पहिली घांव रूपिया ल रोवत देखिन लोगन। जंगल म आगी लगे जइसे खबर फइल गे। कतको झिन ल बिसवास नि होइस । सचाई ल जाने बर कतको मनखे बेचेन होए लागिन। सरी दुनिया ल अपन तमासा अउ करतब ले रोवइया ल, उदुप ले रोवत सुनना अउ देखना, आसचर्य अउ सुकुरदुम होए के, बिसे रिहीस। जम्मो सोंचे लागिन काबर रोवत हे रूपिया, काए बिपत्ती परे हे ओकर उप्पर। सकलागे उही जगा म कतको मनखे। पूछे गऊंछे लागिन। काए पीरा खावत हस या तेमे, डेंहक डेंहक के रोवथस? बड़ किरोली के पाछू…
Read MoreMonth: May 2015
भोरहा में झन रईहूँ
आज के बदतर हालत ल देखके अईसन लागथे की मीठ लबरा मन बोलथे भर,अऊ करे कुछु नहीं I ऐकर बोली अऊ भाखा के जाल में फस के हमर किसान,जवान,मजदूर मन के जिनगी जिवई ह दूभर होगे हे Iओकर सेती पीरा ल एकर जान के सचेत रेहे बर काहत हौ – भोरहा में झन रईहूँ ए मीठ लबरा के पीछू म, मत जाबे ग किसान I पेर के तोला रख दिही, अऊ कर दिही पिसान I लईका लोग मनखे मन, अऊ सुनव ग मितान I ऐकर भोरहा म परहू त, निकल…
Read Moreगांव ल झन भुलाबे अउ किसान
गांव ल झन भुलाबे शहर में जाके शहरिया बाबू गांव ल झन भुलाबे | नानपन के संगी साथी ल सुरता करके आबे || गांव के धुर्रा माटी म खेलके बाढ़हे हे तोर तन ह आमा बगीचा अऊ केरा बारी म लगे राहे तोर मन ह आवाथे तीहार बार ह सुरता करके आबे शहर में जाके …………….. सुरता कर लेबे पीपर चंउरा ल अऊ गुल्ली डंडा के खेल ल गांठ बांध ले बबा के बात ल अऊ मीत मितान के मेल ल हिरदय में अपन राखे रहिबे मया ल झन बिसराबे…
Read Moreसंपादकीय : का तैं मोला मोहनी डार दिये
संगी हो देखते देखत हमर साहित्य के भण्डार बाढ़त जावत हे। हमर सियान अउ हमर भाखा के परेमी गुनीक मन छत्तीसगढ़ी भाखा ल संविधान के आठवीं अनुसूची म लाए खातिर अपन-अपन डहर ले उदीम म लगे हन। सांसा ले आसा हवय, आज नहीं त काली हमर गोहार ल संसद ह सुनही अउ हमर भाखा संविधान के आठवीं अनुसुची म दरज होही। छत्तीसगढ़ी पद्य साहित्य म छंद बंधना म कसे रचना बीच के समे म कमती हो गए रहिसे। ये कमी ल जन कवि कोदूराम दलित जी के बेटा अरूण कुमार…
Read Moreवृत्तांत- (5) कौरा के छिनइ अउ जीव के बचई : भुवनदास कोशरिया
घासी ह बइला गाडी ल तियार करत हे ,अपन ससुरार सिरपुर जाय बर । सवारी गाडी ये ।रथ बरोबर सजाय हे ।घासी ह, सादा के धोती कुरता पहिरे हे ।सिर म, सादा के पागा बांधे हे ।कंधा म ,अलगी लटकाय हे। पांव म, नोकदार चर्राहट पनही पहिरे हे। बइला हीरा मोती ल, घलो बढिया सम्हराय हे ।घेंच म, घांघडा बंधाय हे। गाडी म बइला फांद के ,कांसडा खींचे बइठे हे ।सफुरा ल अगोरत हे ।सफुरा मइके जाय के धुन म, लकर धकर घर के काम करिच अउ लोग लइका बर…
Read Moreवृत्तांत- (6) सबे जीव के सरेखा ..रखना हे : भुवनदास कोशरिया
