छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्य ला चारो खूंट बगराए खातिर नवा प्रदेस म छत्तीसगढ़ी के मान रखइया संगी मन अपन अपन डहर ले सुघ्घर उदीम करत हांवय. अइसनेहे चौमासा पतरिका ‘बरछाबारी’ ला सरलग निकाल के भाई चंद्रशेखर ‘चकोर’ ह हमर भाखा के असल सेवा करत हांवय. ‘बरछाबारी’ के अंक मोला चकोर जी ह भाई जयंत साहू जी के रसदा देखाए के पाछू सरलग भेजत हांवय. ‘बरछाबारी’ के अंक डाक ले मिलतेच जम्मो ला लउहे पढ़ डारत रेहेंव अउ मन म रहय के ये पतरिका म संघराए रचना मन के उप्पर दू…
Read MoreMonth: October 2013
जवाब मांगत एक सवाल
हमर परदेस के भू-भाग के नांव छत्तीसगढ़ काबर परिस, कब ले परिस, एला अलग राज बनाय के मांग सबले पहिली कोन करिस, कोन पहिली एखर बिरोध म रिहिस अउ बाद म अघुवा बनगे, कइसे छत्तीसगढ़ राज हमला बरदान असन मिलिस, कब छत्तीसगढ़ी राजभासा के दरजा मिलिस, कब छत्तीसगढ़ी राजभासा आयोग बनिस, कोन तारीख ल छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस घोसित करे गिस? ये जम्मो सवाल के जवाब हे फेर मैं जेन सवाल के बात करत हौं वो सवाल ह छत्तीसगढ़ म दू-तीन साल ले घुमरत हे अउ घेरी-बेरी पूछे जावत हे। होइस…
Read Moreमेकराजाला म बाढ़य हमर भाखा के साहित्य : राजभाषा आयोग देवय पंदोली
संगी हो हमर धान के खेत लहलहावत हावय अउ हमर मिहनत के फल अब हमर कोठार तहॉं ले कोठी म समाये के अगोरा देखत हावय. महामाई के सेवा हम पाछू नौ दिन ले हिरदे ले करेन, राम लीला म हमर लइका मन ला पाठ करत रहिता कुन देखेन अउ हिरदे म रामचरित मानस के सीख ला गठरी कस बांध लेहेन. आज दसेला तिहार म हम सब के मन म कलेचुप बईठे रावन ला बारे के पारी हे. आवव हम अपन खातिर, अपन परिवार अउ समाज के खातिर ये रावन के…
Read Moreअब तो किरपा कर राम
बनगे छतीसगढ़ धाम, अब तो किरपा कर राम ।। तोर ममा गोते हा राज बनगे। कभू सोचे नइ रहे होबे, वो आज बनगे ।। सब जुरमिल के, लड-जूझ के राज बनाइन पहिलिच बरिस पानी बर बसाये तय। सब सुम्मत-सुकाल बर हाथ लमाइन, पहिलिथ बरिस धान कटोरा रिताये तय। अब दाना-दाना हर हमर लाज बनगे ।1। तोर ममा … कहाँ लिखे भाग हमर पेज अउ सीथा, के लिखे हमर भाग सिरिफ मूख-पियास ला । कहां लिखे भाग हमर देस मा डेरा, के लिखे हमर माग सिरिफ बनबास ला । पेट बिकाली…
Read Moreपरम्परा : छत्तीसगढ़ी म महामाई के आरती
छत्तीसगढ़ सक्ति उपासक राज ये, इंहा के जम्मों गांव म देवी आदि शक्ति के रूप महामाई के मंदिर हावय. गांव केमहामाई म दूनों नवरात म जोत जलाये जाथे अउ जेंवारा बोये जाथे. जम्मों गांव म नवराती के समय बिहनिया अउ संझा आरती होथे. छत्तीसगढ़ के जम्मों गांव म ये आरती हिन्दी के देवी आरती के रूप म होथे नइ तो कोनों कोनो जघा मंदिर म उंहा के देवी के हिन्दी नइ तो संस्कृत म गुनगान करत आरती गाये जाथे. छत्तीसगढ़ के एक गांव म छत्तीसगढ़ी भाषा म महामाई के आरती…
