सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! आगू दुख सहिले रे! पाछू सुख करबे। फेर संगवारी हो हमन उखर बात ला नइ मानन। जम्मो मनखे मन पहिली सुख पाए के मन रखथे। उमन के सोच अइसे रहिथे के बाद मा दुख ला तो भोगने हावय एखर सेती पहिली सुख पा लेथन। संगवारी हो सुख अउ दुख के सीधा संबंध हावै बने अउ बिगडे करम से। गीता मा भगवान हर कहे हावय के मैं हर ए दुनिया मा कोनो ला सुख अउ दुख…
Read MoreYear: 2015
अड़हा दिमाग के कमाल
आवव संगी तुमन ला सुनावथ हव दशरू बबा के कहानी ला बबा हा निचट अड़हा रहय फेर जिन्दगी मा पढ़े नी रहीस पर कढ़े जरूर रहीस हे दशरू बाबा बड़ गरीब रहय घर मा ढोकरी दाई अऊ बबा रहय दुनो झन बनी भुती करके जिन्दगी चलावय दिन रात हरी गुन ला गावय सुख सुख दिन ला गुजारय। बबा अऊ ढ़ोकरी दाई के कमाये ले कुछ बछर बीते के बात सबो चीज होगे रहय।उही समय गाव मा अड़बड़ चोरी होवय जेकर घर में पावय तेकर घर में चारी करे ला घुस…
Read Moreमोर छत्तीसगढ़ के भुंइया
मोर छत्तीसगढ़ भुंइया के,कतका गुन ल मैं गांवव | चन्दन कस जेकर माटी हाबे,मैं ओला माथ नवांवव || ये माटी म किसम किसम के, आनी बानी के चीज हाबे | अइसने भरपूर अऊ रतन, कोनो जगा कहां पाबे || इही में गंगा इही में जमुना, इही में हे चारो धाम | चारों कोती तेंहा किंचजरले, सबो जगा हाबे नाम || आनी बानी के फूल इंहा, महर महर ममहावत हे | हरियर लुगरा धान के पाना, धरती ल पहिनावत हे || आनी बानी के रिती रिवाज, दुनिया ल लुभाथे | गुरतुर…
Read Moreबुढ़ुवा कोकड़ा
मैं अक्खड़ देहाती अंव
कोनजनि मनखे आवस कि राक्षत रे काटजू
कई पईत खाय हव अउ आघू घलो खाहुच्चे कहिथस गऊ माँस प्रोटीन आवय एमा परतिबंध गलत हे कहिथस कोंनजनि मनखे आवस कि राक्षत रे मार्कंडेय काटजू का तै भुला गे हस तय कोन देश म रहिथस? सुन एहा वो देश ए जिहा कृष्णा गउ सेवा बर आय हे बृज म जेखर रक्षा बर गोवर्धन ल अंगरी म उठाय हे जेखर गोबर ल परसाद अउ गऊ मूत्र ल अमरीत केहे गेहे अइसन गउ माता ल तै नीच हा तरकारी समजथस? अउ सुन ,जेन गऊ के छाव परे म कतको रोग मिटा…
Read Moreजोहत हाबन गा अउ झन भुलाबे
जोहत हाबन गा नई चाहिबे तभो ले, ये सरकार के बोझ ल ढोए बर पड़थे I अऊ ओकर गलती के सजा, हमर सेना ल भुगते ले पड़थे I न्याय होही कईके जोहत रहिबे, अऊ अन्याय ह सफल होथे I सबर के बाण टूटथे त, माटी ह मोर लहुलुहान होथे I ये कईसन राज काज हे भाई, गूंगा ल भैरा से लड़ाथे I अऊ दुनो कोई अन्धाधुन गोली बरसाथे I मेहा जोहत हौ संगवारी, कभू तो शांत होही दुवारी I ऐ लुका छिपी के खेल में, कब रुकही बहत खून के…
Read Moreभुईया दाई करत हे गोहार
भुईया दाई करत हे गोहार भुईया दाई करत हे गोहार छोड़ के झन जा भैईया शहर के द्वार ये नदिया-नरवा, ये रूखराई तोला पुकारत हे मोर भाई चिरई-चिरबुन मया के बोली बोलत हे तुरह जवई जा देख जिहाँ खऊलत हे गाँव के बईला-भैईसा, गया-गरूवामन मया के आसु रोवत हे हमर जतन कराईया हा शहर मा जाके बसत हे भुईया दाई ला छोड़के मनखे हा शहर डहर रेगत हे आज के लईकामन खेती-खार ल छोड़त हे पढ़-लिख के शहरिया बाबू बने के सपना देखत हे गाँव ला छोड़ शहर मा जाके…
Read Moreछत्तीसगढ़ी लोककथा : राजा के मया
एकठन राज मा एक राजा के बने-बने राजकाज चलत रहय। तइसने मा राजा ला एक मिट्ठू ले मया हो जाथे। राजा मिट्ठू बर बढ़िया सोना-चांदी रत्न ले गढ़े fपंजरा बनवाइस अऊ मिट्ठू ला पिंजरा मा धांध दिस। राजा मिट्ठू के मया मा रोज, दिन मा तीन बार मिट्ठू ला देखे बर आय अऊ अपन हाथ ले बिहिनिया, संझा खाना खवाय। राजा ला मिट्ठू बर अतेक मया करत देख के राज दरबारी अऊ परजा मन गुनें ला लागय कि अइसने मा राजा के काम-काज कइसे चलही ? फेर राजा ला कोन…
Read Moreरोवत हावय महतारी
सहीद के अपमान के एक ठिन अउ घटना …अंतस बड़ हिलोर मारत हे …करेजा म बड़ पीरा…लहू उबाल मारत हे…कोनो के बेटो, कोनो के भाई, कोनो के जोही, कोनो के मया…सहीद होगे….सहीद होगे मोर संगवारी…मोर संगवारी ल समरपित ये गीत…. रोवत हावय महतारी… रोवत हावय महतारी रोवत अंगना-दुवारी हे तोर बिन अब का हे जीना तोर बिन अब का हे जीना सुन्ना मोर फूलवारी हे सुन्ना मोर फूलवारी हे रोवत हावय महतारी…… बहिनी के राखी रोवय रोवय मया के पाखी जोही बिन जिना कइसे जइसे दिया बिन बाती जइसे दिया…
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