गरीबा : महाकाव्य (दूसर पांत : धनहा पांत)

गरीबा महाकाव्य नूतन प्रसाद 2. धनहा पांत ठेलहा बइठे मं तन लुलसा-ऊपर ले बदनामी । काम करे मं समय व्यवस्थित-ऊपर मिलत प्रशंसा ।। काम के पूजा करिहंव जेकर ले होथय जग आगे । महिनत मं तन लोहा बनथय-बनन पाय नइ कामी ।। समय हा रेंगत सुरधर-सरलग, मौसम घलो पुरोथय काम ओसरी पारी पुछी धरे अस, वर्षा ऋतु-जड़काला-घाम. नेत लगा-अब पानी गिरगे, अड़बड़ कृपा करिस बरसात अपन बुता मं किसान भिड़गें, फुरसुद कहां करे बर बात! छोड़ बिस्कुटक कथा कंथली, नांगर ला सम्हरात किसान बइला मन ला मसक खवा अब, जावत…

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गरीबा : महाकाव्य – दूसर पात : धनहा पांत

छत्तीसगढ़ी गरीबा महाकाव्य रचइता – नूतन प्रसाद प्रथम संस्करण – 1996 मूल्य – पांच सौ रुपये स्वत्व – सुरेश सर्वेद आवरण – कृष्णा श्रीवास्तव गुरुजी डिजाइन एवं टाईपसैट – जैन कम्प्यूटर सर्विसेज, राजनांदगांव प्रकाशक सुरेश सर्वेद मोतीपुर, राजनांदगांव वर्तमान पता सुरेश सर्वेद सांई मंदिर के पीछे, तुलसीपुर वार्ड नं. – 16, तुलसीपुर राजनांदगांव छत्तीसगढ़ मोबाईल – 94241 11060 मंय छत्त्तीसगढ़ी म गरीबा महाकाव्य काबर लिखेवं ? आज आप ल जउन कहिना हे, एक वाक्य म कहो। समे “गागर म सागर” भरे के हे। आप बड़े ले बड़े बात ल नानकून…

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