कविता : अब भइगे !

अब भइगे बंदुक ल छोड दव बस्तर के माटी ल झंन रंगव महतारी के कोरा सुना होगे आॅखी ले आंसु बोहवत हे छोटे बहिनी राखी ल थारी म सजाये हे नान नान लईका मन रस्दा देखत हें नावा बोहासिन के मांग ह सुना होगे पडोसी के बबा गुनत हे अपन नाती देख रोअत हे तुमन ल लाज निलागे मुरख हव निचट कोनो अपन भाई ल छुप के मारथे का काबर उदिम मचाये हव बस्तर के माटी ल काबर बदनामी म डारे हव अब भइगे बंदुक ल छोड दव बस्तर के…

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चलो मंदिर जाबो

चलो मंदिर जाबो भैया मोर, दाई के पूजा करबो । चलो मंदिर जाबो बहिनी मोर, माता के सेवा करबो। चंपा चमेली के फूल गुंथके , माता ल पहिनाबोन । आनी बानी फूल लानके, आसन ओकर सजाबोन। जोत जलाके सुघ्घर, आरती सबझन गाबो । चलो मंदिर जाबो भैया मोर, दाई के पूजा करबो । सोला सिंगार करके, माता हर मुसकाथे । भगत के मान रखे खातिर, सुंदर रुप देखाथे । चैत के महिना आगे, झूला ओकर सजाबो । चलो मंदिर जाबो बहिनी मोर, माता के सेवा करबो । बघवा के सवारी…

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असमिया धुन मा छत्तीसगढ़िया राग, छत्तीसगढ़ मा होइस पहुना संवाद

आवा दे बेटी फागुन तिहार … मारबो बोकरा करबो शिकार …… हे वोति कोन सेन रे मुना महुआ रे ………..। धुन असमिया हे … फेर बोल छत्तीसगढ़ी। अइसनेहे साझा संस्कृति ले रचे बसे हे लाखन परदेसी छत्तीसगढ़िया मन के जिनगी। वो छत्तीसगढ़िया मन के जिनगी जेन डेढ़ सौ बछर पहली असम राज खाय-कमाय बर गइन अउ उंहे के वोखे रहिगे। छत्तीसगढ़िया परदेसिया होगे … असमिया होगे। आज असम के भीतरी 20 लाख परदेसिया छत्तीसगढ़िया रहिथे। फेर डेढ सौ बछर बाद भी, असमिया रंग मा रंगे के बाद भी ये परदेसिया…

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असम के छत्तीसगढ़ वंशी मन के गीत

सुवा गीत ददरिया (लेजा लानि देबे नोनी छेना म आगी, ले जा लानि देबे) असम म रहवइया छत्‍तीसगढ़ वंशी मन अभी रइपुर आए हें तउने समय ये वीडियो रिकार्ड करे गए हे। ए संबंध म जादा जानकारी आप इंहां ले पढ़ सकत हव।

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ना बन बाचत हे ना भुइयां, जल के घलोक हे छिनइयां

छत्तीसगढ़ हा पूरा देस मा एक ठिन अइसे राज हरय जिहां तीन जिनिस के कभु कमी नइ रहे हे। ये तीन जिनिस हरय बन, भुइयां अउ पानी। छत्तीसगढ़ मा जेन कोति भी जाहु, उत्ती ले लेके बुढ़ती अउ रक्क्छहु ले लेके भंडार कोति। सबो दिसा मा भरपुर बन, भुइयां अउ पानी मिलही। अउ इही बन बन-भुइयां मा भरे हे लोहा, टीना, कोयला के भंडार। इही भंडार जइसे छत्तीसगढ़ वाला मन बर पाप सरी होगे। काबर कि ये जिनिस के भंडार होय के बाद भी बन-भुइयां अउ पानी के बीच रहइयां…

