जिनगी के का भरोसा

जिनगी के का भरोसा कब सिरा जही तेल के बढ़ात देरी हे दीया बूता जही दुःख-सुख म सबके काम आ रे मनखे इहि जस तोर चोला ला सफल बनाही झन अकड़बे पइसा के गुमान म कभू समय के लाठी परही त सब बदल जही एखर थपेड़ा ले धनमान होथे कंगला किरपा होहीे त कंगला, धनमान बन जही जुरमिल रईबे त जम्मो दुःख लेबे झेल अजुरहा बर काँकर घलो पहाड़ बन जही अपन बर सब जिथे ,दूसर के घलो सोंच दुःख के नीरस सुरूज हा घलो ढल जहि झन फस चारी-चुगली…

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छत्तीसगढ़ निर्माण

एक नवम्बर 2000 मा छ.ग. अपन अस्तित्व मा अईस हे भारत देश मा अपन पहचान ला बनाईस हे 26 वाँ राज्य के नाम ला अपन छ.ग. हा पइस हे रायपुर शहर ला, अपन राजधानी बनाईस हे। जिला बिलासपुर ला, हाईकोर्ट के दर्जा दिलाईस हे। मूल मंत्र सादगी के साथ, जन सेवा ला अपनईस हे। पहाड़ी मैना ला राजकीय पक्षी बनाइस हे। महानदी के गौरव ला, बढ़ईस हे। वन भैसा ला, राजकीय पशु बनाईस हे। छ.ग. माटी के, गौरव ला बढ़ाईस हे। हेमलाल साहू

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कातिक

पहला सरग:- उमा के जनम भारत के गंगाहू मा, हे हिमालय पहार। जे हे उड़ती बूड़ती, धरती के रखवार।। धरती ल बनाइन गाय, पीला बन गिरिराज। मेरू ला ग्वाला बना, पिरथू दूहिस आज।। हिमालय रतन के खान, हावय सेता बरफ। महादेव के गला मा, सोभा पाथे सरफ।। हिमालय के चोटी मा, हे रंग बिरंग चट्टान। बादर छांय सुघर लाल, परी सम्हरे पहान।। पहरी चोटी बड़ उपर, मेघ नी सके जाय। साधु पानी ले घबरा, चोटी मा चढ़ जांय।। शेर मारथे हाथी ला, परथे रकत निसान। बरफ मा लहू मिटाथे, गजमोती…

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दु आखर स्वास्थ्य के गियान

मोर बताये रस्ता देहु तुमन धियान दु आखर स्वास्थ्य के, बतावत हौ गियान। होही पतला दस्त इलका के, जेकर ले झन घबरा। चुटकी भर नून, चम्मच भर शक्कर एक गिलास पानी घोल बनाव। घेरी-बेरी पानी लइका पिलाव। नई मिले तव पेज अउ नून डारके पिलाव। मोर बाये रस्ता देहु तुमन धियान। दु आखर स्वास्थ्य के, बतावत हौ गियान। दस्त के संग खून हर जाय। आॅखी मुंह खुसरे दिखय, माथा पिराय। रोय आंसू गिरे, मुंह हा सुखाय। रूके पिसाब तव डाक्टर ला दिखाव। मोर बाये रस्ता देहु तुमन धियान। दु आखर…

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छत्तीसगढ़ के बासी चटनी

छत्तीसगढ़ के बासी चटनी, सबला बने मिठाथे | इंहा के गुरतुर भाखा बोली, सबला बने सुहाथे | होत बिहनिया नांगर धरके, खेत किसान ह जाथे | अपन पसीना सींच सींच के, खेत म सोना उगाथे | नता रिशता के हंसी ठिठोली, इंहा के सुघ्घर रिवाज ए, बड़े मन के पैलगी करना, इंहा के सुंदर लिहाज ए | बरा सोंहारी ठेठरी खुरमी, इंहा के कलेवा ए | चीला रोटी चंउसेला कतरा, इंहा के ये मेवा ए | मीत मितानीन महा परसाद मे, सबो माया बंधाये हे | जंवारा भोजली गंगाजल मे,…

