गीत-राखी के राखी लेबे लाज

बंधना म बांध डारेवं भाई, राखी के राखी लेबे लाज। सुघ्घर कलाई तुहर सोहे, माथे के टीका सोहे आज।। किंजर-किंजर के देवता धामी, बदेंव मैं तुहर बर नरियर। लाख बछर ले जी हव भइया, नाव हो जाये तुहर अम्मर। तिरिया जनम ले हवं भइया, बहिनी के राखी पहिरबे आज।। रहे बर धरती छांव बर अगास, अइसन बनाये हवय विधाता। जिनगी भर रेंगत रहिबे, कभू गड़े नइ पांव म कांटा। नाव के बढ़त रहे सोहरत, नाव लेही जगत-समाज।। सबके मन के आस पूरा तैं, हवय मोर मनसा मन के। सब ले…

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चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे

कोनो धरौ रापा संगी कोनो धरौ झउहा एक ओरी आमा अऊ दूई ओरी मउहा धरती दाई ला हरियाबो रे चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे झन काटो रूखराई, यहू मां हवै परान ग रूख राई जंगल झाड़ी, हमर पुरखा समान ग आमा अऊ लीम मा, बसे हे भगवान ग पीपर कन्हइया अऊ, बर हनुमान ग गांव पारा गली मां पारौ आरो दऊहा झन कर अलाली भइया कर लेवव लउहा धरती दाई ला सिरजाबो रे चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे। जियत भर रूखराई, मनखे के काम आथे इही…

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मया के चंदा

देख सुघ्घर रूप मा, मोर मन हा मोहागे, तोरेच पिरित मा धारे-धारे मा बोहागे। सुरता हाबे मेढ़ पार के, चटनी अऊ बासी, भाड़ी मा चघके देखना, मुस्मुसाती हांसी, सुरता मा तोर, जुक्खा जीव हरियागे। काली आहूं कहिके, दगा में डारे, तरिया पार मा देख, हाभा कइसे मारे, मिलवना के क्रिया ला, तै कइसे भुलागे॥ बिसरना रिहिस ता, काबर अंतस मा हमाये, मन ला मिला के सरी उदिम ला कर डारेस मया वाली तोर, मया के हृदय कहां गवांगे। संगी मया करके तैं काबर अइसन करथस, मार के ताना, मोर मन…

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तीजा तिहार म

सुनो बहिनी, सुनव दीदी, नवां जमाना के विचार मा। धरती दाई ला सजाबोन ऐसों के तीजा-तिहार मा॥ हरियर लुगरा के संगे-संग, दाई के अचरा ला हरियाबो। रुख-रई नवां-नवां हम लगाबोन सबो खेत-खार मा॥ जड़ी-बूटी बन अऊ तुलसा रतनजोत खेत के सियार मा। डीजल, तेल घलो मिलय अब पम्प, ट्रेक्टर अऊ कार मा॥ कोनहो झन राहय ठेल हा, राहेर, चना बोवव मेड़ पार मा। गरीबी हर, अब दुरिहा भागे भरे कोठी के तियार मा॥ राजाराम रसिक रसिक वाटिका, फेस 3, वी.आई.पी.नगर, रिसाली, भिलाई. मो. 09329364014

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तीजा नई जावंव

बड़े मौसी काबर नई आय हे ओ दाई। ओखर छोटे नोनी के नोनी-बाबू अवइया हे का? अउ छोटे मोसी ह घलो नइ आय हे का दाई? ह हो ओखर सास ह पटऊहां ले गीर गे हे अउ ओखर बाखा पकती मन दरक गे हे। बपरी हर सास महतारी के सेवा मा, ऐसो के तीजा तिहार ला घलो नई जानिस। त स्वीटी दीदी ला तो भेज दे रहितिस का करबे बेटा आजकल के लइका मन गांव-देहात मा नई रहना चाहे। फेर ओखर पीएससी के मेनस परीक्षा हे काहत रिहिस हावय। आतना…

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फरहार के लुगरा अउ रतिहा के झगरा

एक बार वर्मा जी के घर गे रेहेंव। वर्मा जी ह अपन सबो लइका मन बर एके रंग के कुरता अउ एके रंग के पेंठ बनवा दे राहय। देवारी के भीड़ में भी वर्मा जी के लइका मन कलर कोड से चिनहारी आवय। अइसे लगय जइसे सबो झन एके इसकूल के पढ़इया लइका आयं। मैं देखेंव तब मोर मन परसन्न हो गे। उही दिन ले मैं सोचे रेहेंव कि इही परयोग ल मैं अपनों घर दुहराहूं। आसो के तीजा में सबो बहिनी मोरे घर अवइया रिहिन। तीजा माने बहिनी, भांचा-भांची…

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टुरी देखइया सगा

हमर गांव-देहात म लुवई-टोरई, मिंजई-कुटई के निपटे ले लोगन के खोड़रा कस मुंह ले मंगनी-बरनी, बर-बिहाव के गोठ ह चिरई चिरगुन कस फुरूर-फुरूर उड़ावत रइथे। कालिच मंगलू हल्बा के नतनीन ल देखे बर डेंगरापार के सगा आय रिहिस। चार झन रिहिन। दू झन सियनहा अउ दू झन नवछरहा टुरा। ठेला करा मोला पूछिस- ‘कस भइया, इहां हल्बा नोनी हावय बर-बिहाव करे के लइक।’ कहेंव- हव, कइसन ढंग के लड़की चाही आप मन ला। एक झन मोट्ठा सगा ह अंटियावत दांत निपोरीस- ‘कुंआरी।’ ओखर हांथी खिसा दांत ल देख के एक…

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गीत : दीन दयाल साहू

मै हा नहकाहूं डोगा पार,आवत हे प्रभु मोर द्वार। तैहा जग के ,आये पालन हार ये मोरे स्वामी। राम लक्ष्मण दूनो भाई ,संग मा हावे सीता माई। तैहा जग के ,आये पालनहार। नइ डूबो कभू। मझदार,सेवा में आयेव मल्हार । तैहा जग के ,आये पालानहार मोरे स्वामी । तोर चरण मैहा परवार हूं ,सब सागर मे हा तर जाहूं। तेंहा जग के ,आये पालनहार । नेंना मोर तरसत हे आज ,कब आबे प्रभु तै मोर घाट। तेंहा जग के,आये पालनहार । नैना मोर तरसत हे आज ,कब आबे प्रभु तै…

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