फेर सब्बो दिन अउ बादर ह एके नइ राहय। एक दिन जमुना के दाई ह भगवान के दुवार म चल दिस अउ दू महिना बाद ददा ह घलो सरग सिधारगे। जमुना ह तीजा-पोरा म अपन भाई के रस्ता ल देखत रहिस कि मोला भाई ह लेगे बर आही, पोरा तिहार ह मनागे फेर भाई ह नइ अइच, जमुना ह अड़बड़ रोईस कि मोला भाई-भउजी मन ह नइ पूछिस, भउजी ह तको महतारी बरोबर हरय मोला अपन बेटी मान के लेग जतिस त का होतिस। अइसने सोचत-सोचत जमुना ल गंगा के…
Read MoreYear: 2013
नोनी-बाबू के बिहाव
जन्म से लेके मृत्यु तक मनखे मन के सोला संस्कार होथे अऊ सोला संस्कार मं एक ठन संस्कार हे बिहाव संस्कार। बिहाव संस्कार ह अड़बड महत्वपूर्णं होथे काबर कि दू झन परदेसी ह एक संघरा जिनगी बिताय बर तियार होथे। हमर छत्तीसगढ़ मं अनेक जाति के मनखे हे अउ जाति के अनुसार बिहाव के अनेक परम्परा अउ महत्व हे, त आवव बिहाव के कुछ परम्परा अउ ओकर महत्व ऊपर एक नजर डालथन। * तेलमाटी-चुलमाटी– बिहाव के पहिली दिन तेलमाटी चुलमाटी के कार्यक्रम ह होथे। माटी ल साबर मं कोड़ के…
Read Moreमुठिया के पेड़
– वीरेन्द्र सरल एक गाँव म एक झन डोकरी रहय। ओखर एक झन बेटा रहय, नाव रहय कल्लू। कल्लू ह निचट अलाल अउ घुम्मकड़ रहय। कल्लू के छोटे रहत ले डोकरी ह कुटिया पिसिया बनी भूति करके वोला पोस डारिस फेर जब कल्लू ह जवान होगे तब कमती आमदनी म महतारी बेटा दुनो के गुजारा होना मुश्किल होगे। घर मे रोजी मजूरी के छोड़ अउ कोन्हो आमदनी के साधन नई रिहिस। एक दिन डोकरी ह कल्लू ला समझावत किहिस -कल्लू अब तैहा जवान होगे हावस, मैहा सियान होगे हवं, कमाय…
Read Moreईमानदार चोर
– वीरेन्द्र सरल एक राज मे एक झन राजा राज करय। राजा के तीन बेटा रहय। दु झन बेटा के बिहाव होगे रहय फेर तीसरा बेटा ह कुवांरा रहय। एक दिन राजा सोचिस कि अब मोर बुढ़ापा आगे हावे, ये जीव कब छूट जही तेखर कोई ठिकाना नइहे। मरे के पहिली मै अपन संपत्ति ला तीनो बेटा म बांट देथवं नही ते येमन मोर मरे के बाद आपस मे झगड़ा झंझट होही। राजपंडित ले शुभ मुहरूत निकलवा के एक दिन राजा ह अपन तीनो बेटा ला राजमहल मे बुलावा भेजिस…
Read Moreकारी, कुरसी अउ कालाधन संग दस कबिता
1:- कुरसी अउ कालाधन करजा मा बूड़े हावय दिन ब्यभिचारी रात हांसत हावय बलात्कार होवत हावय दिन रात तन मा मन मा लोकतंत्र मा सबो समान हावय बलात्कारी मन के सजा कुरसी अउ कालाधन हावय बरगंडा बर तरसत रइथन हामन उनकर करा पूरा चंदन बन हावय 2:- रूकावट रूकावट बर खेद हावय इ रूकावट मा भारी भेद हावय रूकावट मा भारी ले भारी काम हो जाथे बिग्यापन हावय आत हाथ मा फूल हवाला हलधर हाथी का जोड़ जो कभू नी टूटे समाचार- छेतरीय आतंकवाद फूलत फरत हावय लापता – बीते…
