सुरेश सर्वेद जन्म – 07- 02 – 1966 ( सात फरवरी उन्नीस सौ छैंसठ ) पिता – श्री नूतन प्रसाद शर्मा माता – श्रीमती हीरा शर्मा पत्नी – श्रीमती माया शर्मा जन्म स्थान – भंडारपुर ( करेला ), पोष्ट – ढारा व्हाया – डोंगरगढ़, जिला – राजनांदगांव छत्तीसगढ़ वर्तमान पता – सांई मंदिर के पीछे, वार्ड नं. – 16 तुलसीपुर, राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़) मोबाईल – 94241 – 11060 संपादक – साहित्यिक पत्रिका “विचार वीथी “ प्रकाशन – देश के विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में अनेक कहानियों का प्रकाशन एवं आकाशवाणी…
Read MoreMonth: March 2013
गउ हतिया
ननकी कभू सोचे नई रिहीस के ओकर ऊपर अतका बड़े जान पाप थोप दे जाही। अंधियार कोठा म बइठे रिहीस ओहा। कोठा के अंधियारा ले जादा ओला अपन अंतस म अंधियार लगत रिहीस हे। ये अंधियारा ओला लीलत रिहीस। ओकर मन म विचार उठत रिहीस – का सेवा के आइसने परिनाम निकलथे ? का ओहर ओकर हतिया कर सकत हे जेकर ले ओला अपन जान ले जादा लगाव रिहीस हे ? का ओहर अपन सबले प्रिय ल ही अपन से दूरिहा करे के पाप कर सकत हे ? अइसन प्रश्न…
Read Moreछन्नू अउ मन्नू
श्रीकांत ल नवा बइला लेना रिहिस। ओहर आमगांव के बजार गिस। उहां बइला बजार म श्रीकांत बइला मन ल देखन – परखन लगिस। ओला निमेष के दावन म बंधाये बइला जोड़ी भा गे। बइला ब्यापारी निमेष बइला जोड़ी के कीमत बीस हजार बताइस। कहिस – ये मन ल लेके तो देख। अइसन बइला जोड़ी दीया धर के खोजे म नइ मिलही। श्रीकांत, निमेष के बात मं हां ले हां मिलावत रिहिस फेर ओकर कीमत कम करवाये के फिराक म रिहिस हे। निमेष झट छन्नू नाम के बइला के पीठ ला…
Read Moreबनकैना
समारू हा कालू ल घर म बला लाइस। खुसुर – पुसुर आरो सुनके देवबती रंधनी खोली ले अंगना म अइस। ओहर देखीस – ओकर गोसइया समारु के संगे – संग एक झन आदमी कोठा डहर ल झांकत हवै। देवबती ल देख के समारु बताइस – ये कालू आवै। मरहा – खुरहा गाय – बइला मन ल लेथे। – तुम्मन कोठा म एला का देखावत हव। देवबती पूछीस। – बनकैना ल देखावत रहेंव। समारु बताइस। – काबर … ? – बतायेंव न येहर मरहा – खुरहा गाय – बइला लेथे। –…
Read Moreफुटहा छानी
गांव भर चरचा च ले लगिस. अब पंचाइती चुनाव म सरपंच महिला ल चुने जाही. कोन अपन माई लोगन ल चुनाव म उतारही, दिन – रात इही बात होय लगिस. कम पढ़े लिखे गांव म जइसे माईलोगन ल चूल्हा फुंकइया अउ कोरा म बंस बढ़हइया के संग कोरा म लइका खेलइया समझे जाथे ये गांव, उही गांव के श्रेणी म आये. गांव म बइसका होय अउ कोन चुनाव लड़ही ये गोठ आये अउ जाये पर निणर्य नई होय पाय . काबर के कोनो मरद बइठका म अपन घरवाली ल चुनाव…
Read Moreमतलाहा पानी
