फेसबुक में छत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर हम आत्ममुग्ध हुए जा रहे हैं। इन शब्दों के सहारे हम अपनी छद्म अस्मिता से खिलवाड़ कर रहे हैं और अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं। मुखपोथी में सक्रिय छत्तीसगढ़ी भाषा के योद्धा नंदकिशोर शुक्ल जी लगातार जिस बात को दोहराते रहे हैं यदि उनकी बातों को ध्यान में नहीं रखा गया तो यह निश्चित है कि हमारी फेसबुकाइ हुसियारी धरी रह जायेगी और आपके देखते-देखते ही छत्तीसगढ़ी नंदा जायेगी। उनका स्पष्ट कहना है कि छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राथमिक…
Read MoreYear: 2016
दोहा के रंग : दोहा संग्रह
छत्तीसगढ़ मा छन्द-जागरण ये जान के मन परसन होईस कि नवागढ़ (बेमेतरा) के कवि रमेश कुमार सिंह चौहान, दोहा छन्द ऊपर “दोहा के रंग” नाम के एक किताब छपवात हे। एखर पहिली रमेश चौहान जी के किताब “सुरता” जेमा छत्तीसगढ़ी कविता, गीत के अलावा कई बहुत अकन छंद के संग्रह हे, छप चुके हे. कुछ दिन पहिली ईंकर छत्तीसगढ़ी के कुण्डलिया छंद संग्रह ““आँखी रहिके अंधरा” के विमोचन घलो होय हे। हमर देश के साहित्य अमर साहित्य आय. कई बछर पहिली गढ़े रचना मन ला आज भी हमन पढ़त औ…
Read Moreकहानी : पछतावा
एक गाँव में एक झन बुधारू नाम के मनखे राहे ।वोहा बचपन से अलाल रहे।ओकर दाई ददा ह ओला इस्कूल जाय बर अब्बड़ जोजियाय ।त बुधारू ह अपन बस्ता ल धर के निकल जाय,अऊ चरवाहा टूरा मन संग बांटी भंवरा खेलत राहय।छुट्टी होय के बेरा में फेर बस्ता ल धरके अपन घर आ जाय । बुधारू ह जइसे – जइसे बाढ़त रिहिस ओकर आदत ह बिगड़त जात रिहिस ।वोहा अपन संगवारी मन संग लुका – लुका के बिड़ी अऊ गांजा पीये ।तम्बाकू अऊ गुटखा घलो खाय।कोई कोई लइका मन ह…
Read Moreछत्तीसगढ़ी साहित्य में काव्य शिल्प-छंद
– रमेशकुमार सिंह चौहान छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ प्रांत की मातृभाषा एवं राज भाषा है । श्री प्यारेलाल गुप्त के अनुसार ‘‘छत्तीसगढ़ी भाषा अर्धभागधी की दुहिता एवं अवधी की सहोदरा है।’’1 लगभग एक हजार वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ी साहित्य का सृजन परम्परा का प्रारम्भ हो चुका था। अतीत में छत्तीसगढ़ी साहित्य सृजन की रेखायें स्पष्ट नहीं हैं । सृजन होते रहने के बावजूद आंचलिक भाषा को प्रतिष्ठा नहीं मिल सकी तदापि विभिन्न कालों में रचित साहित्य के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं। छत्तीसगढ़ी साहित्य एक समृद्ध साहित्य है जिस भाषा का व्याकरण हिन्दी के पूर्व…
Read Moreखोखो मोखो डलिया, पाके बुंदेलिया : छत्तीसगढ़ी बाल गीत
दूध-मोंगरा, गंडई के नोनी मन के आवाज म सुनव डॉ.पीसीलाल यादव द्वारा संपादित बाल गीत- मोबाईल रिकार्डिंग : अरूण कुमार निगम
Read Moreछत्तीसगढ़ी भाषा ल पहचान देवाबोन : दयाल दास बघेल