Read Moreअनुवाद : टँगिया (The Axe)
मूल कहानी: The Axe कथाकार: R. K. Narayan अनुवादक : कुबेर गाँव डहर ले नहकत खानी एक झन भटरी ह बचपन म वेलन के बारे म भविसवानी करे रिहिस कि ये ह एक दिन कई एक्कड़ के बगीचा के बीच म बने तिमंजिला मकान म रही। तब ये बात ऊपर छोटकुन वेलन के चारों मुड़ा सकलाय हर आदमी ह वोकर खिल्ली उड़ाय रिहिस। कोप्पल म वेलन के परिवार के समान गरीब अभागा दूसर अउ कोई नइ रिहिस। वोकर बाप ह घर के सब चीजबस ल गहना धर डरे रिहिस अउ…
Read Moreअनुवाद : आशा के किरण (The Silver Lining)
मूल कहानी: The Silver Lining कथाकार : Chaman Nahal अनुवादक : कुबेर मनखे के मन के भाव के थाह लगा पाना अउ अनुमान लगा पाना बड़ा कठिन काम होथे। सदा हाँसत- मुस्कात रहने वाला, हरियर मन वाले आदमी के हिरदे भीतर भारी दुख हो सकथे, जेकर कीरा ह भीतरे-भीतरे वोला खावत रहिथे अउ जबकि मनहूस, जड़बुद्धि दिखने वाला आदमी ह भीतर ले सुखी अउ परम आनंदित हो सकथे। मनुष्य के जीवन ह बड़ अद्भुत होथे, छिन भर के सुख-शांति ह मन ल जीत लेथे। अभी-अभी पहाड़ म एक ठन निजी…
Read Moreअनुवाद : पतंगसाज (The Kite Maker)
मूल कहानी: The Kite Maker कथाकार: RUSKIN BOND (रस्किन बांड) अनुवादक – कुबेर एक बहुत जुन्ना मस्जिद, जउन ह खण्डहर हो गे रिहिस, नमाजी मन जिहाँ नमाज पढ़ना छोड़ देय रिहिन हे, के दीवाल के दर्रा म एक ठन बर रूख जाम गे रिहिस। ये गली म, जउन ह गली राम नाथ के नाम से प्रसिद्ध रिहिस, खाली इही एके ठन पेड़ रिहिस, अउ येकरे डंगाली म छोटकू, अली के पतंग ह टंगा गे रिहिस। लइका ह, खाली पांव अउ सिरिफ चिरहा कुरता भर पहिरे, अपन इही संकुरी गली के…
Read Moreमोला नेता बना देते भोले बाबा
घर म दुए झिन महतारी बेटा राहय। बेटा के नांव तो रिहिस बोधराम फेर जादा अक्कल-बुद्धि नइ फइलात रिहिस। पढ़ई-लिखई घलो ठिकाना नइ परिस। बर-बिहाव लगइया सगा मन पूछे, का करथे तोर बाबू ह तेखर जवाब देना मुसकुल हो जाय ओखर महतारी ल। भुंइया गरू रिहिस बोधराम ह। दिन भर लठंग-लठंग किजरय अउ खाय के बेरा घर म पइध जाय। ओखर दाई काहय-बेटा, कुछू काम बुता करे कर रे। बइठे-बइठे तरिया के पानी घलो नी पुरे गा। फेर बोधराम रिहिस चिक्कन हंड़िया। ओमा कहां पानी ठहरना हे। दाई के कहना…
Read Moreछत्तीसगढ़ी शब्द के हिन्दी अर्थ और प्रयोग
पिछले दिनों कुछ शब्दों पर आपस में बातें होती रहीं- अखरा कोतल बाहुक गेदुर अगवारिन फाता डमरुआ देवारी लमना अरमपपई फुंडहर सिलयारी तिरही
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