सावन के तिहार

सावन सोमवार- सावन महीना म भगवान संकर के पूजा करे के बिसेस महत्तम हे। रोज-रोज पूजा नई कर सके म मनसे मन ल हरेक सम्मार के सिवपूजा जरूर करना चाही। बिधान- सम्मार के दिन सिवजी के माटी के मूर्ति बना के जेकर संख्या एक या ग्यारह रहय। कोपरा म पधरा के पंचामृत ले स्नान कराके फेर आरुग पानी ले नहवावय। बाद म चंदन, फूल, चाउंर, कपड़ा चढ़ा के मंत्रोपचार पूजा करके आरती करय अउ भगवान के स्तुति करय-

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मया के मुकुर

तोर जोबन देख सखी, मुँह मा टपके लार। हिरदे मा हुदहुदी मारे, होवय ऑंखी चार। कैमरा देखत देखत, जोबन छुआय हाथ। हिरदे कुलकत हे मोर, पा सखी तोर साथ।। दिखे सोनकलसा तोर, तरिया मॉंजत बरतन। मैं सुध बुध भुलॉंय सखी, देख तोर नानतन।। कोर दों तोर सखी मैं, कोवर कोंवर बाल।

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छत्तीसगढ़ी गुरतुर अऊ नुनछुर भाखा ए

छत्तीसगढ़ी कविता क्रांति के सुर ला प्रलय- राग मां बांधही? ये जम्मो हर काल के कोरा मां लुकाय हे हमर छत्तीसगढ़ घात सुग्घर हे, अउ छत्तीसगढ़ी गजब के गुरतुर अऊ नुनछुर भाखा ए, ए मा किसान के पबरित पसीना हे, अऊ आंसू के अमरित हे ए हर मनखे के मन के भाव-भलाई हे। छत्तीसगढ़ी कविता के डोंहड़ी कलचुरि राजा के खार मं बाढ़िस, अऊ हय-हय बंस के बगैचा मं फूलिस फेर जनता के बियारा कोठार म आके पिंउरा गईस। छत्तीसगढ़ी कविता कन्व मुनि के पोंसवा बेटी-धियरी सकुन्तला साहीं आय, जउन…

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कामवाली चमेली के पीरा

झपटराम तसीलदार के दू बेटा हे, बड़े के नाव केकरा अउ छोटे के नाव मेकरा। केकरा पढ़े-लिखे म बहुते चतुरा हे, एकरे सेती दू बछर होगे रयपुर कालेज ले बी.ई. पास करके घर म बइठे हे। मेकरा वोकालत करथे। दुनो भई के बिहाव नई होय हे। एक दिन तसीलदार अपन दुनो बेटा ल रथिया कन जेवन के बखत तीर म बइठार के समझाथे के बेटा हो तुमन अपन-अपन खातिर गोरी-गोरी कइना खोजा, ए बरिख बिहाव करना जरूरी हे, काबर के मोर नउकरी ह जादा दिन जइये अउ कतका दिन ल…

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दू कबिता ‘प्रसाद’ के

-१- देख के इकर हाल मोला रोवासी आ जाथे, रोए नी सकव मोर मुँह मा अब हाँसी आ जाथे।। आज काल के लइकामन भुला गिन मरजादा, मुहाटी मा आके सियान ला तभो खासी आ जाथे।।

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छत्तीसगढ़ के शिव मंदिर

भोजन में दार भात बांकी सब कचरा। देवता में महादेव अऊ हे ते पथरा॥ छत्तीसगढ़ राज म कतको पुराना शिव मंदिर विराजमान हावे जेकर लेख इहां के बड़े-बड़े साहित्यकार मन बेरा-बेरा में उल्लेख करे हावे। कलचुरि काल अउ सोमवंशी राजकाल में शिवमंदिर सावन महिमा म बिसेस साधना के जगा होथे भगवान शिव हिन्दू धरम के मुखिया देवता आय। बरम्हा- बिसनु-महेस तीन देवता में इंकर नाम आथे। पूजा, उपासना में शिव अउ ओकर सक्ती हे। मुख्य हे भगवान शिव ल सिधवा देवता कहे जथे तभे तो भगत मन नानकुन चबूतरा बना…

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भक्ति-भाव के महापरब-सावन मास

व्रती मन सोमवार रखथे अउ फल फलहरी खाके उपास ल तोड़थें। शिवलिंग के पूजा में बेल पत्ता के अब्बड़ महत्व हे। पूजा में सिरिफ तीन पत्ती वाला अखंडित बेल पत्ता ही चढ़ाय जाथे। ये तीनों पत्ता ल मन, वचन अउ करम के प्रतीक माने गेहे। शिवलिंग में अधिकतर तीन लकीर वाला त्रिपुण्डी होथे। येहा शिव परमात्मा के त्रिमूर्ति, त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी अउ त्रिलोकीनाथ होय के चिन्हा आय। कनेर, धतूरा, फूड़हर केशरइया, दूध, दही, घी सहद, शक्कर, जल, गंगाजल, चंदन सरसों तेल के उपयोग पूजन अउ अभिषेक म करे जाथे।

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सुराजी वीर अनंतराम बर्छिहा

सत् मारग म कदम बढ़ाके, देश-धरम बर करीन हें काम। वीर सुराजी वो हमर गरब आय, नांव जेकर हे अनंतराम।। देश ल सुराज देवाय खातिर जे मन अपन जम्मो जिनिस ल अरपन कर देइन, वोमन म अनंतराम जी बर्छिहा के नांव आगू के डांड़ म गिनाथे। वो मन सुराज के लड़ाई म जतका योगदान देइन, वतकेच ऊँच-नीच, छुआ-छूत, दान-दहेज आदि के निवारण खातिर घलोक देइन, एकरे सेती एक बेरा अइसे घलोक आइस के अनंतराम जी ल अपन जाति-समाज ले अलग घलोक रहे बर लागिस। अछूतोद्धार के कारज खातिर गाँधी जी…

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नवा रइपुर मोर रइपुर

हर छत्तीसगढ़ वासी ल अपन प्रदेस उपर गरब करना चाही। काबर के ये प्रदेस ह वोला अइसन गरब करे के भरपूर मउका देथे। ये ह प्रदेस के सांस्कृतिक बल आय जउन वोला अपन मन के बुता करे के अपन मन के बात केहे-बोले अउ लिखे के आजादी देथे। ये सांस्कृतिक ताकत ल हमर प्रदेस के महापुरुस मन हमेसा बढ़ईन। आजो ये काम होवत हे। हमन आज के महापुरुस ल पहिचाने म भले गलती करथन या चिन नइ सकन। ये ह कुछ सुवार्थी मन के चाल आय के उन सुवारथ के…

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7 हाईकु पर्यावरण के

पेड कटागे                        कटाही रूख                   पेड लगाबो नई मिलय छांव                  उजरही जंगल                जुरमिल मितान पानी अटागे                       जीबे कईसे                     तभे बिहान

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