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रासेश्वरी

1- बन्दना 1- कदंब तरी नंद के नंदन, धीरे धीरे मुरली बजाय। ठीक समे आके बइठ जाय, घरी घरी तोला बलाय।। सांवरी तोर मया मा, बिहारी बियाकुल होवय। जमुना के तीर बारी मा ,घरी घरी तोला खोजय।। रेंगोइया मला देख के ,आपन हाथ ला हलाय। गोरस बेचोइया ग्वालिन मला,बनमाली पूछय। कान्हा के मन बसे हस,तोला मया करय।। ष्यामा तोर संग बिहारी,रस रास रचाय। सुमति मोर बचन ला सुन,तोर मति मा थोरकन गुन। चाहना पूरी कर दे तैंहर,पाबे गोरी तैंहर रसरास पून।। जमुना के लहरा घलो,मजा मा हल्ला मचाय। 2:- राधा…

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गाँव लुकागे

कईसन जमाना आईस ददा, गाँव ह घलो लुकागे I बड़का बड़का महल अटारी म, खेत खार ह पटागे I नईये ककरो ठऊर ठिकाना, लोगन ल बना दिस जनाना I नेता मन के खोंदरा बनगे, छोटकुन के आसरा ओदर गे I चिटकिन रुपिया देके, ठेकेदार अऊ नेता तनगे I गवई ल शहर बनाके, कईसन कईसन गोठीयाथे I मेहनत करईया ल भूखे मारथे, टेसहा ल एसी म घुमाथे I कईसन जमाना आयिस ददा, गुरतुर गोठ सुने बर नदागे I पिरित के मया अऊ, बानी के बोल सिरागे I लईका लोग ह लोक…

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येदे गरमी के दिन आगे

येदे गरमी के दिन आगे चारो कुती घाम हा बाड़ गे घाम के झाँझ मा तन हा लेसागे तन ले पसीना पानी कस चुचवागे रूख-राई के छैईहा सिरागे येदे गरमी के दिन आगे। पानी के बिना काम नी चले चारो कुती पानी के तगई छागे तरिया-डबरी, नरवा-डोगरा जम्मो सुखागे गरमी के घाम ला देख के जी थरागे येदे गरमी के दिन आगे। चिरई-चिरबुन, जानवरमन पानी बर तरसे चिराई-चिरबुन, जानवरमन छैइहा खोजे पानी के तिर मा जाके बसेरा डाले चिरई-चिरबुन, जानवरमन छैईहा मा आके बैठे माझनिया के घाम ला कोनो नई…

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पद्मश्री डॉ.सुरेन्‍द्र दुबे के वेबसाईट

कविसम्‍मेलन मंच के चर्चित अंतर्राष्‍ट्रीय कवि पद्मश्री डॉ.सुरेन्‍द्र दुबे के वेबसाईट म उंखर कवि सम्‍मेलन के नवा वीडियो संघारे गए हे। संगी मन अब पद्मश्री डॉ.सुरेन्‍द्र दुबे जी के वीडियो उंखर वेब साईट ले देख सकत हावंय। उंखर वेब साईट के पता हे – http://www.surendradubehasyakavi.com

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समारू के दु मितान कालू-लालू

ये कहानी हा हमर छत्तीसगढ़ के किसान अऊ ओकर मितान बईला के हरय। कईसे येक किसान हा अपन मितान ला जतन के रखथे त ओकर मितान बईला हा ओकर कईसे साथ देथे। ऐकठन गाँव मा बड़ गरिबहा किसान रहाय ओ किसान के नाम रहय समारू। समारू ह बड़ गरीब रहय बेचारा हा बनी करके खाय कमावय। समारू घर दुठीन गाय रहय दोनो गाय हा गाभीन तको रहय। समारू हा अपन लक्ष्मी के सेवा जतन बड़ सुघ्घर करय। समारू हा अपन कोनो गरवा ला कभू नी बाधय हमेशा ओला कोठा मा…

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