घासी के बइला गाडी सोनखनिहा जंगल ल पार होगे ।अब छोटे ,छोटे जंगल, पहार, नदिया, नरवा अउ कछार ,उबड, खाबड खेती ,खार , रस्ता ल नाहकत हे । गाडी के खन खन ,खन खन करत घांघडा के आवाज ले बघुवा ,भलुवा चीतवा सब बांहकत हे ।गाडी के हच्चक हाइया होवाई से घासी ह कहिथे …….देखत हस सफुरा !ये रस्ता ल । कभु जंगल ,कभु झाडी कभु परवत ,कभु पहाड़ी । का ? का ? मिलिस हे ? अतका सुनत सफुरा ह कहिथे ……हमर पुनिया दादी ह काहय । “कहीं दुख…
Read Moreवृत्तांत- (7) अपन धरती अपन आगाश : भुवनदास कोशरिया
भीड ओसरी पारी खरकत गिस ।सब अपन अपन घर जाय लगिस ।सफुरा ह गाडी म चढीच। घासी घलो गाडी म बइठ के बइला ल खेदे लग गे ।आगू आगू अंजोरी मंडल अउ संगे संगे गोल्लर नंदीराज घलो जावत हे ।घांघडा बइला के आवाज गली गली म खन खनावत हे ।खेलई, कूदई म बिधून लइका मन घलो खेलई ल छोड के गाडी के पाछू पाछू आवत हे। घरेच तीर म ,घांघडा बाजे के आरो ल पाके ,चाऊर निमारत सफुरा के दाई संतरा ह, कोन आगे दाई ? कहिके, सिंग दरवाजा म…
Read Moreवृत्तांत- (8) सिरपुर के पुन्नी घाट : भुवनदास कोशरिया
सिरपुर के पुन्नी घाट मा, जन सुनवाई के होय,बइठका ह समापन होइस। सब अपन ,अपन गांव, घर जाय लगिस।पेशवा शासक के पैेरोकार अपन अपन घोडा म सवार हो के दर, दर रइपुर निकलगे। पुन्नी संघ के जम्मो सदस्य मन ,घासी के तीर म आ गे । चारो मुुडा ल, घेर के गोलियावत हे । अउ दीया म ,बतर कीरी बराबर सब झिकावत हे ,एक के ऊपर एक झपावत हे ।घासी म तो ज्ञान हे, विज्ञान है ,ध्यान हे, सुलझे हुए सियान हे ।सब मनखे ह का ? जीव, जंतु ह,…
Read Moreहेमलाल साहू के कविता
हमर माटी हमर गोठ भगवान के पूजा करथव सही रद्दा मा चलथव। सब्बो झन ला अपन समझथव ज्ञान के संग ला धरथव अपन अज्ञानता ला भगाथव दाई ददा के गुन गाथव। ईश्वर के मया, कृपा अऊ दुलार हे छत्तीसगढ़ माटी के पहचान हे। किसान बेटा के नाम हे बुता बनिहारी के काम हें। हेमलाल मोर नाम हे। मोर बाबुजी गरीब किसान ये बुता बनिहारी ओकर काम यें मोर नाम ओकर पहचान यें बैसाखू ओकर नाम हे। मोर दाई ममता के बखान ये घर चलाना ओखकर काम ये मया अऊ दुलार…
Read More18 मई बट सावितरी पूजा विसेस : सत्यवान के खोज (बियंग)
नगर म हलाकान परेसान माईलोगिन के दुख नारद ले नी देखे गिस । जिनगी म सुख भोगे के रद्दा बतावत किहीस के, जेठ मास अमावस तिथि के बड़ रूख के पूजा करे बर लागही । त भगवान सिव जी परसन्न हो जही, अउ तोर जिनगी म सत्यवान वापिस लहुट जही, अउ जेन सुख के आस हे, ते पूरा हो जही । कुछ बछर पाछू, उदुप ले, उहीच माईलोगिन ले नारद के फेर भेंट होगिस । नारद ओखर ले कुछु पूछतिस तेकर ले पहिली, वो माई खुदे केहे लागिस – तेंहा…
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