गरीबा : महाकाव्य (पहिली पांत : चरोटा पांत)

साथियों, भंडारपुर निवासी श्री नूतन प्रसाद शर्मा द्वारा लिखित व प्रकाशित छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य “ गरीबा” का प्रथम पांत “चरोटा पांत” गुरतुर गोठ के सुधी पाठकों के लिए प्रस्‍तुत कर रहा हूं। इसके बाद अन्य पांतों को यहॉं क्रमश: प्रस्‍तुत करूंगा। यह महाकाव्य दस पांतों में विभक्त हैं। जो “चरोटा पांत” से लेकर “राहेर पांत” तक है। यह महाकाव्य कुल 463 पृष्ट का है। आरंभ से लेकर अंत तक “गरीबा महाकाव्य” की लेखन शैली काव्यात्मक है मगर “गरीबा महाकाव्य” के पठन के साथ दृश्य नजर के समक्ष उपस्थित हो जाता है।…

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गरीबा : महाकाव्य (पहिली पांत : चरोटा पांत)

गरीबा महाकाव्य नूतन प्रसाद 1. चरोटा पांत बिना कपट छल के प्रकृति ला मंय हा टेकत माथा । बुद्धिमान वैज्ञानिक मन हा गावत एकर गाथा ।। बाढ़ सूखा अउ श्रृष्टि तबाही जन्म मृत्यु मन बाना । बेर चन्द्रमा नभ पृथ्वी अंतरिक्ष सिंधु मन माला ।। बालक के हक हे दाई संग कर ले लड़ई ढिठाई । बायबियाकुल शक्तिहीन के प्रकृति करय भलाई ।। बेर करिस बूता बेरा तक, बड़बड़ाइस नइ ठेलहा बैठ बद्दी मुड़ पर कहां ले परही, बढ़ा डरिस जब करतब काम. बूता के छिन सिरा गीस अब, ब्यापत…

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