छत्तीगसढ़ी राजभाषा आयोग के स्थापना दिवस म महंत घासीदास संग्रहालय के सभागार म आयोजित कार्यक्रम के माई पहुना संस्कृति, पर्यटन एवं सहकारित मंत्री दयाल दास बघेल ह समारोह म कहिन के छत्तीसगढ़ी भाषा ल आठवां अनुसूची म सामिल करे बर सरलग उदीम करे जात हे। मंत्री दयाल दास बघेल ह कहिन के छत्तीसगढ़ी ल आठवां अनुसूची म सामिल कराबोन। मुख्यमंत्री मेर ये बारे म चर्चा करके प्रदेश के सांसद मन ल लोकसभा म ये विषय ल जोर-सोर से उठाये बर कहिबोन। येकर ले छत्तीसगढ़ी भाषा ल आठवां अनुसूची में सामिल…
Read Moreप्रधानमंत्री उज्जवला योजना म 3.18 लाख महिला मन ल मिलिस रसोई गैस कनेक्शन
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत राज्य म अब तक लगभग साढ़े तीन महीना म तीन लाख 17 हजार 996 गरीब परिवार के महिला मन ल रसोई गैस कनेक्शन देहे गए हे। येमा गांव कोति के दो लाख 72 हजार 489 परिवार, शहरी कोति के 19 हजार 823 परिवार अउ 25 हजार 684 मकान बनाये के काम म लगे मजदूर परिवार के महिला मन ल गैस कनेक्सन देहे गए हे। ये योजना के सुरूवात मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के माई पगरईत म राजधानी रायपुर म ये साल 13 अगस्त के दिन…
Read Moreअब बंद करव महतारी के अपमान
हमर भारत देश कई ठिन राज हवय जिहां नाना प्रकार के किस्सा कहिनी फूल कस महमहावत, मइनखे मन के गुन सब्बो कर्ता बगरावत रइथे…। यही कर्रा महाराष्ट्र के सिवाजी महराज के एक ठिन किस्सा आप मन बतावत हवंव। एक के गोठ हे सिवाजी के एक झन सेनापति हर कलियान के किला लरई जीत गिस। अतंक परकार के संपति ओखर हाथ आइस के वोहर कूल के कृपा होगे रहय। तइहा के बेरा जीते राजा सेनापति संपति अस्त्र शस्त्र के संगे संग उहां के रानी अउ दासी घला भेंट स्लरुप मिलय। सेनापति…
Read Moreखरीफ विपणन वर्ष 2015-16 के एक भरती बारदाना के उपयोग धान खरीदी म करे जा सकही
राज्य सरकार ह खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 म न्यूनतम समर्थन मूल्य म उपार्जित धान के कस्टम मिलिंग नीति के संबंध म विस्तृत दिशा-निर्देश पाछू महीना के चार तारीख को जारी करे हे। पहिली जारी नीति म कस्टम मिलिंग उपर प्रोत्साहन राशि अउ मिलर तिर कस्टम मिलिंग के पाछू बचत एक भरती बारदाना के व्यवस्था म संशोधन करे गए हे। संशोधित नीति खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग कोति ले मंत्रालय (महानदी भवन) ले प्रदेश के जम्मो जिला कलेक्टर मन ल काली 24 नवम्बर को जारी कर देहे गए हे।
Read Moreकलाकार के सबले बड़े दुसमन गरब हर होथे
सुप्रसिध्द लोकगायिका कविता वासनिक संग गोठ बात गांव के चौपाल ले निकल के हमर छत्तीसगढ़ी गीत संगीत अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा छागे हावय। मोला सुरता हे सन् 1982 में जब मोर गाय गीत ‘पता दे जा रे पता ले जा गाड़ीवाला…’ पहिली बार पॉलीडोर कम्पनी ले रिकार्ड बन के बाजार मा आय रिहिस अउ बीबीसी लंदन के रेडियो में बाजे रहिस त छत्तीसगढ़िया मन के छाती हर बड़े-बड़े सोंहारी कस फूल गे रिहिस। ये गीत हर राइपुर दूरदर्शन केन्द्र के उद्धाटन के बेरा म तको बाजे रहिस।’
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