दान लीला के अंश : पं. सुन्दरलाल शर्मा

पं. सुन्दरलाल शर्मा ल छत्तीसगढी़ पद्य के प्रवर्तक माने जाथे। सबले पहिली इमन छत्तीसगढी़ मं ग्रंथ-रचना करिन अउ छत्तीसगढी़ जइसे ग्रामीण बोली (अब भाषा) मं घलोक साहित्य रचना संभव हो सकथे ए धारणा ल सत्य प्रमाणित करे गीस। इंखर ‘दान लीला’ ह छत्तीसगढ मं हलचल मचा दे रहिस हे। ओ समें कुछ साहित्यकार मन इंखर पुस्तक के स्वागत करिन अउ कुछ मन विरोध तको करिन। मध्यप्रदेश के ख्याति प्राप्त साहित्यकार पण्डित रघुवरप्रसाद द्विवेदी ह ओ समें के ‘हितकारिणी पत्रिका’ मं ए पुस्तक के अड़बड़ करू आलोचना करिन। तेखर बाद भी…

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सावन सरल सारदा मैया : जगन्नाथ प्रसाद भानु

आप बिलासपुर के निवासी रहेव। आप मध्यप्रदेश शासन म उच्च अधिकारी रहेव। आपला मातृभाषा हिन्दी उपर बडा़ अनुराग रहिस। इंखर अधिकांश समय साहित्य-सेवा म बीतय। काव्य उपर इंखर अड़बड़ प्रेम रहिस अउ आप काव्य शास्त्र के बड़े ज्ञाता घलव रहेव। ‘छन्द प्रभाकर’ अउ ‘काव्य प्रभाकर’ इंखर काव्यशास्त्र संबंधी प्रसिद्ध ग्रंथ आए। उर्दू म इंमन ‘फैंज’ उपनाम ले कविता घलव लिखें हें। छत्तीसगढी़ म इंमन माता जस/सेवा गीत लिखें हें जउन ह ‘श्री मातेश्वरी सेवा के गुटका’ नाम के संग्रह म उपलब्ध हे। इंखर माता जस/सेवा गीत के उदाहरण प्रस्तुत हे-…

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तुम करहु जैसे जौन : प्राचीन कवि प्रहलाद दुबे

प्रहलाद दुबे सारंगढ के रहईया रहिन। सत्रहवीं शताब्दी के आखरी म इमन ‘जय चन्दिका’ लिखे रहिन। एमा संबलपुर के राज-वंश के वर्णन हावय। इखंर भाषा म व्रज, बसवाडी अउ छत्तीसगढी़ के मेल हे। इंखर कविता के एक उदाहरण देखव- तुम करहु जैसे जौन, हम हवें सामिल तौन। महापात्र मन मंह अन्दाजे, हम ही हैं सम्बलपुर राजे।। राजकुमार हिये अन्ताजेव, सोमला मन्दिर जाई बिराजेव। एको निसर जान नई पैहे मूढ़ में गड़रगप्प ह्वै जैहे । क्या जानी क्या होय, बौहों काहे सिर बद्दी। (परिचय डॉ.दयाशंकर शुक्‍ल : छत्‍तीसगढ़ी लोकसाहित्‍य का अध्‍ययन…

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हिरदे जुडा ले आजा मोर गांव रे : डॉ. विनय कुमार पाठक के गीत

जिहाँ जाबे पाबे, बिपत के छांव रे। हिरदे जुडा ले आजा मोर गांव रे॥ खेत म बसे हावै करा के तान। झुमरत हावै रे ठाढे-ठाढे धान॥ हिरदे ल चीरथे रे मया के बान। जिनगी के आस हे रामे भगवान॥ पीपर कस सुख के परथे छांव रे। हिरदे जुडा ले, आजा मोर गाँव रे ॥ इहाँ के मनखे मन करथें बड़ बूता। दाई मन दगदग ले पहिरे हें सूता॥ किसान अउ गौटिया, हावैं रे पोठ। घी-दही-दूध-पावत, सब्बे रें रोठ॥ लेवना ल खांव के ओमा नहाँव रे। हिरदे जुडा ले, आजा मोर…

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त्रिवेणी संगम म शाही स्नान के साथ राजिम महाकुंभ कल्प के होय समापन

