अनुवाद : रेड चीफ के फिरौती (The Ransom Of Red Chief)

मूल कहानी – The Ransom Of Red Chief कथाकार – O Henry अनुवादक – कुबेर बिचार बने हे, बने जिनिस सरीख। फेर जब तक मंय ह कुछू नइ कहंव, तंय मोर अगोरा कर। अगवा करे के ये बिचार ह जब हमर दिमाग म फूटिस, मंय अउ बिल ड्रिस्कल, अलाबामा के, खाल्हे दक्षिण भाग म रेहेन। बिल के अनुसार, जइसे कि पीछू वो ह प्रगट करिस – ’’छिन भर बर हमर मन म भूत सवार हो गे रिहिस हे।’’ फेर जउन ल बाद म हम कभू नइ पायेन। उहाँ खाल्हे डहर…

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अनुवाद : मारकस (My Dog Marcus)

मूल कहानी . My Dog Marcus कथाकार – Colin Howard (कोलिन होवार्ड) अनुवादक – कुबेर कोई घला, जउन मोर बड़े जबर, सुंदर, आलसी, मूर्ख, सेंट बर्नार्ड नस्ल के मारकस से मिलतिस, विश्वास नइ कर पातिस कि अभी-अभी वो ह कोनो आइडिया सोचे हे। ये बात पक्का हे कि वो ह जउन आइडिया सोचे हे, वो ह वोकर जिन्दगी के पहिली आइडिया आय अउ मंय हा सोच नइ सकंव कि ये आइडिया ल वो ह सोचिस कइसे होही। वो आइडिया ह कुछ अइसे रिहिस कि जउन ह सेंट बर्नार्ड के जिन्दगी…

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अनुवाद : विष्णु भगवान के पदचिन्ह (Marks of Vishnu)

विष्णु भगवान के पदचिन्ह खुशवंत सिंह अनुवादक – कुबेर ’’ये ह कालिया नाग खातिर’’ सासर म दूघ ल ढारत-ढारत गंगा राम ह किहिस – ’’रोज संझा कुन कोठ तीर के बिला मेर मंय ह येला मंढ़ाथंव अउ बिहिनिया के होवत ले दूध ह सफाचट हो जाथे।’’ ’’का पता, बिलई ह पीयत होही।’’ हम नवजवान मन वोला सुझाव देयेन। ’’बिलई!’’ गंगा राम ह हमन के घोर निंदा करिस अउ किहिस – ’’ये बिला के नजीक कोनो इलई-बिलई नइ जा सकय। इहाँ कालिया नाग ह रहिथे। मंय ह वोला जब ले दूध…

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कविता : पथरा

संगी हो! पथरा तो पथरा होथे फेर विही ह जिनगी के अटघा घला होथे। जानइया मन बर विहिच म प्रेम हे धरम-करम-नेम हे दया-मया अउ पीरा हे जिनगी ल गढ़े बर अनमोल हीरा हे जिये-मरे के सीख हे फेर अड़हा मन बर करिया आखर भंइस बरोबर सबो एकेच् सरीख हे। ये हर सच आवय, कि – मंदिर पथरा से बनथे, मंदिर के सिढ़िया पथरा से बनथे मंदिर के भगवान पथरा से बनथे बांध पथरा से बनथे मकान पथरा से बनथे मरे पीछू मठ पथरा से बनथे रस्ता-सड़क सब पथरा से…

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गीत

माडी भ्‍ार चिखला मा तन ला गडाए, कारी मोटियारी टुरी रोपा लगात हे ।। असाढ के बरसा मा तन ला भिजोए, अवइया सावन के सपना सजात हे ।। धान के थ्‍ारहा ला धर के मुठा मा, आज अपन भाग ला सिरतोन सिरजात हे ।। भूख अउ पियास हा तन ला भुला गेहे, जागर के टुटत गउकिन कमात हे ।। मेहनत के देवता ला आज मनाए बर, माथ के पसिना ला एडी मा चुचवात हे ।। सावर देह मा चिखला अउ माटी के, सिंगार हर मोर संगी कइसन सुहात हे ।।…

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कविता

देख के इकर हाल मोला रोवासी आ जाथे । ।। रोए नी सकव मोर मुँह मा अब हाँसी आ जाथे ।। आज काल के लइकामन भुला गिन मरजादा, मुहाटी मा आके सियान ला तभो खासी आ जाथे ।। बरा अउ सोहारी बेटा बहु रोज खाथे , सियानिन के भाग मा बोरे बासी आ जाथे ।। पढ लिख के बेटा हा हो गेहे सहरिया , हाल पुछ बर कभू कभू चपरासी आ जाथे ।। मथुरा प्रसाद वर्मा ‘ प्रसाद’ सडक पारा कोलिहा बलौदाबजार छ ग मो. 8889710210

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मोर मयारू गणेस

दोहा जऊन भक्त शरण पड़े, ले श्रद्धा विश्वास । श्रीगणेश पूरन करे, ऊखर जम्मो आस ।। चौपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे प्रभू तू दीन दयाला । । सबले पहिली तोला सुमरव । तोरे गुण गा के मै झुमरव ।।1।। तही तो बुद्धि के देवइया । तही प्रभू दुख के हरइया वेद पुराण तोरे गुण गाय। तोर महिमा ल भारी बताय ।।2।। दाई धरती ददा ह अकास । ऐ बात कहेव तू मन खास तोर बात ले गदगद महेष । बना दिहीस ग तोला गणेश ।।3।। शुरू करय…

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कहानी : मुर्रा के लाडू

घातेच दिन के बात आवय ओ जमाना म आज काल कस टीवी, सिनेमा कस ताम झाम नई रहिस । गांव के सीयान मन ह गांव के बीच बइठ के आनी बानी कथा किस्सा सुनावय । इही कहानीमन ल सुनके घर के ममादाई, ककादाई मन अपन अपन नाती पोता ल कहानी सुना सुना के मनावाय लईका मन घला रात रात जाग के मजा ले के अऊ अऊ कहिके कहानी सुनय । ओही जमाना के बात ये जब मै छैय सात बरस के रहे हो हूं । हमन तीन भाई अऊ ममा…

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