एक समय पूरा छत्तीसगढ़ में सावन के महीना में सब कोनो भोजली बोवत रहिन। सबो गांव अउ शहर में घरो-घर भोजली दाई सावन मं लहरावत रहय। भोजली ल देवी के अवतार माने जात रहिस। आज के समय में भोजली अउ जवारा बोवाई नंदावत जावत हे। आज के पढ़े-लिखे मनखे मन भोजली के वैज्ञानिक महत्तम ल न ई समझ सकिन। मगर ये ही जवारा (भोजली) ह पूरा दुनिया में तहलका मचा देहे हावय। संसार में आनी-बानी के बीमारी के स्थायी इलाज इही भोजली (गेंहू के जवारा) में होवत हे। दु:ख के…
Read MoreYear: 2013
मइया पांचो रंगा
कुंवार नवरात्रि में माता दुर्गा के मूर्ति इस्थापना करे जाथे। तब चैइत नवरात्रि म जंवारा बोथें। नव दिन म मया, उच्छाह, भक्तिभाव अउ व्रत, उपास के शक्ति देखे बर मिलथे। छत्तीसगढ़ शक्ति पीठ के गढ़ आय। इहां के भुइयां में अब्बड़ अकन जघा म देवी मां विराजमान होके जम्मो भगत ऊपर किरपा बरसावत हे। येमा रतनपुर महामाया, धमतरी बिलई माता, गंगरेल अंगार मोती, रायपुर कंकालीन (पुरानी बस्ती), महामाया, रावाभाठा बंजारी, डोंगरगढ़ बम्लेश्वरी, चंदरपुर चंद्रहासिनी, चाम्पा मड़वा रानी, सरगुजा कुदरगढ़िन दाई, झलमला गंगा मइया, बस्तर बसतरहीन दाई, दंतेवाड़ा दंतेश्वरी, कुसुमपानी जतमाई,…
Read Moreगरीबा : महाकाव्य (नउवां पांत : गंहुवारी पांत) – नूतन प्रसाद शर्मा
शोषण अत्याचार हा करथय हाहाकार तबाही। तब समाज ला सुख बांटे बर बजथय क्रांति के बाजा।। करंव प्रार्थना क्रांति के जेहर देथय जग ला रस्ता । रजगज के टंटा हा टूटत आथय नवा जमाना ।। गांव के सच वर्णन नइ होइस, फइले हे सब कोती भ्रांति जब सच कथा प्रकाश मं आहय, तभे सफलता पाहय क्रांति. लेखक मन हा नगर मं किंजरत, रहिथंय सदा गांव ले दूर संस्कृति कला रीति जनजीवन – इंकर तथ्य जाने बस कान. तब तो लबरइ बात ला लिखदिन, उंकर झूठ ला भुगतत आज रुढ़ि बात…
Read Moreकका के घर : छत्तीसगढ़ी उपन्यास
छत्तीसगढ़ी उपन्यास “कका के घर” – रामनाथ साहू
Read Moreमनहरन भइया
खेत के मेढ़ म पांव धरते ही मनहरण के गुस्सा सातवां आसमान म चढ़गे। खेत के धान फसल उनला बैरी जइसन लगे लगीस। खेत म जिहां – जिहां ओकर नजर दउड़िस, ओकर गुस्सा बाढ़ते गीस। ओहर बखुलागे – सब ल जला देहूं। साले मोला बिजरावत हवै। सच म कहे जाय त मनहरन ये सब्द गुस्सा के कारन कही दीस। मनहरन किसान रिहीस अउ ओकर मुख्य काम खेती – किसानी के रिहीस। खेती ओकर जीये खाये के साधन रिहीस अउ कोई अपन रोजी – रोटी बर गुस्साही ? पर मनहरन ल…
Read Moreदेखावा
अकरसहा पानी गिरे लगिस। रामधन फिकर- मगन होगे। ओला समझ नई आवत रिहीस के अब का करे? जेन बइला गाड़ी म ओ बइठे रिहीस ओमा चाउर भराय रहय। ओहर फंसे ओ जघा रिहीस जिहां दुरिहा – दुरिहा ले कोन्हों गांव दिखत नई रिहीस। कोन्हों गांव के तीर म फंसे रिहीतिस त ऊंहा थिरवाव कर सकत रिहीस। छइहां देख के चाऊंर ल भींगे ले बचा सकत रिहीस पर इहां तो दुरिहा – दुरिहा ल सिरिफ खेते – खेत रिहीस। बइला मन गाड़ा ल खींचना चाहत रिहीन पर पानी के बूंद बड़े…
Read Moreनियाव के जीत
– बात – बात म लड़े बर तियार, अरे हमला का करना हे ? परदेशिया मंगलू के बारी ल टोरे के कोठार म कब्जा करे। गुणवंती के ताना ल सुन के सुमेर तरमरागे। किहिस – तुम्हरे मन के अइसनेच सोच – बिचार हमला जिंहा के तिंहा ठाढ़े रखे हवै। परदेश ले आथे अउ जम्मों गाँव म अपन राज चलावन लागथे। – तुम्हर एक अकेला के करय ले कुछू होना जाना नहीं। फोकट म अपन लहू ल जरावत रहिथौ। जम्मों गाँव के मुँहू सियाये हे तब तुम काबर अपन मुंहॅू ल…
Read Moreगरीबा महाकाव्य (अठवइया पांत : अरसी पांत)
जग मं जतका मनसे प्राणी सब ला चहिये खाना । अन्न हवय तब जीयत जीवन बिना अन्न सब सूना ।। माता अन्न अमर तयं रहि नित पोषण कर सब जन के। तयं रहि सदा प्रसन्न हमर पर मंय बिनवत हंव तोला।। बिरता हरा हाल के झुमरय, बजय बांसरी मधुर अवाज गाय गरूकूदत मेंद्दरावंय, शुद्ध हवा राखय तन ठोस. माटी के घर तउन मं खपरा, पबरित राखंय गोबर लीप लइका मन चिखला मं खेलंय, हंसी तउन छल कपटले दूर. मगर पूर्व के समय बदल गे, अब औद्योगिक युग के राज बड़े…
Read Moreछत्तीसगढ़ी कथा-कंथली : संकलन अउ लेखन – कुबेर
172 पेज के संपूर्ण किताब.
Read Moreगरीबा महाकाव्य (सतवया पांत : चनवारी पांत)
गांव शहर तुम एका रहिहव राष्ट्र के ताकत दूना । ओकर ऊपर आंच आय नइ शत्रु नाक मं चूना ।। गांव शहर तुम शत्रु बनव झन रखत तुम्हर ले आसा । करत वंदना देश के मंय हा करत जिहां पर बासा ।। ऊगे ठाड़ ‘गाय धरसा’ हा.पंगपंगाय पर कुछ अंधियार खटियां ला तज दीस गरीबा, पहुंच गीस मेहरू के द्वार. मेहरु सोय नाक घटकत हे, तेला उठा दीस हेचकार बोलिस-“तंय अइसे सोवत हस- बेच देस घोड़ा दस बीस. लगथय- तोर मुड़ी पर चिंता, याने रिहिस बड़े जक बोझ लेकिन ओहर…
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