हमर मया मा दू आखर हे इही हमर चिन्हारी जी तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर ऊपर परिही भारी जी. हमर मया मा खोट नहीं हे सोना – चाँदी, नोट नहीं हे त्याग-तपस्या मूल मंत्र हे झूठ – लबारी गोठ नहीं हे अजमा के तुम हमर मया ला देखव तो संगवारी जी…… तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर ऊपर परिही भारी जी. तुँहर प्रेम बस सात जनम के मया जनम-जन्मांतर के प्रीत किये दु:ख होवे संगी मया मूल सुख-सागर के अपना के तुम हमर मया ला देखव प्रेम-पुजारी जी…… तुँहर प्रेम के…
Read MoreYear: 2012
छत्तीसगढ़ के रफी : केदार यादव
सुरता : एक जमाना रहिस जब सत्तर – अस्सी के दसक म आकासवाणी ले छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय गीत ‘बैरी-बैरी मन मितान होगे रे, हमर देस मा बिहान होगे रे’ जब बाजय त सुनईया जम्मा छत्तीसगढ़िया मन ये गीत के संगे-संग गुनगुनाये लागंय। ये गीत के गायक के भरावदार गला अउ सुमधुर कोरस के संग पारंपरिक संगीत ला सुनके रद्दा रेंगईया मन गीत सुने बर बिलम जावंय। अइसन आवाज के धनी गायक अउ संगीतकार के नाम रहिस, केदार यादव, जउन ला छत्तीसगढ़ी के मोहम्मद रफी कहे जाथे। केदार यादव के संगीत…
Read Moreबाल गीत
देखे म लोर लोर, बताये म जोर जोर गांव गली सोर सोर, गाड़ी बइला होर होर पानी गिरय झोर झोर, मूंड गांथे कोर कोर छत्तीसगढ़ मोर मोर, बोली भाखा ओर ओर तीजा तिहार पोर पोर, बेटी रोवय फोर फोर भईया आही अगोर अगोर, साव बनगे चोर चोर रानी कहय घोर घोर, राजा कहय थोर थोर धोती कहय छोर छोर, लुगरा पहिरे नोर नोर अंगना दुवारी खोर खोर, नता गोता तोर तोर करमा ददरिया टोर टोर, भाव भजन भोर भोर छइयॉं भुइयॉं ठोर ठोर, नादी बइला बोर बोर सोरा जिला डोर…
Read Moreसपना के गांव
हाना हाना म डोले मोर सपना के गांव पाना पाना म लिखे महतारी के नांव. झुनुक झेंगुर हर गावे फुदुक टेटका मगन आनी बानी के फूल इंहा हरियर उपवन बाना बाना मा बोले मोर सपना के गांव पाना पाना म लिखे महतारी के नांव. धरे नांगर तुतारी, धनहा बिजहा माटी धरती दाई के बेटा के भुइंया थाती गाना गाना म फूले मोर सपना के गांव पाना पाना म लिखे महतारी के नांव. ऐंठी चूरी महावर छिंटही लुगरा पहिरे तीजा पोरा म ठमके बेनी फुंदरा झमरे रीति रीति म गावे मोर…
Read Moreमसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी चम्मच ह मजा करे झारा दुखियारी. गहूं बर मुसुवा हे शक्कर बर चांटा परलोखिया झड़कत हे घी के पराटा खरतरिहा झांके रे पर के दुवारी. मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी. बरा बोबरा ला घर लीस बहिरासू चीला लसकुसही बोहावत हे आंसू कुसली बिड़िया चले ठाकुर जोहारी. मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी. गुलगुलहा भजिया अब तो नंदागे जरहा अंगाकर उड़रिया भगागे पेट पिरही कराही सूते ओसारी. मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी. फरा फरागे चउसेला हे मुरही मुठिया मोटियारी हाबे एक सुरही करछुल…
