महंगइ के चिंता

तइहा के बात ला बईहा लेगे, समे ह बदल गे अउ नवा जमाना देस म अपन रंग जमा डारे हे। एकअन्नी-दूअन्नी संग अब चरन्नी नंदा गे हे। सुने हन सरकार ह अब पांच रूपिया ला घलो बंद करईया हे, अब हमर रूपिया दस ले सुरू होही। पहिली हमर सियान मन खीसा भर पईसा म झोला भर जिनिस बिसा डारत रहिन, अब झोला भर रूपिया म खीसा भर जिनिस मिलत हावय। मंहगई के अहा तरा मुह फरई ला देख के नेता अउ मीडिया वाले मन अड़बड़ चिंता करत दिखथें, उंखर चिंता…

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कहां नंदा गे सब्बो जुन्ना खेलवारी मन

पहिली चारों मुड़ा लइका मन के कोलाहल सुनात रहै संझा के बेरा घर ले बाहिर निकलते तहां जगा-जगा झुण्ड के झुण्ड लइका खेलत दिख जावै। अब तो लइका मन बाहिर खेले सफा भुला गिन अउ कहूं थोर बहुत खेले बर बाहिर जाहीं बेट बाल धर के किरकेट खेले बर। आजकल ठंडा के दिन कोनो-कोनो मेर बेडमिंटन खेलत घलो दिख जाथें। घर भीतरी खेले बर आजकल लुडो, केरम, सांप सीढ़ी, जइसे साधन हावय फेर ओला खेलय कोनो नहीं। आजकाल के लइका मन दिनभर टीवी, कम्प्यूटर, मोबाइल जइसे जिनिस भुलाय रथें। स्कूल-कॉलेज…

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बीमारी ले दुरिहा रहे के सरल उपाय (संकलित)

सबले पहिली बिहिनिया उठके 2 से 3 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए अउ पानी ल हमेशा बइठ के पीना चाहिए। पानी ल पीयत समय चाय बरोबर एकक घूंट पीना चाहिए एखर से पाचन क्रिया मजबूत हाथे। एखर बाद दूसर काम पेट साफ करे के हवय। पानी पीये के बाद शौचालय जाना चाहिए। पेट के सही ढंग से साफ नई होय ले 108 प्रकार के बीमारी होय के संभावना रहिथे। खाय के कम से कम डेड़ घंटा बाद पानी पीना चाहिये। अउ का – का कर सकत हन 1- खाय के…

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दूर के सोचथे महामानव

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावय। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मनखे ला हमेसा दूर के सोचना चाही रे। फेर संगवारी हो हमन नइ मानन। हमन हर अतका स्वारथी हो गै हावन के हमन हमेसा आज के बारे अउ अभी के बारे सोचथन अउ कहिथन के मनखे ला जियत भर जिनगी के जतका मजा लूटना हे लूट लेना चाही मरे के बाद कोन जनी का होही? हमर गोठ हर जबर सोचे के हावय। संगवारी हो हमर गोठ अउ तइहा के सियान मन के गोठ जबर फरक…

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जनता जनारदन

अभी बिगत दिन चुनई के माउहौल रहीस बड़ जोर-सोर ले नेतामन उनकर कारकरतामन परबार के मनखेमन जीतोड़ परतयासीमन के परचार -परसार करत रहिन, गली-खोल ऐसनहा लागै जाना मन कोनो बर बिहाव होवत रहीस हमर भोली-भाली जनता मन ला निच्चट जोजवा अव लोभी समझ लुगरा, पइसा, कंबल अव जरत के चीज बांट के भल मनखे अव जिमेदार मनखे बनत रहीन, फेर नई जानत रहीन कि आज के जनता जनारदन समय अनरूप सवधानअव जागरूक होगे हावय, कोनो तामझाम अव परलोभन नई आवय ऐकर परतक्ष उदाहरन अभी के नगर निगम नगरपालिका के चुनई…

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गांव-गंवई के बरनन- मिश्र के कविता में – सरला शर्मा

तेईस दिसंबर सन् उन्नीस सौ तीस म जाज्वल्यदेव के ऐतिहासिक नगरी जांजगीर के बाह्मनपारा म रहइया स्व. कन्हैयालाल मिश्र अऊ श्रीमती बहुरादेवी के घर अंजोर करइया बेटा जनमिस। महतारी-बाप के खुसी के ठिकाना नइ रहिस। आघू चल के विद्याभूषण जी अपन नांव के मरजाद राखिस अऊ छत्तीसगढ़ के प्रसिध्द लोकप्रिय गीतकार बनिस जिनला आज हम विद्याभूषण मिश्र के नाव से चिन्हथन। उन पहिली कविता 1946 मं बसन्त ऋतु पर लिखिन फेर कक्षा 11वीं म 1947 म सरस्वती वंदना लिखिन। अइसे लागथे वो दिन सरसती दाई संवागे आके उनकर मूंड़ म…

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