मे हा चालीस बछर से रोज कोरट जावत हवव

आज करिया कोट के महिमा ला बतावत हववं, मे हा चालीस बछर से रोज कोरट जावत हववं, ए दारिक तोर फ़ैसला जरूर करवा दू हूं कहिथे, पर मोर नाम आथे तो रोघहा हा घर मा रहिथे, मोर से हर पेसी मा वो दु सौ रुपया पेसगी लेथे,, अउ कोरट बाबू मन संग सन्झा कुन चेपटी पीथे, बिहनिया उकील हा साहब के कुकुर ला घुमाथे, अउ मंझनिया ओखर डौकी बर साग भाझी लाथे , बिरोधी हा भगा गेहे,रात दिन के पेसी से हार के, तभो ले केस ला धरे हे मोर…

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सेन्ट्रल वर्सेस स्टेट

का फ़रक हवय सेन्ट्रल अउ रज्य सरकार के नौकरी म, एक आफ़िस महल कस,दुसर चलथे निच्चट झोपड़ी म। सेन्ट्रल वाले मन ला अपन तन्खा उप्पर अभिमान होथे, पर स्टेट वाले मन बर तन्खा केवल एक अनुदान होथे। सेन्ट्रल म काम के समय दस से छय कड़ाई से लागू होथे, स्टेट् कार्यालय म असली काम हा छय के बाद चालू होथे। सेन्ट्रल म बाबू बाबू होथे अउ अधिकारी हा अधिकारी होथे, राज्य सरकार म बाबू मन अधिकारी मन उप्पर भारी होथे। सेन्ट्रल म सीएल लेवब म कर्मचारी के प्राण निकल जाथे,…

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