लोक परब छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार

जिनगी मा दान दक्छिना के घातेच महत्तम हावय, असल सुख-सान्ती दान पुन मा समाय हावय। हमर देश अउ धरम मा दान अउ तियाग के सुग्घर परमपरा चले आवत हे, भले वो परमपरा मन के नाँव अलग-अलग रहय फेर असल भाव एकेच होथे- दान अउ पुन। अइसने एकठन दान पुन करे के सबले बङ़े लोक परब के नाँव हे छेरछेरा परब। लोक परब एकर सेती कहे जाथे के एहा जन-जन के जिनगी मा रचे बसे हे, समाय हे। हमर छत्तीसगढ के जीवन सइली मा तो छेरछेरा हा नस मा लहू रकत…

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दान-पुन के महापरब-छेरछेरा

मया-पिरीत के भूंइया छत्तीसगढ़,सेवा सद्भाव के मीठ अमृत छत्तीसगढ़,सोझ,सहज,सरलता के भूंइया छत्तीसगढ़,जिहां सिरजन,संस्कार,समरसता के बोहवत हे गंगा धार। इही निरमल धारा म हमर छत्तीसगढ़ के लोक परब अउ तिहार मन सिरजे हावय। हमर परब अउ तिहार मन खेती संस्कृति ले जुड़े हावय जउन ह मनखे ल मनखे संग जोर के कारज करथे। मनखे के हिरदे म प्रकृति अऊ खेती के प्रति मया पलपलावत रहिथे। खेती-किसानी के संग जिनगी जुड़े रहिथे। हमर खेती संस्कृति के अलगे चिन्हारी हे जेखर सेती हमर महतारी ल ‘‘धान के कटोरा‘‘ कहिथे। ‘‘धान के कटोरा‘‘ जब…

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मुक्का उपास

माघ महीना के अमावसिया ला मौनी अमावसिया कहे जाथे। एहा एक परब बरोबर होथे एखरे सेती एला मुक्का उपास के परब कहीथे। ए दिन ए परब के बरत करइया मन ला कलेचुप रहीके अपन साधना ला पूरन करना चाही। मुनि सब्द ले मौनी सब्द हा बने हावय। एखर सेती ए बरत मा कलेचुप मउन धारन करके अपन बरत ला पूरा करइया ला मुनि पद हा मिलथे। ए दिन गंगा-जमुना मा असनांद करना चाही। ए अमावसिया हा सम्मार के परगे ता अउ जादा बाढ़ जाथे। ए दिन धरती के कोनो कोन्टा…

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छेरछेरा के तिहार – लइका मन पारत गोहार

हमर भारत देश में पूजा पाठ अऊ दान के बहुत महत्व हे। दान करे बर जाति अऊ धरम नइ लागय। हमर भारतीय संसकिरती में हिन्दू, मुसलिम, सिख, ईसाई, जैन सबो धरम के आदमी मन दान धरम करथे अऊ पून कमाथे। हमर वेद पुरान अऊ सबो धरम के गरन्थ में दान के महिमा ल बताय गेहे। हमर छत्तीसगढ़ में भी अन्नदान करे के बहुत महत्व हे। इंहा के मनखे मन बड़ दयालु हे। कोनों आदमी ल भूखन मरन नइ देख सकय। एकरे सेती दूसर परदेस के मनखे मन घलो आके इंहा बस जथे। छत्तीसगढ़…

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तिल सकरायत

मकर संकरान्ति ला छत्तीसगढ़ मा तिल सकरायत तिहार के नाँव ले जाने अउ मनाय जाथे। अइसने एला तमिलनाडु मा पोंगल,आंध्रप्रदेश कर्नाटक मा संकरान्ति, पंजाब मा लोहिङ़ी अउ उत्तरप्रदेश मा खिचङ़ी परब के रुप मा मनाथे। सुरुज नरायन के मकर राशि मा जवई हा मकर संकरान्ति कहाथे। ए दिन सुरुज देव हा उत्तरायन हो जाथे। बेद-पुरान के हिसाब मा उत्तरायन ला देबी-देवतामन के दिन अउ दक्छिनायन ला रतिहा कहे जाथे। ए दिन हा इस्नान, दान, जप, तप अउ साधना-अनुस्ठान के अब्बङ़ भारी महत्तम होथे। तिल सकरायत के दिन सुरुज के एक राशि ले दुसर राशि मा होय परिवरतन…

