सियान मन के सीख- चुप बरोबर सुख नहीं

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! चुप बरोबर सुख नही रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन। आज के जमाना म मनखे मन बोले बर अतका ललाइत रहिथे के उनला पते नइ चलय के उमन बोलत-बोलत का बोल डारिन। जउन ला देखौ तउन गरजे बर तियार रहिथे काबर के उनला ए लगथे के मय बोल-बोल के सारी दुनिया ला जीत लेहूॅ। मोरे चलती रही अउ मोर आगू म फेर कोनो के बोले…

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गांव होवय के देश सबो के आय

मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । एक्केला मा दूये परकार के मनखे रहि सकथे एक तन मन ले सच्चा तपस्वी अउ दूसर मा बइहा भूतहा जेखर मानसिक संतुलन डोल गे हे । सामाजिक प्राणी के सबले छोटे इकाई घर परिवार होथे, जिहां जम्मोझन जुर मिल के एक दूसर के तन मन ले संग देथें अपने स्वार्थ भर ला नई देखंय कहू कोनो एको झन अपन स्वार्थ ला अपन अहम ला जादा महत्व दे लगिन ता ओ परिवार…

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विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता

नेता के गोठ नेता ह अड़जंग भोगाय हे, घुरवा कस बेशरम छतराय हे I किसान मन के लहू चूस के, येदे कस के बौराय हे I देख के मजदूर अऊ किसान ह, मरत ले मुरझाय हे I उज्जर उज्जर कुरता पहिन के, दाग ल घलो छुपाय हे I नेता ह अड़जंग भोगाय हे I नेतागिरी अऊ दादागिरी करके, लोगन ल गोड़ तरी दबाय हे I जात अऊ पात में बाटके, भाई ल भाई से लड़ाय हे I चापलूसी करत बाबू अफसर ह, गजब के पोट्ठाय हे I अब तो कुछ…

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छत्तीसगढ़ी तांका

1. का होगे तोला मन लइ लागे हे काम बुता मा कोनो चोरा ले हे का मया देखा के। 2. मया के फांदा मैं हर फसे हंव आंखी ला खोले निंद मा सुते हंव देखत ओला । 3. तोर आंखी मा उतर के देखेंव थाह नइ हे डूबत हंव ओमा मया के मारे । 4. दिल हरागे मया मा सना के गा बेजान देह गारी देवा के गल्ला का मतलब । रमेशकुमार सिंह चौहान मिश्रापारा नवागढ, जिला-बेमेतरा मो 9977069545

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दूध म दनगारा परगे…

(पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की हिन्दी कविता *दूध में दरार पड़ गई* का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद : सुशील भोले) लहू कइसे सादा होगे भेद म अभेद खो गे बंटगें शहीद, गीत कटगे करेजा म कटार धंसगे दूध म दनगारा परगे… मयारू माटी म येला पढ़व इंहा..

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