गाँव म जब ले राजनीति अपन पांव धरिस। गाँव के गाँव जम्मों निर्दयी अउ निष्ठुर होगे। लोक लाज के बात बिसर गे। सुवारथ अउ पाखण्ड अपन अउकात म आ गे। समारु ल राजनीति ले का लेना – देना पर गांव वाले मन ओकर बिगाड़ करे के निश्चय कर ले रहै। दू पारा के लड़ई म ओल पेराय लगीस। सरपंची चुनाव म जेन रामधीन चुनइस उहू समारु ल बदमाश कहाय अउ जउन मंगल हारिस उहू ओला बदमास कहय। समारु के परिवार मं रहय छै सदस्य छै बोट ले जीतिस रामधीन अउ…
Read Moreभोलापुर के कहानी
(छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) कथाकार : कुबेर पूर्वावलोकन : डॉ. नरेश कुमार वर्मा लोक की कहानी – प्रथम संस्करण की समीक्षा : डॉ. गोरे लाल चंदेल संपादकीय : सुरेश ‘सर्वेद’ लेखकीय : कुबेर कहिनी ओसरी पारी 1 : डेरहा बबा 2 : राजा तरिया 3 : संपत अउ मुसवा 4 : लछनी काकी 5 : सुकारो दाई 6 : घट का चौका कर उजियारा 7 : चढौत्तीरी के रहस 8 : सरपंच कका 9 : गनेसी के टुरी 10 : पटवारी साहब परदेसिया बन गे 11 : साला छत्तीसगढिया 12 :…
Read Moreपरिचय : कथाकार – कुबेर
नाम – कुबेर जन्मतिथि – 16 जून 1956 प्रकाशित कृतियाँ: 1 – भूखमापी यंत्र (कविता संग्रह) 2003 2 – उजाले की नीयत (कहानी संग्रह) 2009 3 – भोलापुर के कहानी (छत्तीहसगढ़ी कहानी संग्रह) 2010 4 – कहा नहीं (छत्तीवसगढ़ी कहानी संग्रह) 2011 5 – छत्तीसगढ़ी कथा-कंथली (छत्ती़सगढ़ी लोककथा संग्रह 2012) प्रकाशन की प्रक्रिया में: 1 – माइक्रो कविता और दसवाँ रस (व्यंग्य संग्रह) 2 – और कितने सबूत चाहिये (कविता संग्रह) संपादित कृतियाँ: 1 – साकेत साहित्य परिशद् की स्मारिका 2006, 2007, 2008, 2009, 2010 2 – शासकीय उच्चतर माध्य.…
Read Moreमरहा राम के संघर्ष
असाड़ लगे बर दू दिन बचे रहय। संझा बेरा पानी दमोर दिस। उसर-पुसर के दु-तीन उरेठा ले दमोरिस। गांव तीर के नरवा म उलेंडा पूरा आ गे। परिया-झरिया मन सब भर गें। मेचका मन टोरटोराय लगिन। एती दिया-बत्ती जलिस कि बत्तर कीरा उfमंहा गें। किसान मन के घला नंहना-जोताार निकल गे। बिहने फजर घरो-घर नांगर-पाटी अउ जुंड़ा निकल गे। बसला-fबंधना अउ आरी निकल गे। छोलइ-सुधरइ सुरू होगे। माल- मत्ता के हिसाब से खर-सेवर के जांच परख सुरू हो गे। फेर का ?खांध म नांगर अउ हाथ म तुतारी धरे, बइला…
Read Moreमरहा राम के जीव
रात के बारा बजे रहय। घर के जम्मों झन नींद म अचेत परे रहंय। मंय कहानी लिखे बर बइठे रेहेंव। का लिखंव, सूझत नइ रहय। विही समय बिजली गोल हो गिस। खोली म कुलुप अंधियारी छा गे। बिजली वाले मन बर बड़ गुस्सा आइस। टेबल ऊपर माथा पटक के सोंचे लगेंव। तभे अचरज हो गे। मोला लगिस कि बिजली आ गे हे। खोली ह सीतल दुघिया रोसनी से भर गे। मुड़ी उचा के आंखी खोले के प्रयास करेंव फेर आंखी काबर खुलय? चउंधियाय कस हो गे। मन म डर समाय…
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