छत्तीसगढ़ी भासा

छत्तीसगढ़ी भासा ल पढबो अऊ पढाबोन हमर राज ल जुर मिलके, सबझन आघू बढाबोन । नोनी पढही बाबू पढही, पढही लइका के दाई । डोकरा पढही डोकरी पढही, पढही ममा दाई । इसकूल आफिस सबो जगा,छत्तीसगढ़ी में गोठियाबोन। अपन भासा बोली ल, बोले बर कार लजाबोन । कतको देश विदेश में पढले, फेर छत्तीसगढ़ी ल नइ भुलावन । अपन रिती रिवाज ल संगी , कभू नइ गंवावन । काम काज के भासा घलो, छत्तीसगढ़ी ल बनाबोन । देश विदेश सबो जगा, एकर मान बढाबोन । रचना महेन्द्र देवांगन “माटी” गोपीबंद…

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जनउला (प्रहेलिकायें)

1) बीच तरिया में टेड़गी रूख। 2) फाँदे के बेर एक ठन, ढीले के बेर दू ठन। 3) एक महल के दू दरवाजा, वहाँ से निकले संभू राजा। 4) ठुड़गा रूख म बुड़गा नाचे। 5) कारी गाय कलिन्दर खाय, दुहते जाय पनहाते जाय। 6) कोठा में अब्बड़ अकन छेरी, फेर हागे त लेड़ी नहीं। 7) अँउर न मँउर, बिन फोकला के चउँर। 8) नानचून टूरा, कूद-कूद के पार बाँधे। 9) नानूक टूरा, राजा संग खाय ल बैइठे। 10) नानचून बियारा में, खीरा बीजा। 11) तरिया पार में फट-फीट, तेकर गुदा बड़ मिठ। 12) तरी बटलोही उपर डंडा, नइ जानही तेला…

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पाठ्यक्रम म छत्तीसगढ़ी – आंदोलन के जरूरत …..

–अजय अमृतांशु प्राईमरी (कक्षा पहली ले पॉचवी) तक महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी म पढई काबर नइ होत हे? ये दाहकत सवाल हमर बीच हवय। येखर पीरा तो जम्मो छत्तीसढिया मन ल हवय फेर सब ले जादा पीरा साहितकार मन ल हवय। अउ होही काबर नहीं? साहितकार बुद्धिजीवी वर्ग आय, भाखा के संवर्धन अउ क्रियान्वयन के सब ले बडे जिम्मेदारी साहितकार मन के होथे। आखिर का वजह हे कि छत्तीसगढ़ी म पढई लिखई ल पाठ्यक्रम म लागू नइ करे जात हे? पाठ्यक्रम म लागू करना अउ नइ करना पूर्ण रूप ले राजनीतिक…

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