कुँआ-तरिया मा जलदेवती माता के निवास होथे

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! कुँआ-तरिया मा जलदेवती माता के निवास होथे रे। एमा कचरा.पथरा नइ डारय, अबड पाप होथे। फेर हमन नई मानेन। जम्मों कुँआ ला कचरा डार-डार के बराबर कर डारेन अउ तरिया ला तो बना के कई मंजिल के बिल्डिंग तान देन। अब कुँआ अउ तरिया के जघा ला हैंडपंप, मोटरपंप अउ स्वीमिंग पुल हा ले डारिस। सावन के महीना मा बादर ले अमृत बरसथे। ए जम्मो अमृत ला सियान मन कुँआ अउ तरिया मा भर के…

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‘रमन के गोठ’ म जनकवि लक्ष्मण मस्तूरिया के लोकप्रिय गीत ‘मोर संग चलव रे’ ल मुख्यमंत्री सुरता करिन

रायपुर, 12 फरवरी 2017, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के मासिक रेडियोवार्ता ‘रमन के गोठ’ म छत्तीसगढ़ म माघ पूर्णिमा के अवसर म आयोजित राजिम महाकुंभ अउ दामाखेड़ा के माघी पुन्नी मेला के गोठ करके मुख्यमंत्री ह सुनईया के दिल जीत लिस। मुख्यमंत्री ह आकाशवाणी ले अपन रेडियोवार्ता के शुरूआत सहज-सरल छत्तीसगढ़ी भाषा म करिन। उमन दामाखेड़ा म आयोजित कबीर पंथी मन के प्रसिद्ध मेला संग राजिम महाकुंभ के तको बात करिन। डॉ. सिंह ह कहिन के माघी पुन्नी ले शुरू होए कबीर धरम-नगर दामाखेड़ा के मेला म शामिल होय के…

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कैसे करन तोर बापू बडा़ई : दाऊ निरंजनलाल गुप्ता के गीत

ज्ञान गजब भरे हे तोर मन में बिजली असन तेजी हे तोर मन में अव्वल किसनहा, असन रुप बनाये लंदन में, राजा से, हाथ मिलाये धन तोर गाँधी बबा चतुराई कैसे करन तोर बापू बडा़ई गजबे करे हावस हमर भलाई। तकली अऊ चरखा सबो ला धराये कपडा विदेशी के रोग हटाये नीचा-ला-ऊँचा तै आसन देवाये हमला तैं मनखे बने ला सिखाये तैं हर-हटाये हमर मन के काई ई कैसे करन तोर बापू बड़ाई गजबे करे हावस हमर भलाई। देश पराधीन तोला नै भावे चित्त-हा-तोर चैन-नहीं पावे देश स्वतंत्र बनाये के…

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नइ आवै : देवीप्रसाद वर्मा ‘बच्चू जाँजगिरी’ के गीत

ये चंदैनी भरे रात जोडा़ नींद नइ आवै। छाती हवै कसमसात जोडा़ नींद नई आवै॥ बइठे हों सुरता के दीया बाती बारे भटकत हौं येती ओती जोगी बानाधारे आगी अस लागै बरसात जोडा़ नींद नई आवै। आँखी आँखी भूलय झमकय चमकथय तोर पैरी सुन्ना सुन्ना कुरिया लागय, अंगना होगे बइरी उम्मर होगे बज्जात जोडा़ नींद नइ आवै। – देवीप्रसाद वर्मा ”बच्चू जाँजगिरी”

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हमर गाँव अब जागिस : लखन लाल गुप्त के गीत

हमर गाँव अब जागिस संगी हमर गाँव अब जागिस। बिपत हमर सब भागिस संगी हमर गाँव अब जागिस॥ असल काम हे हमर गाँव के खेत ला सुघर कमाई जम्मो जन अब भिड़ के पैदा अन्न खूब उपजाई बाँध बंधागै कुंआ खनागै खेत के करौ सिंचाई टेक्टर-नांगर धुंकनी-पंखा घलो गाँव मां लाई उपज बढाथे खातू मिलथै कीडामार दवाई आगिस नंवा नंवा अब चलिस योजना हमर गाँव अब जागिस। अपरिध्दई ला झनिच अगोरा, जुर मिल के सब आवा आईस क्रांति ला भिड़के जम्मो गाँवे सफल बनावा ऋषि भुंइया ले खेती करके सुध्घर…

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लगथे आजेच उन आहीं : श्यामलाल चतुर्वेदी के कविता

डेरी आँखी फर कत हे लगथे आजेच जानत हौं उनकर सुभाव जानत हौ आतेच टू री ला पाहीं दू महीना कहिन गइन तौ गय चार, पाँच अधियांगे रोजहा के डहर देखाई मा आँखी मोर चेंधियागे निरदयी मयाला टोरिस रोजमारे जरय सिरावै ओमा का नफा धरे हे छोडे़ घर दुरिहा जावै मोर रिसही के रिस देख लिही जब उनला तभे पराहीं डेरी आँखी फरकत हे लगथे आजेच उन आहीं का कहौ सुहावन तोला तोरसो का बात लुकावंव एको छिन नई देखँव तब अगुन छगुन हो जावौं बिन देखे पंच पंच महिना…

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