बेटी की हत्या : संस्मरण

वाह रे निष्ठुर आदमी बेटे की चाहत में दो दो बेटियों को माँ की कोख में ही मार डाला, तीसरी जब बेटी पैदा हुई तो उस अभागिन की माँ चल बसीI पिता ने फिर दूसरी शादी रचा ली, दूसरी बीवी से एक बेटा हुआ,पिता और माँ का पूरा ध्यान उस अभागिन पलक से हट कर बेटे पर हो गया I पलक धीरे धीरे बड़े होने लगी और वो अपनों के बीच में उसे परायेपन का एहसास होने लगा,चार साल की उम्र में उसकी सौतेली माँ ने वहीं पास के सरकारी…

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बजरहा होवत हमर तीज तिहार

छत्तीसगढ़ म आठोकाल बारो महिना कोई न कोई तिहार आते रथे। चइत, बइसाख , जेठ, अषाढ़, सावन ,भादो, कुंवार, कातिक, अग्घन ,पूस ,मांग, फागुन सबो महिना हमन तीज तिहार मनाथन। हमर पुरखा मन काम काज ले फुरसुद अऊ मगन होके इरखा द्वेस ल भुलाय खातिर तिहार ल सिरजाय रहिन।मया-पीरा, सुख-दुख भुलाय बर अऊ घर-परिवार, गांव-समाज म मेल जोल नाना परकार के बाहना ओला उही मन जानय ।फेर ऊंखर बनाय तीज तिहार ल अब हमन बजरहा बना डारेन।पुरखा मन देश, काल, इस्थिति-परिस्थिति अऊ बेरा कुबेरा ल देख ताक के तिहार बनाय…

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