छत्तीसगढ़ी भाखा हे : डॉ.विनय कुमार पाठक

एक हजार बछर पहिली उपजे रहिस हमर भाखा छत्तीसगढ़ के भाखा छत्तीसगढ़ी आय जउन एक हजार बछर पहिली ले उपजे-बाढ़े अउ ओखर ले आघु लोकसाहित्य म मुंअखरा संवरे आज तक के बिकास म राज बने ले छत्तीसगढ़ सरकार घलो सो राजभासा के दरजा पाए हे। छत्तीसगढ़ी भाखा ल अपने सरूप रचे-गढ़े बर बड़ सकक्कत करे ल परे हे- पीरा-कोख मा जन्मेे, मया- गोदी मा पले, माटी महमई धरे अंचरा, छत्तीसगढ़ी भाखा हे। महानदी लहरा, जेखर मुअखरा, होंठ देरहौरी गाल बबरा, छत्तीसगढ़ी भाखा हे। छत्तीसगढ़ी ह ब्रज-सांही गुरतुर भाखा हे। पूर्वी…

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कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.

कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा….. मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म जगर बगर जोत जलत हे दाई के भुवन म बैगा झुमत हे मांदर के सुर म नाहे नाहे लईका मन अउ सियान मन हावे अंगना म मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म डोकरी दाई घर राखत हावे घर होगे हे सूना दाई के अंगना म कैसे झुमत हे अपन रंग म घर के दाई ल भुलागिन अउ बिनती कहत हे कुशलाई दाई ल सुनले मोरो मन के बात ये बछर मोर करदे…

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