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भाई दीदी असम के

हमर गुरतुर गोठ छत्तीसगढ़ी के बोलाईया मनखे हमर राज्य ले बाहिर घला रहिथें। ए प्रवासी छत्तीसगढ़िया, या फेर छतीसगढ़ वंशी मन मे सबले जुन्ना प्रवासी मन असम म रहिथें। अइसे कहे जाथे के इहाँ ले मनखे मन के असम जाए के सुरुआत आज ले करीबन डेढ़ सौ साल पहिली होये रिहिसे जब अकाल दुकाल के सेती जिये खाये बर हमर भाई बहिनी मन चाय के बगइचा मन म बूता करे बर गीन। ओ बेरा म उंखर मन के तदात कतका रिहिस होही तेला कहब तो मुस्कुल हे फेर आज ओ…

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अब मंतरी मन बर रेड सिग्नल … लाल बत्ती खतरा हे !

रेड सिग्नल वइसे खतरा के निसान माने जाथे। फेर इही खतरा के निसान कोन जनि कब ले नेता-मंतरी ले के अधिकारी मन बर रुतबा के चिन्हारी बनगे मैं तो नइ जानव आप मन जानव होहु त समझ लेहु। वइसे सच तो इही हरय के लाल सिग्नल हा खतरा के ही निसानी हरय। जनता मन ला तो नेता-मंतरी, अधिकारी मन ले खतरा रहिबे करथे। तभे तो लाल बत्ती वाला गाड़ी ले जब कान फोडू अवाज आथे सब सचेत हो जाथे। अउ वो गाड़ी मा बइठइया मन जइसे जनता ला डराय, झुझकाय…

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दारु संस्कृति म बूड़त छत्तीसगढ़

हमर छत्तीसगढ़ ह कौसिल्या दाई के मईके हरे।जौन राम ल जनमदिन जेन मरयादा पुरुसोत्तम होईन। राम कृष्ण के खेलय कूदय छत्तीसगढ़ के कोरा सुघ्घर अऊ पबरित रहीस।आज अईसे का होगे कि अईसन छत्तीसगढ़ म दारु संस्कृति ह पांव लमावत हे। छट्ठी बरही , जनमदिन ,बरसी,सगई, बर-बिहाव, नौकरी लगे,परमोसन, तीज-तिहार, मेला-मड़ई,सबो बेरा म मंद दारु अपन परभाव देखाथे। मैं एक घर छट्ठी म गय रहेंव। मंझनिया भातखाय के बेरा सबोझन ल बलाईस, छत म टाटपट्टी जठा के छत्तीसगढ़िया रेवाज म बईठारिस। पतरी बांट के बरा, सोंहारी, तसमाई, छोले पोरस दिन ,पाछू-पाछू…

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नारी सक्ती जगाना हे – दारु भटठी बंद कराना हे

बसंती ह अपन गोसइन बुधारू ल समझात रहिथे के – तेंहा रात दिन दारू के नशा में बुड़े रहिथस। लोग लइका घर दुवार के थोरको चिंता नइ करस ।अइसने में घर ह कइसे चलही ।दारू ल छोड़ नइ सकस ? बुधारू ह मजाक में कहिथे – मेंहा तो आज दारू ल छोड़ देंव वो। बसंती चिल्लाथे — कब छोड़े हस, कब छोड़े हस ? फोकट के छोड़ देंव कहिथस । बुधारू – अरे आज होटल में बइठे रेहेंव न,आधा बाटल दारू ल उही जगा छोड़ देंव । बसंती — हाँ…

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डाकघर म करावव रजिस्ट्रेशन, मोदी सरकार नौकरी देही

डाकघर म करावव रजिस्ट्रेशन, मोदी सरकार नौकरी देही राजधानी के मुख्य डाकघर सहित प्रदेश के जिला मुख्यालय मन के डाकघर अब रोजगार केन्द्र के रूप म विकसित करे जाही। ए केन्द्र मन म बेरोजगार मन के ऑनलाइन पंजीयन करे जाही। दिल्ली म औपचारिक निर्णय के बाद अब जम्‍मो राज्य मन ले प्रारंभिक जानकारी मंगाए गए हे। loading… विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस बारे में अभी मंत्रालय स्तर पर ही निर्णय हुआ है। डाकघरों में इसके लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं। रोजगार केन्द्र विकसित करने…

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