारा जोत। जेकर दरसन मात्र ले, काज सुफल सब होत।। ओ मईया …… कई कोस पैदल चलयं, हँस-हँस चढ़यं पहार। मन मा भक्ति जगाय के, भक्तन पहुँचय दुवार।। ओ मईया …… कोन्हों राखयं मौन बरत, कोन्हों करयं उपास। माँ टोला अर्पित करयं, सरधा अउ बिस्वास।। ओ मईया …… भक्ति-भाव म डूब के, ज्योती-कलस जलायं। नर-नारी नव राती मा, मन वांछित फल पायं।। ओ मईया …… माता-सेवा जब सुनय, मन मा उठय…
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