Read Moreबैसाखु के गांधी मिलगे
आज गांधी जयंती आय…. गांधी के सिद्धांत अउ आदर्श के बात होवत हे.. सब कहत हे गांधी के रद्दा म चलना चाही…. फेर वो रद्दा कोन मेर हे, ये कोनों नइ बतात हे… बैसाखु ल इही चिंता खाय जात हे… काबर कि वो गांधी के खोज म जेन निकले हे.. फेर बपरा ल गांधी अभी तक नइ मिले हे… गांधी के जयंती होवय त, या पून्यातिथि होवय त… साल म दू घौ बैसाखु ह एला ले के भारी टेंशन म आ जाथे… नेता ले के अभिनेता तक.. अधिकारी ले के…
Read Moreछत्तीसगढ़ के लोकगीत म गांधी
देंवता बन के आये गांधी, देंवता बन के आये. हमरे देस के अन धन ला, जम्मा जम्मो लूटिन परदेसियन के लड़वाए ले, भाई ले भाई छूटिन देस ला करके निचट निहत्था, उल्टा मारैं सेखी बोहे गुलामी करत रहेन हम, उंखरे देखा देखी तैं आंखी ला हमर उघारे, जम्मो पोल बताए गांधी देंवता बन के आये.. तोर करनी ला कतेक बतावों, सक्ति नइए भारी देस बिदेस अउ गांव गांव मा, तोरेच चरचा चारी तैं उपास कर करके मउनी बनके करे तपसिया साल बछर धरे अहिंसा, पथरा ला टघलाये. गांधी देंवता बन…
Read Moreमेकराजाला म चार बरिस के गुरतुर गोठ : दू आखर
आजे के दिन गांधी बबा के सुरता म सन् 2008 ले चालू हमर ये मेकराजाला के गुरतुर गोठ ह आज चार बरिस के होगे हावय. आप जम्मो संगी मन हमला अड़बड़ मया देहेव अउ आप मन के दुलार ले, हमन जइसे तईसे हमर भाषा के रचना मन ला इंहा सकेल के आप मन बर अउ आघू के दिनन बर, सकेल के राखे के उदीम करेन. आज हमला खुसी हावय के हम बिना सरकारी पंदोली के पांच साल ले ये वेब साईट ला तुनत तानत, येमा रचना के भण्डार धीरे धीरे…
Read Moreपोरा के बिहान दिन-तिजा
तिजा लेय बर आहुं नोनी, मैं हा पोरा के बिहान दिन।। मइके के सुरता आवत होही, होगे तोला गजब दिन। महतारी के मया अलगे होथे, सुरता तोला आवत होही।। मन बैरी हा मानय नही, आंसु हा नी थमावत हाई। पारा परोस मा खेलस तेहा, छुटपन के सुरता आवत होही।। फुगड़ी अउ छुवउला खेलस, संगवारी मन के सुरता आवत होही। ककी भौजाई के नत्ता मन हा नोनी कहि बुलावत रिहिन।। खोर गली हा सुन्ना होगे दाई बहिनी सब रोहत रिहिन। हांसत हांसत तेहा आबे नोनी, रोवत-रोवत झन जाबे ओ।। तोर बिन…
Read Moreखरपतवार के निंदाई
बबा कहिथे कस रे नाती ये का हे तोर खुरापाती खेत-खार मा कतका बुता परे हे फेर तोर आखी कोन कोती गडे हे ए बाबा ! ते मोला बता घान हा बोवागे खातु घलो छितागे त अउ का बुता परे हे अरे बईहा ! जा बारी-बखरी ला बने निहार चारो डाहार खरपतवार मन बाडहे हे तेन ला चतवार ! ये बेलिया दुबी अउ किसम किसम के कांदी मन भकभक ले जामे हे । अउ भाटा मिरचा अउ पताल मन बेसहारा सही भुइयां मा लामें हे । जम्मो खतु मन के…
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