Read Moreगीत : रामेश्वर शर्मा
सरर-सरर फरर-फरर बहे पुरवाही। सावन सवनाही तब धरती हरियाही॥ बूंद गिरे भुइयां मं सावन के झर-झर। बिजुरी के तड़-तड़ बादर के घड़-घड़। आगे बादर ले मउसम बदल जाही॥ देखव अब चारो डहर मन हरियावे। गावय मल्हार संग ददरिया सुनावे। लइका सियान सब गाही गुनगुनाही॥ बइला के संगे-संग खेत हर जोताही। लछमिन हर खेत मं बीजा बगराही। जिहां देख तिहां बूता भर मन कमाही॥ तात-तात भात नई त बासी ल लाही। अमरित कस जान के कमइया ह खाही। किसनहा के ताकत अबड़-बाढ़ जाही॥ चिरइ-चिरगुन रुखवा मं कलख मचाथे। चारों कोती देख-देख…
Read Moreलोककथा :असली गहना
राजा रावन खिसिया के कथे अरे मूरख जेकर महल में देवता दिगपाल मन पानी भरथे, गोबर-कचरा डारथे तेला तेहा ‘कर’ मांगथस तोला लाज नई लागे! तब परजा ह विनती करथे आप मन मोर संग समुंदर तीर चलो, रावन ल डर तो रहय नहीं खिसिया के चल दिस। परजा ह लंका में जइसे चार ठन दरवाजा हे तइसन दरवाजा अउ हुबहु बालू में लंका बना दिस। अउ कथे अइसने हावे न लंका ह! रावन खुस होगे। कथे तैं तों बढ़िया कारीगर हावस जी। परजा कथे रावन धियान देके देख। रावन हंसे…
Read Moreकथाकार आस्कर वाइल्ड के कहानी द मॉडल मिलियनेअर के अनुवाद : आदर्श करोड़पति
मूल – The Model Millionair (द मॉडल मिलियनेअर) कथाकार – Oscar Wilde (आस्कर वाइल्ड) अनुवादक — कुबेर जब तक कोई धनवान न हो, दिखे म सुंदर होय के कोई फायदा नइ हे। प्रेम करना घला भरे-बोजे, पोट मनखे मन के बपौती आय, निठल्लू मन के काम नो हे। गरीब मन ल तो बस रांय-रांय कमाना अउ लस खा के सुतना भर चाही (व्यवहारिक और नीरस होना चाहिए)। (आदमी खातिर) मनमोहक होय के बदला कमाई के स्थायी साधन होना ही बेहतर हे। इही ह आधुनिक जीवन के परम सच्चाई आय, जउन…
Read Moreबियंग : भइंस मन के संशो
रेंगत-रेंगत कारी भइंस किहिस सिरतोन मं बहिनी हमर मन के जनम तो दुहायच बर होय हावे। न चारा न पानी, एक मुठा सुख्खा पैरा ला आघू मं फेंक दिन अउ दुहत हे लहू के निथरत ले। दूध ला हमर पिला मन बर तक नइ छोड़य बेईमान मन। हमरे दूध, हमरे दही, हमरे घी अउ लेवना ला खा-खा के मोटावत हे पेटला मन अउ मटकावत हे रात दिन। गांव के बाहिर मं परिसर छइंहा मं भूरी भइंस पघुरावत बइठे रहय। तभे खार डहर ले लहकत कारी भइंस आगे। कारी भइंस ला…
Read Moreसुन संगवारी
सुन संगवारी सरला शर्मा के कविता, निबंध अउ कहानी के संघरा किताब
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