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दान के महा परब छेरछेरा

ये संसार म भुइंया के भगवान के पूजा अगर होथे त वो देस हाबय भारत। जहां भुइंया ल महतारी अऊ किसान ल ओखर लईका कहे जाथे। ये संसार म अन्न के पूरती करईया अन्नदाता किसान हे। हमर छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे। हमर सभ्यता, संसकिरीति म तिहार के बड़ महत्तम हाबय। हमर सभ्यता अऊ संसकिरीति म ये तिहार मन रचे बसे हावय। ये तिहार म दान के परब छेरछेरा घलो हावय। हमर ये छेरछेरा तिहार पुस पुन्नी के दिन मनाये जाथे। फसल ल खेत-खार ले डोहार के कोठार…

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छेरछेरा अब आगे

पूस महिना पुन्नी आगे,छेरछेरा अब आगे। सुनलव मोर भाई, धरम करम अब जागे। पूस महिना पुन्नी आगे…….. होत बिहनिया देखौ,लईका सकलावत हे। कनिहा बाँधे घाँघरा,आँखीं मटकावत हे।। देदे दाई ददा देदव, तोर कोठी हा भरागे। पूस महिना पुन्नी आगे…….. मुठा मुठा धान सकेलय,टुकनी हा भरथे। छत्तीसगढ़ी संस्कार हवै,माने ला परथे।। छेरछेरा तिहार मनावे,भाग घलो लहरागे। पूस महिना पुन्नी आगे…….. देखव जी चारों मुड़ा,घाँघरा बने बाजत हे। बोरा चरिहा मुड़ मा,बोहे ख़ुशी मनावत हे।। छेरछेरा नाचत दुवारी,खोंची खोंची मांगे। पूस महिना पुन्नी आगे……… बोधन राम निषाद राज सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.) [responsivevoice_button…

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मोर मन के पीरा

का दुख ल बतावंव बहिनी, मेहां बनगेंव गेरवा ओ। जेने घुंटा मं बांधिस मोला, उही मं बंधागेंव नेरवा ओ। पढ़-लिख का करबे किके, स्कूल मोला नइ भेजिस ओ। टुरी अच चुल्हा फुंकबे किके, अंतस ल मोर छेदिस ओ। किसानी मं मोला रगड़दिस, बुता मं सुखागे तेरवा ओ। जेने खुंटा मं बांधिस मोला, उही मं बंधागेंव नेरवा ओ। चउदा बछर मं होगे बिहाव, सास-ससुर के दुख पायेंव। नइ जानेंव मनखे के मया, मनखे के दुख ल भोगेंव। संझा-बिहनिया पीके मारथे, नोहय मनखे मोर मेड़वा ओ। जेने खुंटा मं बांधिस मोला, उही…

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नवा बछर के मुबारक हवै

जम्मो झन हा सोरियावत हवै, नवा बछर हा आवत हवै। कते दिन, अऊ कदिहा जाबो, इहिच ला गोठियावत हवै।। जम्मो नौकरिहा मन हा घलो, परवार संग घूमेबर जावत हवै। दूरिहा-दूरिहा ले सकला के सबो, नवा बछर मनावत हवै।। इस्कूल के लईका मन हा, पिकनिक जाये बर पिलानिंग बनावत हवै। उखर संग म मेडम-गुरूजी मन ह, जाये बर घलो मुचमुचावत हवै।। गुरूजी मन पिकनिक बर लइका ल, सुरकछा के उदिम बतावत हवै। बने-बने पिकनिक मनावौ मोर संगी, नवा बछर ह आवत हवै।। नवा बछर के बेरा म भठ्ठी म, दारू के…

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नवा साल : कहानी

जोहत कका ह हमर तीर-तार भर म नामही मंदहा बढई के नांव ले जाने जाथे। फेर ओकर गुन ले जादा ऐब ह ओकर चिन्हारी बनगे हवय । ओला खाय बर अन्न भले झन मिलय फेर संझउती बेरा म ओला दारु होना चाही। घर म बडका बेटा ललित,मंझली बेटी किरन अउ छोटकू बेटा हेमंत के संग कमेलीन सुवारी मनटोरा ह दुख ल अपन माथ के लकीर समझ के ओ दरूहा संग जिनगी ल काटत हे। ललित ह एसो बारमी कच्छा म हावे। आधा महिना इसकूल म त आधा महिना राजमिस्त्री मन…

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