मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी

मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी भैईया मोरे किसान बैईला, नागर, तुतारी तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान भैईया मोरे किसान। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी भैईया मोरे बनिहार गईति,रापा,हसिया,टगिया तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान भैईया मोरे बनिहार। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी मोरे भईया जवाना काम, बुता, रखवारी तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान मोरे भईया जवान। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी मोरे भैईया बिधार्थी कलम, कापी, पुस्तक तोरे पहचान भुईयाँ दाई…

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धर्मेन्द्र निर्मल के पाँच गज़ल

कौड़ी घलो जादा हे मोल बोल हाँस के कौड़ी घलो जादा हे मोल बोल हाँस के। एकलउता चारा हे मनखे के फाँस के।। टोर देथे सीत घलो पथरा के गरब ला। बइठ के बिहिनिया ले फूल उपर हाँस के।। सबे जगा काम नइ आय, सस्तर अउ सास्तर। बिगर हाँक फूँक बड़े काम होथे हाँस के।। हाँसी बिन जिनगी के, सान नहीं मान नहीं। पेड़ जइसे बिरथा न फूलय फरय बाँस के।। दुनिया म एकेच ठन चिन्हा बेवहार हँ। घुनहा धन तन अउ भरोसा नइहे साँस के।। कोन ल कहन अपन…

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मोर भुईयां के भगवान

जाँगर तोड़ कमाये तेहा ग किसान, मरत हाबस तभो ले बनगे हस महान I भुररी असन लेसावत हे तोरो अरमान, टेटकत अऊ सेकावत हे तोरो येदे परान I तभो ले तेहा संगी भुईयां के भगवान I जिनगी म नईये तोरो कोई मुकाम, कईसे रहिथस गाँव में तेहा ग सियान I काकर बर करथस तेहा अतेक काम, का सेवक मन बना दिस तोला गुलाम I मन के मालिक रेहेव ग किसान, अब का होगे मोर भुईयां के भगवान I कईसे सजोवव तोला ग जजमान, संजोते सजोवत ऊड़ जाही मोरो दुऊकान I…

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नवा अंजोरी गे काय रे…

छत्तीसगढ़ राज बने चाैदह साल होगे। साल 2015 के बिहान हो गे हे! अब्बड़ होथे 15 साल फेर का छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़ियां मन बर नवा अंजोरी गे हे? सोचे बर पड़त हे। का बड़े-बड़े भवन, डामर के सड़क अऊ विकास के नाम धूल धुआं छोड़त कारखाना, यही विकास के पैमाना ये? अपन घर, अपन सहर हमन आज अनजान होगे हन। कोनो पहिचान नई आये, नवा-नवा चेहरा, नवा लोग एइसे लगथे के हमन दुसर सहर, राज के हन। छत्तीसगढ़ियां परमपरा, संस्कृति नंदात हे। नाचा-गम्मत, रहस, ददरिया, करमा, सुआ के जगह डीजे,…

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असल जिनगी म तको ‘नायक’ हाबे मनु फिल्म मेकर

छत्तीसगढ़ी भासा म बने एतिहासिक फिलिम ‘कहि देबे संदेश’ ह सन् 1965 म बने हाबे। ओ बखत स्वेत/स्याम के जमाना रिहिसे, मनोरंजन के माध्यम सिमित रिहिस, माने घरों-घर टीवी नइ पहुंचे रिहिस। ओ समे छत्तीसगढ़ी भासा म फिलिम के सिरजन ह सिरतोन म छत्तीसगढ़ के कला अउ छत्तीसगढ़ी भाखा के इतिहास ल पोट्ठ करथे। रायपुर जिला के खरोरा तिर के गांव कुर्रा (बंगोली) के कुर्मी परिवार म 1937 म जनमे मनु नायक ह अपन कारज के बल म समाज, गांव अउ राज बर सिरतोन म एक नायक बनके उभरिस। मनु…

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एक बीता पेट बर

परउ परिनिया दूनों परानी । धरे बासी चटनी पानी । कोड़े फेंके ढेला ढेलवानी । पेरथें जांगर तेल कस घानी – एक बीता पेट बर । तिरवर मंझनिया , तपत घाम । भूंजत भोंभरा लेसत झांझ । पेलत झेलत कूदत डंगोवत । लहकत डहकत तलफत झकोरत – एक बीता पेट बर । टूटगे कनिहां , हाय राम । सुख हे सपना दुख के काम । बुधरू बुधनी बेटा -‌ बेटी । उघरा नंगरा मांगे रोटी – एक बीता पेट बर । -गजानंद प्रसाद देवांगन छुरा

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वा बहनी उर्मिला कमाल कर देस

वा बहनी उर्मिला  कमाल कर देस दारु के बिरोध कर कड़ा संदेस दे देस नै करेस जिनगी के सौदा बिहाव करके भारत के नारी मन म हिम्मत भर देस वाह बहनी उर्मिला…………….. फेरा नै रेंग सकय तऊन का साथ देतीस सुग्घर भविष्य के तोला का बिश्वास देतीस नरक ले बद्तर जिनगी हो जतीस तोरो कुरीति के गाल म बने चटकन हन देस वा बहनी उर्मिला……………….. तोर देखे जम्मो बहनी  आवाज उठाहि तोर बिरोध के सुर म अपन सुर मिलाही जउन बरात म दारु ओखर बिरोध होही नारी सशक्तिकरण के तैहा…

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बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात

बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात बने कान देके सुन झन ते भाग। अपन जवाना के गोठ ला गोठियाही सुघ्घर मया प्रेम के बात ला बताही। सही रद्दा मा चले बर सिखाही सुघ्घर जिन्दगी के रद्दा धराही। दु भाखा खरी खोटी सुनाही नानम प्रकार के गोठ ला गोठियाही। किस्सा कहानी तोला सुनाही दु पैसा बचाये बर तालो सिखाही। अपन जवाना के गोठ ला गोठियाही सुघ्घर मया प्रेम के बात ला बताही। बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात बने कान देके सुन झन ते भाग। हेमलाल साहू

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सगा आवत हे

कांव कांव कौआ ह, बरेण्डी मे नरियावत हे | लागथे आज हमर घर कोनो सगा आवत हे|| बोरिंग ले पानी डोहार के दुवार ल छींचत हे | बिहनिया ले दाई ह खोर ल लीपत हे || लकर धकर छुही मे रंधनी ल ओटियावत हे | दार चांउर ल निमार डर बहु संग गोठियावत हे|| चौसेला खवाहूं कहिके चाउंर ल पीसवावत हे साग पान ल लान दे कहिके टूरा ल खिसियावत हे कांव कांव करके कौआ ह बरेण्डी मे नरियावत हे लागथे आज हमर घर कोनो सगा आवत हे महेन्द्र देवांगन”माटी”…

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