तइहा के बात ला बईहा लेगे, समे ह बदल गे अउ नवा जमाना देस म अपन रंग जमा डारे हे। एकअन्नी-दूअन्नी संग अब चरन्नी नंदा गे हे। सुने हन सरकार ह अब पांच रूपिया ला घलो बंद करईया हे, अब हमर रूपिया दस ले सुरू होही। पहिली हमर सियान मन खीसा भर पईसा म झोला भर जिनिस बिसा डारत रहिन, अब झोला भर रूपिया म खीसा भर जिनिस मिलत हावय। मंहगई के अहा तरा मुह फरई ला देख के नेता अउ मीडिया वाले मन अड़बड़ चिंता करत दिखथें, उंखर चिंता…
Read MoreDay: March 10, 2015
कहां नंदा गे सब्बो जुन्ना खेलवारी मन
पहिली चारों मुड़ा लइका मन के कोलाहल सुनात रहै संझा के बेरा घर ले बाहिर निकलते तहां जगा-जगा झुण्ड के झुण्ड लइका खेलत दिख जावै। अब तो लइका मन बाहिर खेले सफा भुला गिन अउ कहूं थोर बहुत खेले बर बाहिर जाहीं बेट बाल धर के किरकेट खेले बर। आजकल ठंडा के दिन कोनो-कोनो मेर बेडमिंटन खेलत घलो दिख जाथें। घर भीतरी खेले बर आजकल लुडो, केरम, सांप सीढ़ी, जइसे साधन हावय फेर ओला खेलय कोनो नहीं। आजकाल के लइका मन दिनभर टीवी, कम्प्यूटर, मोबाइल जइसे जिनिस भुलाय रथें। स्कूल-कॉलेज…
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