बिहनिया साधु-संत मन के निकली भव्य शोभा यात्रा धर्मस्व मंत्री श्री अग्रवाल ह संगम म लगाईस डुबकी साधु-संत मन संग शोभा यात्रा मं होइस सामिल रायपुर, 25 फरवरी 2017। छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम मं महानदी, पैरी अऊ सोंढूर नदिया मन के पवित्र संगम मं चलत राजिम महाकुंभ कल्प के कल महाशिवरात्रि पर्व म साधु-संत मन के शाही स्नान के अनुष्ठान के संग ही समापन हो गइस। नागा साधु मन अऊ आन साधु-संत मन सहित हजारों श्रद्धालु मन हर आज महाशिवरात्रि पर्व म संगम के शाही स्नान कुंड मं पावन स्नान…

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होरी हे रिंगी चिंगी

रंग मया के डारव संगी फागुन के महिना रिंगी चिंगी रंगरेलहा अउ बेलबेलहा बरोबर हमर जिनगी मा समाथे। जिनगी के सुख्खा और कोचराय परे रंग मा होरी हा मया-पिरीत,दया-दुलार,ठोली-बोली,हाँसी-ठिठोली के सतरंगी रंग ला भरथे। बसंत रितु हा सरदी के बिदा करे बर महर-महर ममहावत-गमकत गरमी ला संगवारी बनाके फागुन के परघनी करथे। फागुन के आये ले परकीति मा चारों खूँट आनी-बानी के रिंगी-चिंगी रंग बगर जाथे। गहूँ के हरियर रंग,सरसों के पिंयर रंग,आमा मँउर के सोनहा रंग,परसा के आगी बरन लाली रंग,जवाँ,अरसी फूल अउ अँगना मा गोंदा, गुलाब,किसिम-किसिम के फूल…

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कहानी : अंधविसवास

असाढ के महिना में घनघोर बादर छाय राहे ।ठंडा ठंडा हावा भी चलत राहे ।अइसने मौसम में लइका मन ल खेले में अब्बड़ मजा आथे। संझा के बेरा मैदान में सोनू, सुनील, संतोष, सरवन, देव,ललित अमन सबो संगवारी मन गेंद खेलत रिहिसे। खेलत खेलत गेंद ह जोर से फेंका जथे अऊ गडढा डाहर चल देथे । सोनू ह भागत भागत जाथे अऊ गडढा में उतर जथे ।ओ गडढा में एक ठन बड़े जान सांप रथे अऊ सोनू ल चाब देथे ।सोनू ह जोर जोर से अब्बड़ रोथे अऊ रोवत रोवत…

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सुघ्घर लागथे मड़ई

ओरी ओर सजथे , बजार भर दुकान , टिकली फीता फुंदरी , रंग रंग के समान । भीड़ भाड़ लेनदेन , करे लइका अऊ सियान , जोड़ी जांवर , चेलिक मोटियारी मितान । गुलगुल भजिया , मुरकू , बम्बई मिठई , खावत गंठियावत , अंचरा म खई । ललचा देथे मनला , चुनचुनावत कड़हई , उम्हिया जथे मनखे , देखे बर मड़ई ॥ धोवा चाऊंर नरियर , दूबी सुपारी , चड़हा के मनावथे , अपन माटी महतारी । दफड़ा किड़किड़ी अऊ घुमरत निसान , मनजीरा सुर मिलाथे , मोहरी संग…

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व्‍यंग्‍य : कलम

दू झिन संगवारी रिहीन । अब्बड़ पढ़हे लिखे रिहीन । अलग अलग सहर म रहय फेर एके परकार के बूता करय । दूनों संगवारी एक ले बड़के एक कहिनी कंथली बियंग कबिता लिखय , कतको परकार के अखबार अऊ पतरिका म छपय । हरेक मंच म जावय । फेर दूनों के रहन सहन म धीरे धीरे अनतर बाढ़त रिहीस । एक झिन अबड़ परसिद्ध अऊ पइसा वाला होगिस , ओकर करा गाड़ी बंगला अऊ सरकारी पद होगे । दूसर ल परसिद्धि मिलना तो दूर , अभू घला गोदरी ओढ़इया ,…

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करम के डोरी : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! करम के डोरी हर बड़ मजबूत होथे रे। फेर हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। तइहा जमाना म जब ग्वाला हर गाय चराय बर जावय तब का करय? गाय ला एक ठन रूख़ म बांध देवय अउ अपन हर कोनो मेर छॉव में बइठके बॉसुरी बजावत बइठे राहय अउ उॅहा ले गाय के उपर घलाव नजर राखे राहय। गाय हर रूख के चारो कोती के दूबी ला सुघ्घर किंजर-किंजर…

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