घर म दुए झिन महतारी बेटा राहय। बेटा के नांव तो रिहिस बोधराम फेर जादा अक्कल-बुद्धि नइ फइलात रिहिस। पढ़ई-लिखई घलो ठिकाना नइ परिस। बर-बिहाव लगइया सगा मन पूछे, का करथे तोर बाबू ह तेखर जवाब देना मुसकुल हो जाय ओखर महतारी ल। भुंइया गरू रिहिस बोधराम ह। दिन भर लठंग-लठंग किजरय अउ खाय के बेरा घर म पइध जाय। ओखर दाई काहय-बेटा, कुछू काम बुता करे कर रे। बइठे-बइठे तरिया के पानी घलो नी पुरे गा। फेर बोधराम रिहिस चिक्कन हंड़िया। ओमा कहां पानी ठहरना हे। दाई के कहना…
Read MoreDay: December 13, 2013
छत्तीसगढ़ी शब्द के हिन्दी अर्थ और प्रयोग
पिछले दिनों कुछ शब्दों पर आपस में बातें होती रहीं- अखरा कोतल बाहुक गेदुर अगवारिन फाता डमरुआ देवारी लमना अरमपपई फुंडहर सिलयारी तिरही
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