बीमारी ले दुरिहा रहे के सरल उपाय (संकलित)

सबले पहिली बिहिनिया उठके 2 से 3 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए अउ पानी ल हमेशा बइठ के पीना चाहिए। पानी ल पीयत समय चाय बरोबर एकक घूंट पीना चाहिए एखर से पाचन क्रिया मजबूत हाथे। एखर बाद दूसर काम पेट साफ करे के हवय। पानी पीये के बाद शौचालय जाना चाहिए। पेट के सही ढंग से साफ नई होय ले 108 प्रकार के बीमारी होय के संभावना रहिथे। खाय के कम से कम डेड़ घंटा बाद पानी पीना चाहिये। अउ का – का कर सकत हन 1- खाय के…

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दूर के सोचथे महामानव

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावय। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मनखे ला हमेसा दूर के सोचना चाही रे। फेर संगवारी हो हमन नइ मानन। हमन हर अतका स्वारथी हो गै हावन के हमन हमेसा आज के बारे अउ अभी के बारे सोचथन अउ कहिथन के मनखे ला जियत भर जिनगी के जतका मजा लूटना हे लूट लेना चाही मरे के बाद कोन जनी का होही? हमर गोठ हर जबर सोचे के हावय। संगवारी हो हमर गोठ अउ तइहा के सियान मन के गोठ जबर फरक…

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जनता जनारदन

अभी बिगत दिन चुनई के माउहौल रहीस बड़ जोर-सोर ले नेतामन उनकर कारकरतामन परबार के मनखेमन जीतोड़ परतयासीमन के परचार -परसार करत रहिन, गली-खोल ऐसनहा लागै जाना मन कोनो बर बिहाव होवत रहीस हमर भोली-भाली जनता मन ला निच्चट जोजवा अव लोभी समझ लुगरा, पइसा, कंबल अव जरत के चीज बांट के भल मनखे अव जिमेदार मनखे बनत रहीन, फेर नई जानत रहीन कि आज के जनता जनारदन समय अनरूप सवधानअव जागरूक होगे हावय, कोनो तामझाम अव परलोभन नई आवय ऐकर परतक्ष उदाहरन अभी के नगर निगम नगरपालिका के चुनई…

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गांव-गंवई के बरनन- मिश्र के कविता में – सरला शर्मा

तेईस दिसंबर सन् उन्नीस सौ तीस म जाज्वल्यदेव के ऐतिहासिक नगरी जांजगीर के बाह्मनपारा म रहइया स्व. कन्हैयालाल मिश्र अऊ श्रीमती बहुरादेवी के घर अंजोर करइया बेटा जनमिस। महतारी-बाप के खुसी के ठिकाना नइ रहिस। आघू चल के विद्याभूषण जी अपन नांव के मरजाद राखिस अऊ छत्तीसगढ़ के प्रसिध्द लोकप्रिय गीतकार बनिस जिनला आज हम विद्याभूषण मिश्र के नाव से चिन्हथन। उन पहिली कविता 1946 मं बसन्त ऋतु पर लिखिन फेर कक्षा 11वीं म 1947 म सरस्वती वंदना लिखिन। अइसे लागथे वो दिन सरसती दाई संवागे आके उनकर मूंड़ म…

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हमर चिन्हारी ‘छत्तीसगढ़ी’ इस्थापित होही कभू ?

छत्तीसगढ़ी-मेला के रंग-ढंग बदलगे, नवा रूप-रंग के कुम्भ-मेला इस्थापित होगे -नंदकिसोर सुकुल खेलत-खात, हांसत-रोवत, पुदका-पुदकी करत चउदा बछर बीत गे नवा राज ‘छत्तीसगढ़’ बने। फेर, आजो तक ले छत्तीसगढ़ के ‘चिन्हारी’ इस्थापित नइ हो सके हे। छिदरे-बिदिर हे। आखिर ओकर चिन्हारी का हे? का हे ओकर चेहरा? चेहरेच्च ले तो काखरो चिन्हारी होंथे न। चारों कोती अइसे चरचा चलाए गे हे जानो-मानो एखर कोनो चेहरेच्च नइ हे। चेहरा-बिहीन, जेला अंगरेजी थंबमसमेेस कइथें। तव का छत्तीसगढ़ के कोनो चिन्हारीच्च नइये? त, जऊंनमन छत्तीसगढ़ ऊपर सासन करत हें, जऊंनमन छत्तीसगढ़ के सोसन…

