नवा अंजोरी गे काय रे…

छत्तीसगढ़ राज बने चाैदह साल होगे। साल 2015 के बिहान हो गे हे! अब्बड़ होथे 15 साल फेर का छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़ियां मन बर नवा अंजोरी गे हे? सोचे बर पड़त हे। का बड़े-बड़े भवन, डामर के सड़क अऊ विकास के नाम धूल धुआं छोड़त कारखाना, यही विकास के पैमाना ये? अपन घर, अपन सहर हमन आज अनजान होगे हन। कोनो पहिचान नई आये, नवा-नवा चेहरा, नवा लोग एइसे लगथे के हमन दुसर सहर, राज के हन। छत्तीसगढ़ियां परमपरा, संस्कृति नंदात हे। नाचा-गम्मत, रहस, ददरिया, करमा, सुआ के जगह डीजे,…

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असल जिनगी म तको ‘नायक’ हाबे मनु फिल्म मेकर

छत्तीसगढ़ी भासा म बने एतिहासिक फिलिम ‘कहि देबे संदेश’ ह सन् 1965 म बने हाबे। ओ बखत स्वेत/स्याम के जमाना रिहिसे, मनोरंजन के माध्यम सिमित रिहिस, माने घरों-घर टीवी नइ पहुंचे रिहिस। ओ समे छत्तीसगढ़ी भासा म फिलिम के सिरजन ह सिरतोन म छत्तीसगढ़ के कला अउ छत्तीसगढ़ी भाखा के इतिहास ल पोट्ठ करथे। रायपुर जिला के खरोरा तिर के गांव कुर्रा (बंगोली) के कुर्मी परिवार म 1937 म जनमे मनु नायक ह अपन कारज के बल म समाज, गांव अउ राज बर सिरतोन म एक नायक बनके उभरिस। मनु…

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एक बीता पेट बर

परउ परिनिया दूनों परानी । धरे बासी चटनी पानी । कोड़े फेंके ढेला ढेलवानी । पेरथें जांगर तेल कस घानी – एक बीता पेट बर । तिरवर मंझनिया , तपत घाम । भूंजत भोंभरा लेसत झांझ । पेलत झेलत कूदत डंगोवत । लहकत डहकत तलफत झकोरत – एक बीता पेट बर । टूटगे कनिहां , हाय राम । सुख हे सपना दुख के काम । बुधरू बुधनी बेटा -‌ बेटी । उघरा नंगरा मांगे रोटी – एक बीता पेट बर । -गजानंद प्रसाद देवांगन छुरा

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वा बहनी उर्मिला कमाल कर देस

वा बहनी उर्मिला  कमाल कर देस दारु के बिरोध कर कड़ा संदेस दे देस नै करेस जिनगी के सौदा बिहाव करके भारत के नारी मन म हिम्मत भर देस वाह बहनी उर्मिला…………….. फेरा नै रेंग सकय तऊन का साथ देतीस सुग्घर भविष्य के तोला का बिश्वास देतीस नरक ले बद्तर जिनगी हो जतीस तोरो कुरीति के गाल म बने चटकन हन देस वा बहनी उर्मिला……………….. तोर देखे जम्मो बहनी  आवाज उठाहि तोर बिरोध के सुर म अपन सुर मिलाही जउन बरात म दारु ओखर बिरोध होही नारी सशक्तिकरण के तैहा…

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बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात

बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात बने कान देके सुन झन ते भाग। अपन जवाना के गोठ ला गोठियाही सुघ्घर मया प्रेम के बात ला बताही। सही रद्दा मा चले बर सिखाही सुघ्घर जिन्दगी के रद्दा धराही। दु भाखा खरी खोटी सुनाही नानम प्रकार के गोठ ला गोठियाही। किस्सा कहानी तोला सुनाही दु पैसा बचाये बर तालो सिखाही। अपन जवाना के गोठ ला गोठियाही सुघ्घर मया प्रेम के बात ला बताही। बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात बने कान देके सुन झन ते भाग। हेमलाल साहू

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सगा आवत हे

कांव कांव कौआ ह, बरेण्डी मे नरियावत हे | लागथे आज हमर घर कोनो सगा आवत हे|| बोरिंग ले पानी डोहार के दुवार ल छींचत हे | बिहनिया ले दाई ह खोर ल लीपत हे || लकर धकर छुही मे रंधनी ल ओटियावत हे | दार चांउर ल निमार डर बहु संग गोठियावत हे|| चौसेला खवाहूं कहिके चाउंर ल पीसवावत हे साग पान ल लान दे कहिके टूरा ल खिसियावत हे कांव कांव करके कौआ ह बरेण्डी मे नरियावत हे लागथे आज हमर घर कोनो सगा आवत हे महेन्द्र देवांगन”माटी”…

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आगू दुख सहिले

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! आगू दुख सहिले रे! पाछू सुख करबे। फेर संगवारी हो हमन उखर बात ला नइ मानन। जम्मो मनखे मन पहिली सुख पाए के मन रखथे। उमन के सोच अइसे रहिथे के बाद मा दुख ला तो भोगने हावय एखर सेती पहिली सुख पा लेथन। संगवारी हो सुख अउ दुख के सीधा संबंध हावै बने अउ बिगडे करम से। गीता मा भगवान हर कहे हावय के मैं हर ए दुनिया मा कोनो ला सुख अउ दुख…

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अड़हा दिमाग के कमाल

आवव संगी तुमन ला सुनावथ हव दशरू बबा के कहानी ला बबा हा निचट अड़हा रहय फेर जिन्दगी मा पढ़े नी रहीस पर कढ़े जरूर रहीस हे दशरू बाबा बड़ गरीब रहय घर मा ढोकरी दाई अऊ बबा रहय दुनो झन बनी भुती करके जिन्दगी चलावय दिन रात हरी गुन ला गावय सुख सुख दिन ला गुजारय। बबा अऊ ढ़ोकरी दाई के कमाये ले कुछ बछर बीते के बात सबो चीज होगे रहय।उही समय गाव मा अड़बड़ चोरी होवय जेकर घर में पावय तेकर घर में चारी करे ला घुस…

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मोर छत्तीसगढ़ के भुंइया

मोर छत्तीसगढ़ भुंइया के,कतका गुन ल मैं गांवव | चन्दन कस जेकर माटी हाबे,मैं ओला माथ नवांवव || ये माटी म किसम किसम के, आनी बानी के चीज हाबे | अइसने भरपूर अऊ रतन, कोनो जगा कहां पाबे || इही में गंगा इही में जमुना, इही में हे चारो धाम | चारों कोती तेंहा किंचजरले, सबो जगा हाबे नाम || आनी बानी के फूल इंहा, महर महर ममहावत हे | हरियर लुगरा धान के पाना, धरती ल पहिनावत हे || आनी बानी के रिती रिवाज, दुनिया ल लुभाथे | गुरतुर…

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