जयंत साहू के गोठ बात : फिल्म सिनेमा एवार्ड बोहागे धारे-धार

छत्तीसगढ़ी सिनेमा म घलो अब पराबेट संस्था समूह डहर ले इनाम बांटे के प्रचलन सुरू होगे। बिते बखत पेपर म पढ़े बर मिलीस की छत्तीसगढ़ी सिने एवार्ड दे जाही। कोन कोन ह सम्मान के हकदार होही तेकर चुनई करे बर जुरी बने हे। जुरी म चुरी पहिनईया मन नही बल्कि पढ़े लिखे कलमकार मन हाबे। ये बात के गम पायेव त मन ल संतोश होइस की निर्णय सही-सही होही। काबर की सही निर्णायक के नइ रेहे ले इनाम ल अपने चिन पहिचान के आदमी ल देके परयास घलो रिथे। कभु…

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चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 4 : अरुण कुमार निगम

बम्लेस्वरी बल दान दे, मयं बालक कमजोर। तोर किरपा मिल जाय तो, जिनगी होय अँजोर।। ओ मईया …… दंतेस्वरी के दुवार मा, पूरन मनोरथ होय। सुन के मयं चले आय हौं, मन-बिस्वास सँजोय।। ओ मईया …… अरज करवँ माँ सारदा, दे शक्ति के दान। तयं माता संसार के, हम सब तोर संतान।। ओ मईया …… सुमिरत हौं समलेश्वरी, संकट काट समूल। तोर चरण अर्पण करवँ, मन सरधा के फूल।। ओ मईया …… माँ अम्बे झुलना झुलय, अमरैय्या के छाँव। सरधा भक्ति माँ झूम के, झुला झुलावे गाँव।। ओ मईया ………

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चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 3 : अरुण कुमार निगम

दुर्गा के दरबार मा, मिटे, दरद ,दुःख, क्लेस। महिमा गावें रात-दिन, ब्रम्हा बिस्नु महेस।। ओ मईया …… किरपा कर कात्यायिनी, मोला तहीं उबार। तोर सरन मा आये हौं, भाव-सागर कर पार।। ओ मईया …… हे महिसासुर मर्दिनी, सुन ले हमर गोहार। पाप मिटा अउ दूर कर, जग के अतियाचार।। ओ मईया …… दरसन दे जग-मोहिनी, मन परसन हो जाय। कट जाय कस्ट, कलेस अउ, सबके नैन जुड़ाय।। ओ मईया …… सुमिरौं तोरे नाम ला, जस गावौं दिन-रात। सर्व मंगला सीतला, सुख के कर बरसात।। ओ मईया …… शैल पुत्री सिंहवाहिनी,…

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चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 2 : अरुण कुमार निगम

नवग्रह के पूजा करैं, पूजैं गौरी-गनेस। खप्पर-कलस ला पूज के, काटयं कलह-कलेस।। ओ मईया …… तोर चरण अर्पण करवं, नरियर, मेवा, पान। जय अम्बे, जगदम्बे मा, जग के कर कल्यान।। ओ मईया …… मन बिस्वास के आरती, सरधा-भक्ति के फूल। अर्पित हे तोर चरण मा, हाँस के कर ले कबूल।। ओ मईया …… अगर-कपूर के आरती, गोंदा के गरमाल। पूजा बर मैं लाये हौं, कुंकुम, सेंदुर, गुलाल।। ओ मईया …… ब्रम्हानी-रुद्रानी मा, कमलारानी देख। सुर नर मुनि जन दुवार मा, पड़े हे माथा टेक।। ओ मईया …… सुम्भ-निसुम्भ सँहार करे,…

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चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 1 : अरुण कुमार निगम

ओ मईया …… मूड़ मुकुट- मोती मढ़े, मुख मोहक-मुस्कान। नगन नथनिया नाक मा, कंचन-कुंडल कान।। ओ मईया …… मुख-मंडल चमके-दमके, धूम्र विलोचन नैन। सगरे जग बगराये मा, सुख-संपत्ति,सुख-चैन।। ओ मईया …… लाल चुनर, लुगरा लाली, लख-लख नौलख हार। लाल चूरी, लाल टिकुली, सोहे सोला सिंगार।। ओ मईया …… करधन सोहे कमर मा, सोहे पैरी पाँव। तोर अंचरा दे जगत ला, सुख के सीतल छाँव।। ओ मईया …… कजरा सोहे नैन मा, मेहंदी सोहे हाथ। माहुर सोहे पाँव मा, बिंदी सोहे माथ।। ओ मईया …… एक हाथ मा संख हे, एक…