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गुरतुर बोली बोलव

बोली बरदान आय। अगर मइनखे मन बरदान नई मिले रहितिस पूरा दुनिया मुक्का रहितिस। बोली ले ही मइनखे मन अपन गोठ बात ल, अपन सुख-दुख ल, अपन बिचार एक दूसर लगन बाटथे। मइनखे के चिन्हारी ओकर गोठ बात ले हाेथे कि कऊन मइनखे कतेक समझदार हे, कतेक बिद्वान हे कि कतेक सभ्य हे बात ओकर गोठ ले ही पता चलथे। एक दूसर लगन आपसी व्यवहार के सुरूवात गोठ बात ले ही होथे। कतको झन मइनखे मन अइसन होथे जऊन मन बिना बिचारे जइसे पाथे ओइसनहे बोल देथे लेकिन समझदार मइनखे…

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चार बेटा राम के कौडी के ना काम के

छोहीहा नरवा के  दुनो कोती दु ठन पारा नरवरगढ़ के । बुड़ती म जुन्ना पारा अउ उत्ती मा नवा पारा । जुन्नापारा मा गांव के जुन्ना बासिंदा मन के डेरा अऊ नवापारा मा पर गांव ले आये नवा मनखे मन के कुरिया । गांव के दुनो कोती मंदिर देवालय के ष्संख घंटा के सुघ्घर ध्वनि संझा बिहनिया मन ला सुकुन देवय ।  गांव के चारो कोती हरीयर हरीयर रूख राई, भरे भरे तरीया अउ लहलावत धनहा डोली, जिहां छेड़े ददरिया निंदत धान संगी अउ जहुरिया । जम्मो प्राणी अपन अपन…

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कुकुर कटायन

रामरमायन तिंहा कुकुर कटायन कहिथे। जिंहा सुभ काम के सुभारंभ होथे उँहे कुकुरमन के पहुँचना जरूरी होथे। कुकुर मन के ए दखलंदाजी ल देखके कभू कभू अइसे भरम होय लगथे के सुभ असुभ कोनो किसिम के काम होवय इंकर बिना असंभो हे। जइसे छट्ठी होवय चाहे मरनी नेता मन के उद्घाटन बिना असंभो होथे। कोनो मेर दू चार झिन मिलके बने बिचार-बिमर्स करत रहिबे। ओतके बेरा कुकुर मन आके झगरा होवत बिचार ल फोर भंगला देथे। बने बने सोचत चुप्पे अपन रस्ता म जावत रहिबे। इन अपने अपन भूंके लगथे।…

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चमत्कारी हवय अशोक के रूख

शास्त्र म लिखे गे हवय कि अशोक के रूख हर अड़बड़ चमत्कारी हवय। अगर अशोक के रूख घर म लगे हवय त कोनो समस्या अउ दुख तकलीफ तीर-तखार म नई फटकय। अशोक वृक्ष से कई प्रकार के धन-संपत्ति अउ कई ठन समस्या ल दूर करे जा सकत हवय। अशोक के पत्ता ल घर के दरवाजा म वंदनवार के रूप म लगाये जाथे। एखर से घर म नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव नई पड़य। एखर पत्ता के उपयोग धार्मिक कार्य म होते रहिथे। अषोक के रूख हर सदाबहार हवय। ये हर हर…

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वेलनटाइन अकारथ मनावत हव

उम्मर असन उम्मर नही अउ “लब” फरमावत हव बगइचा कोनटा म मुड़ी जोरे आशिकी गोठियावत हव अरे कुछ तो फिकर करव दाई- ददा के मरजाद के काबर बिदेशी बेलेंटाइन ला अकारथ मनावत हव चार दिन पाछु ले मौसम बनावत हव कोनो लाली गुलाब,कोनो आनी-बानी गिफ्ट बिसावत हव मोबाइल-व्हाट्सप के जमाना में छिन नइ लगत हे कोन मेर मिलना हे ते ठउर ल बतावत हव मुहु-कान बांधे टुरा-टुरी लॉन्ग डराइव म जावत हव दाई-ददा ल फोन करके एस्टरा किलास बतावत हव पंदरहि होगे कापी-किताब ल अलमारी म धराय का बिलवा ,का…

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