दाई अऊ बेटी

आज वोहा रयपुर के एक ठन परायवेट अस्पताल मा भरती हे। अपन सवास्थ ल ठीक करत हे। वो दिन मेहा अपन घरवाली के संग ओला देखे बर गे रेहेंव। वो हा हम दूनों ल देख के बड़ खुस होगे। आज वोकर अपरेसन होए छ दिन बीत गे हावय। हमन वोला पूछेन अउ कतका दिन ए अस्पताल म तोला राखिहीं। नई जानव। मोला कतका दिन ए अस्पताल म राखहीं। हेमा हा रोवत रोवत गोठियावत रिहिस, मेहा अपन टुरी बेटी ल अतका दिन होगे नइ देखे हंव। मोला अपन कांही संसो-फिकर नइए।…

Read More

सोनाखान के सोन-शहीद बीर नारायण सिंह

शहीद बीर नारायण सिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। 10 दिसंबर सन् 1857 म अतियाचारी अंग्रेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन। ओखर अपराध अतके रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन जमीन्दारी के भूख से तड़फत जनता बर एक झन बैपारी के अनाज गोदाम के तारा टोर के उंहा भराय अनाज ल जनता म बांट दे रिहिस। अतके न हि ये बात के जानकारी लगिहांत वो समै के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर ल घलो पठो दे रिहिस के ये काम…

Read More

=वाह रे चुनाव=

वाह रे चुनाव तोर बुता जतिच नाव। जब ले तंय आए हच,होगे काँव काँव। भाई संग भाई ल तंय हा,लड़वा डरे जनम भर के मित मितानी,छिन भर म मेंट डरे। जेती देखबे उहि कोती हाबय हांव हांव।वाह रे चुनाव———– छल करे अइसे सबला,बनादेच लबरा गैरि कस मता डरे,पारा पारा झगरा। काट डरे मया रुख कांहाँ मिलही छांव।वाह रे चुनाव——– निसरमी बना डरे सब ला,भिखारी घुमा डरे हांथ जोरे ए दुवारी वो दुवारी। खियाजहि मांथा घलो परत परत पांव।वाह रे चुनाव——— डोकरी दाई के फरमाइस,लुगरा चाही उंचहा डोकरा बबा खाहौं कथे…

Read More

अब लाठी ठोंक

चर डारिन गोल्लर मन धान के फोंक । हकाले म नइ मानय अब लाठी ठोंक ।। जॉंगर चलय नही जुवारी कस जान । बिकास के नाम म भासन के छोंक ।। भईंस बूड़े पगुरावय अजादी के तरिया । जिंहा बिलबिलावत हे अनलेखा जोंक ।। खेत मन म लाहसे हे खेती मकान के । दलाल मन उड़वावत हे झोंक भाई झोंक ।। सोन के चिरइया ल खावन दे खीर । बॉंचे खूंचे पद ल आरकछन म झोंक ।। चिटिकन जघा नइहे धरे बर इमान के । भिथिया म कोनो मेर टॉंग…

Read More

जादू के खेला

जादू के खेला अब्बड़ परसिध्द है। का लइका, का सियान, का बुढ़वा का जवान अउ का मइलोगन। सब्बो मन ला जादू देखे के बड़ सउक होथे। आजकल तो कोनो जादू के खेला देखे ला नइ मिलय। अइसे लागथ हे के ये खेला हा नंदावत जात हे। जादूगर हा जब अपन खेला ला जनता जनार्दन के आगू पेस करथे, तब ओकर लीला के बरनन कइसन करे जाय। ओकर करतब ला देख-देख के देखइया मन चारों भांवर चित हो जाथे अउ घेरी-बेरी ताली उपर ताली बाजत रहिथे। आगू के जमाना मा ये…

Read More

बिमोचन – पुरखा के चिन्हारी

श्री प्यारे लाल देशमुख जी के तीसरइया काव्य कृति हरे पुरखा के चिन्हारी। जेमा कुल जमा डेढ़ कोरी रचना समोय गे हे। किताब के भूमका डॉ. विनय कुमार पाठक जी कम फेर बम सब्द के कड़क नोई म बांधे छांदे हे। जेन कबिता ल किताब के पागा बनाए गे हे वो हॅ आखरी-आखरी म हे। शीर्षक कहूं ले लेवय फेर शीर्षक के सार्थकता हॅ रचना अउ रचनाकार के सार्थकता ल सिध करथे। आखरी म होके के घला पुरखा के चिन्हारी हॅ सहींच में कवि अउ ओकर कृत्तित्व के सार्थतकता ल…

Read More

मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!

मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे! ओकर कोठ ल सुन के में असकटा जथंव, तेकरे सेती फेसबुक म रही रही के हमा जथंव! उहीच उही गोठ ल घेरी बेरी गोठियाथे, अउ नै सुनव तहले अपने अपन रिसाथे ! ए जी-ए जी कहिके मोला रोज सुनाथे, कहू कही कहिथव त मइके डहर दताथे ! मज़बूरी में महू ह मुड़ी ल नवाथव , हवच हव कहिके बाई ल मनाथव ! कही कुछू लेहु कहिके रोज बजार म जाथे , अपन बर कुछु लानै नहीं उल्टा मुहिल सजाथे ! काम बुता में जाथव तबले…

Read More

हमर देश के किसान ….

हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान। तोर बिना ये देश ह , तोर बिना ये दुनिया ह , हो जाही गा बिरान । हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान । घाम ल सहिथव , पियास ल सहिथव , अउ सहिथव जाड़ ल। कभु फसल ल ले जाथे सुख्खा ह , कभु ले जाथे बाढ़ ह। तभो नइ होवव जी निराश । हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान । तोर नांगर के नास म , ये दुनिया के बिकास हे , तोर…

Read More

होथे कइसे संत हा (कुण्डलिया)

काला कहि अब संत रे, आसा गे सब  टूट । ढोंगी ढ़ोंगी साधु हे, धरम करम के लूट ।। धरम करम के लूट, लूट गे राम कबीरा । ढ़ोंगी मन के खेल, देख होवत हे पीरा ।। जानी कइसे संत, लगे अक्कल मा ताला । चाल ढाल हे एक, संत कहि अब हम काला ।। होथे कइसे संत हा, हमला कोन बताय । रूखवा डारा नाच के, संत ला जिबराय ।। संत ला जिबराय, फूल फर डारा लहसे । दीया के अंजोर, भेद खोलय गा बिहसे ।। कह ‘रमेष‘ समझाय,…

Read More

वाह रे मनखे के मन =2=

मन माछी उड़ी उड़ी खोजे घाव राजा जइसे खोजे दांव सब काट डरे धरम रुखुवा कहाँ ले पाबे मया के छांव न तिरथ करे न गए मंदिर दूनो गोड़ संचरगे हांथी पांव पर ल रोवत देख हंसे मनखे चिन्ह चिन्ह करे नीयाव नजर गड़े कोटना जूठा बइठ बरेंडी करे काँव काँव हपटे गिरे ल उठाये नहीँ करे उदीम काला गिरांव तोर चाल बड़ा तिर्छन्डि रे फेंके पासा शकुनी के दांव रचे उदिम आनी बानी “बादल”सरबस कइसे खांव। –चोवा राम वर्मा बादल

Read More