छत्तीसगढ़ी कविता मा लोक जागरन के सुर

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के महाधिवेशन दिनाँक 23/24 फरवरी 2013 म पढ़े गए आलेख डॉ.दादूलाल जोशी ‘फरहद’ साहित्त के बिसय मा जुन्ना गियानी लेखक मन हा अघात काम करें हें । साहित्त के कतना किसिम के अंग होथे ,उंकर सरूप अउ बनावट कइसे रहिथे ? उनला रचे -बनाये के का नियम होथे ? ये सब्बो के बारे मा फरिहा-फरिहा के गोठ-बात लिखे गे हे। साहित्त के लिखे -पढ़े के का फायदा हे , तउनो ला गियानी मन बताये हें। उंकर बिचार मा साहित्त के लिखे -पढ़े के खासगी नफा , आनन्द…

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चना के दार राजा, चना के दार रानी

छत्तीसगढ़ी व्यंग्य चना के दार राजा, चना के दार रानी, चना के दार गोंदली कड़कत हे। टुरा हे परबुधिया, होटल म भजिया झड़कत हे। शेख हुसैन के गाये गीत जउन बखत रेडियों म बाजिस त जम्मों छत्तीसगढिया मन के हिरदे म गुदगुदी होय लागिस। गाना ल सुनके सब झन गुनगुनावंय अउ झूमरे लागंय। सन् साठ अउ सत्तर के दसक म ये गाना ह रेडियो म अब्बड़ चलिस। वो जमाना म टी. वी. चैनल के अता-पता नइ रिहिस हे। अब रेडियो नंदाती आ गे। मोबाइल, टी. वी. चैनल अउ सी. डी.…

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ये भोले तोर बिना….

ये भोले तोर बिना…. जिनगी के चार दिना, कटही कइसे मोर जोंही गुन-गुन मैं सिहर जाथौं, ये भोले तोर बिना….. हांसी हरियावय नहीं, पीरा पिंवरावय नहीं जिनगी के गाड़ी, तोर बिन तिरावय नहीं श्रद्धा के गांजा-धथुरा, ले के तैं हमरो ल पीना… ये भोले… उमंग अब उवय नहीं, संसो ह सूतय नहीं बिपदा के बैरी सिरतोन, छोरे ये छूटय नहीं तुंहरे हे आसा एक्के, घुरुवा कस झन तो हीना… ये भोले… तन ह तनावय नहीं, आंसू अंटावय नहीं मया के कुंदरा जोहीं, छाये छवावय नहीं भक्ति म भगवान बिना, मुसकिल…

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सिवजी ल पाय के परब महासिवरात्रि

नवा बुता, उद्धाटन, नवा जीनिस के सुरुआत इही दिन ले करथे। भक्ति भाव के अइसन परब में पूजा म अवइया समागरी बेल पत्र, धतूरा, फुंडहर, कनेर, दूध, दही, केसरइया फूल मन के महत्व बाढ़ जाथे। संत पुरुष के गोठ हे के केसरइया फूल ल सिव जी म चढ़ाय ले सोना दान करे के बरोबर फल मिलथे। सिवजी में अभिषेक अउ धारा के तको भारी महत्व बताय गे हे। सिव माने शुभ अउ शंकर के मतलब कल्याण कइरया होथे। सिवजी के पूजन अराधना अकाल मृत्यु दोष ले छुटकारा देवाथे। पंचाक्षरी मंत्र…

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