छत्तीसगढ़ी काव्य चितेरे : बाबू प्यारेलाल गुप्त

छत्तीसगढ़ के भुइंया मं कतको रतन मनखे मन जनम लइन। जेखर काम ले छत्तीसगढ़ के नांव हर बड़ उजराइस हवे। अइसन हे हरियर भुइंया मं 17 अगस्त, 1891 के दिन बाबू प्यारेलाल गुप्त के जनम होए रहिस। गुप्तजी हर गद्य तथा पद्य दूनो म अपन कलम चलाइन अउ कतको उपन्यास, कविता, संग्रह तथा इतिहास के किताब लिखिन। उन हिन्दी म तो लिखबेच करीन, ठेठ छत्तीसगढ़िया म भी खूब लिखिन। धरम-करम में भी उंखर मन लागय। रतनपुर के प्रख्यात विष्णु महायज्ञ ल सफल करे बर बड़ मिहनत करीन अउ ओखर स्मारिका…

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राजा छत्तीसगढ़िया 2 म हवय आज के कहानी

फिलिम के कहानी म एक परदेसिया अपन परिवार सहित छत्तीसगढ़ म आथे, इंहा आके छत्तीसगढ़िया किसान मेर गिड़गिड़ाथे नौकरी के भीख मांगथे। छत्तीसगढ़िया किसान ओकर दुःख ल देखे नई सकय, काबर कि छत्तीसगढ़िया मन सिधवा, भोला अउ दयालू रहिथेंं। ओ किसान ओ परदेसिया ल अपन घर म राख लेथे। धीरे-धीरे ओ परदेशिया ह पूरा गांव के भोला-भाला छत्तीसगढ़िया मन के विश्‍वास ल जीतथे अउ ओ गांव के सरपंच बन जाथे। थोरकेच दिन म विधायक बन जाथे। अपन परदेशिया संगी मन संग मिल के ओ ह धीरे-धीरे गांव के सबो किसान…

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