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ढेला अऊ पत्ता

छोटकू म पहिली कक्षा म भरती होयेन त छोटे गुरूजी बिजलाल वरमा हर ढेला अऊ पत्ता के कहिनी सुनाये रिहिस से तेकर सुरता आज ले हावे। ठेला अऊ पत्ता दू परोसी दूनों म अड़बड़ मया राहय बिपत के बेटा म तको एक दूसर के संग देवे म गूलाझांझटी नई करेय। एक दिन ढेला हर पत्ता ल कहिथे संगवारी असाढ क़े दिन बादर आगे पानी गिरे ल धरही तइसे तैंहा मोर ऊपर तोपा जाबे एकर से मय घुरे ले बांच जाहूं। पत्ता हर ठेला के बात ल मान के हुंकारू भरथे।…

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कबिता : चना-बऊटरा-तिवरा होरा

शहरिया बाबू आइच गांव म।खड़ा होइस बर पिपर छांव म॥ दाई ददा के पाव पलगी भुलागे।बड़ शहरिया रंग छागे॥ये माघ के महिना।पहिने सुग्घर गहिना॥गिरा घुमे फिरे अपन खेत म।छत्तीसगढ़िया रेंगना रेस म॥हेमा पुष्पा मन्टोरिया पोरा।भुंजिस चना बऊटरा तिवरा होरा॥देख के शहरी बाबू पूछय।मगन होके मेड़पार म सुतय॥देख डारिस किरपा डोकरा।पूछे काहा ले आय हे छोकरा॥बड़ हमेरी बोलत हे।किचि पिचि भाखा खोलत हे॥का मिलथे बाबू शहर म।धूल गैस के कहर म॥इहा शुध्द ठण्डा हवा पीले। निरोगी जीवन जी ले॥कुहकय कोयली खार म।बइठ के चा बटर खाले पार म॥ममता मई होथे महतारी…

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कबिता : नोनी

पढ़-लिख लिही त राज करही नोनी। नइते जिनगी भर लाज मरही नोनी॥ पढ़ही त बढ़ही आत्म विसवास ओकर दुनिया मा सब्बो काम काज करही नोनी। जिनगी म जब कोनो बिपत आ जाही,  लड़े के उदीम करही, बाज बनही नोनी। पढ़ही तभे जानही अपन हक-करतब ल, सुजान बनही, सुग्घर समाज गढ़ही ोनी। परवार, समाज अउ देस के सेवा करही, जिनगी ल सुफल करे के परियास करही नोनी। गणेश यदु  संबलपुर कांकेर

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नाचे नागिन रेडियो-रेडियो

मैं ओ रेडियो वाला ल पूछेंव- कइसे जी ये रेडियो म का चलत हे अउ ऐला इहां काबर मड़ाय हस। तब रेडियो वाला किथे- ते नइ जानस गा, ये रेडियो में नागिन वाला गाना चलत हे। सांप मन इही गाना में तो नाचत हें। जब तक गाना चलत रही सांप ह नाचत रही। वाह रे केसिट के महिमा आदमी ते आदमी सांप ल घलो नचाय के हिम्मत राखथस। जब ले घर-घर म टीवी, रेडियो आय हे तब ले ये कलाकार मन केसिट म समा गे हाबे। बीस रुपिया के केसिट…

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जन आन्दोलन के गरेर

पापी दुस्ट आत्मा मन के नास करे बर, धरम के रक्षा करे खातिर बर बड़े-बड़े रिसी मुनि, गियानी-धियानी, बखत-बखत मा आगू अईन हे। भगवान राम के गुरु विश्वामित्र, चन्द्रगुप्त के गुरु चाणक्य, शिवाजी के गुरु रामदास, आनंद मठ के सन्यासी जइसे उदाहरन ले इतिहास भरे पड़े हे। गुरु सऊंहत राज नई करय फेर पापी, राक्छस मन के नास करे बर बीर पुरुष मन ला तियार करथे। उन ला प्रेरना देथे। वर्मा:- कइसे जी मिश्रा जी! ये मिस्र मा का होगे जी? मिश्रा:- उही जऊन अब हमरो देस मा घलो होके…

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